पेड़ों की कटाई के आदेश के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आप सरकार से मांगा जवाब

Delhi High Court seeks response from AAP government on plea against tree felling order
पेड़ों की कटाई के आदेश के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आप सरकार से मांगा जवाब
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नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में अयूर विज्ञान नगर के पुनर्विकास के लिए 315 पेड़ों की कटाई के आदेश के खिलाफ याचिका पर आप सरकार और अन्य से जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति प्रतीक जालान के साथ मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने अभिषेक दत्त की ओर से वकील वरुण चोपड़ा के माध्यम से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए टाल दी।

सुनवाई के दौरान, अधिवक्ता वरुण चोपड़ा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि अयूर विज्ञान नगर को विकसित करने के लिए लगभग 315 पेड़ काटे या प्रत्यारोपित किए जा रहे हैं, जो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पास हैं।

चोपड़ा ने कहा, कोविड-19 महामारी चल रही है और हवा की गुणवत्ता पहले से ही बहुत खराब है। इन 315 पेड़ों को हटाना लगभग 315 फेफड़े को खत्म करना और वायु की गुणवत्ता को खराब करना है।

उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि पेड़ों का प्रत्यारोपण बहुत सफल प्रक्रिया नहीं है और इसलिए, दिल्ली सरकार द्वारा पारित उक्त आदेश पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।

वन उपायुक्त (दक्षिण) की ओर से दिनांक 14 सितंबर 2020 को जारी किए गए आदेश को खारिज करने की लिए यह याचिका दायर की गई है, जिसमें अयूर विज्ञान नगर के पुनर्विकास के लिए 315 पेड़ों की कटाई/प्रत्यारोपण करने की बात कही गई है।

याचिका में कहा गया है कि उक्त आदेश में नई दिल्ली की वनस्पतियों और वृक्षों को सरकार के पुनर्विकास के उद्देश्य से पूरी तरह से नष्ट करने की अनुमति दी गई है, जो वायु प्रदूषण और गंभीर पर्यावरणीय चिंताओं की अनदेखी कर रहे हैं। याचिका में राष्ट्रीय राजधानी के नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने की दलील भी दी गई है।

याचिका में कहा गया है, पेड़ों की रोपाई पर समाचार रिपोर्ट बताते हैं कि यह प्रक्रिया बहुत प्रभावी या सफल नहीं है, विशेष रूप से भारत में। वास्तव में, विफलता की दर बहुत अधिक है।

याचिका में इसे पर्यावरण के लिहाज से और दिल्ली एवं इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया गया है।

एकेके/एएनएम

Created On :   23 Nov 2020 4:01 PM IST

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