पाकिस्तान का शिमला समझौते पर यू-टर्न: रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा- डेड डॉक्यूमेंट, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने किया खंडन

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा- डेड डॉक्यूमेंट, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने किया खंडन
  • रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा- डेड डॉक्यूमेंट
  • पाकिस्तान का शिमला समझौते पर यू-टर्न
  • पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने किया खंडन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैश्विक मंच पर आतंकवाद के मुद्दे पर बार-बार एक्सपोज होने के बाद पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया है। गुरुवार को पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 1972 के शिमला समझौते को ‘डेड डॉक्यूमेंट’ करार देते हुए कहा था कि अब कश्मीर सहित विवादों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाएगा। लेकिन शुक्रवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने उनके बयान का खंडन करते हुए साफ किया कि भारत के साथ शिमला समझौते सहित किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने का कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया है।

विदेश मंत्रालय का बयान: कोई औपचारिक कदम नहीं

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि हाल के घटनाक्रमों, खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई के चलते इस्लामाबाद में आंतरिक चर्चाएं जरूर तेज हुई हैं। लेकिन शिमला समझौते या किसी अन्य द्विपक्षीय संधि को रद्द करने का कोई आधिकारिक निर्णय नहीं हुआ है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सभी मौजूदा समझौते अभी भी लागू हैं।

ख्वाजा आसिफ का विवादित बयान

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जियो न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “शिमला समझौता पूरी तरह द्विपक्षीय था, इसमें न तो कोई तीसरा पक्ष था और न ही विश्व बैंक की मध्यस्थता। लेकिन भारत की हालिया कार्रवाइयों ने इसकी पवित्रता को खत्म कर दिया है।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर यह समझौता रद्द हुआ तो नियंत्रण रेखा (LoC) को 1948 की तरह ‘युद्ध-विराम रेखा’ माना जाएगा और इसकी स्थिति पर नई बातचीत की जरूरत होगी।

पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। इसके बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुए शिमला समझौते में दोनों देशों ने द्विपक्षीय बातचीत से विवाद सुलझाने, शांति बनाए रखने और नियंत्रण रेखा का सम्मान करने जैसे सिद्धांतों पर सहमति जताई थी।

पाकिस्तान की कूटनीतिक उलझन

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के बयान और विदेश मंत्रालय के खंडन से इस्लामाबाद की कूटनीतिक उलझन साफ झलकती है। जानकारों का मानना है कि आतंकवाद को लेकर वैश्विक दबाव और भारत की कठोर कार्रवाइयों के बीच पाकिस्तान अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है, लेकिन आंतरिक मतभेदों के कारण उसकी नीति में स्पष्टता की कमी दिख रही है।

Created On :   6 Jun 2025 10:05 PM IST

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