कृत्रिम वर्षा: प्रदूषण रोकने के लिए ही नहीं दुश्मन को हराने के लिए भी होता है नकली बारिश का उपयोग, अमेरिका ने वियतनाम को बरबाद करने के लिए बनाया था हथियार!
- दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरे से उपर
- नकली बारिश करा कर वियतनाम पर अमेरिका ने ढाया था कहर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण की वजह से सुर्खियों में बना हुआ है। यहां के आस-पास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता खतरे को पार कर चुकी हैं। प्रदूषण से बचने के लिए दिल्ली सरकार आर्टिफिशियल बारिश कराने की योजना बना रही है ताकि प्रदूषण से दिल्लीवासियों को राहत मिल सके। आर्टिफिशियल का अर्थ है मानव द्वारा बनाया गया, जिसे कृत्रिम भी कहा जाता है। कृत्रिम वर्षा कराने का उद्देश्य सूखे से निजात पाने के लिए होता है लेकिन इसका राजधानी के आसमान में छाए धूंध के बादल को हटाने के लिए प्रयोग होना है। इन सबसे इतर कृत्रिम वर्षा का उपयोग देश अपने दुश्मन या पड़ोसी देश को तबाह करने के लिए भी करता है। बहुत वर्षों पहले अमेरिका वियतनाम युद्ध के दौरान कथित तौर पर इसका उपयोग कर चुका है जिसकी वजह से वियतनाम में भारी तबाही का मंजर देखने को मिल चुका है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद अन्य देशों की तरह वियतनाम भी कम्युनिस्ट और पूंजीवादी यानी अमेरिकी सोच के बीच में बंट गया था। अंदर ही अंदर देश के दो हिस्से हो गए, जिसमें एक कम्युनिस्ट था तो दूसरा अमेरिकी मॉडल। ये देख अमेरिका को मौका मिल गया और जंग में कूद गया। जंग में वियतनाम से अमेरिका को लड़ना काफी भारी पड़ा क्योंकि छोटे देश होकर भी अमेरिका को वियतनाम से जमीन से लेकर हवाई स्तर पर चुनौती मिल रही थी। दोनों देशों की लड़ाई कुछ दिनों और महीनों की नहीं रही थी बल्कि सालों चली। इसी बीच अमेरिका ने वियतनाम को हराने के लिए कृत्रिम वर्षा का सहारा लिया।
वियतनाम को तितर-बितर करने का प्लान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वियतनाम पर आर्टियफिशियल बारिश कराने के लिए अमेरिका ने बकायदा इस मिशन का नाम पोपेय रखा था। जिसका पूरा नाम प्रोजेक्ट कंट्रोल्ड वेदर पोपेय था। ये एक मिलिट्री ऑपरेशन था, जिसे अमेरिकी एयरफोर्स ने अंजाम दिया था। जिसका मकसद वियतनाम को तितर-बितर करने का था।
अमेरिका का क्या रहा मकसद?
- सड़कों को कमजोर और रपटीला बना देना ताकि सेना की गाड़ी आ-जा न सकें।
- पहाड़ों से लैंडस्लाइड हो जिससे सेना तितर-बितर हो जाए।
- नदी-नालों में बाढ़ आ जाए, जिसका असर आबादी और फिर सेना पर पड़े।
हर हाल में वियतनाम को तबाह करना चाहता था अमेरिका
अमेरिका ने अपने इस चाल को इंटरनेशल कम्युनिटी के सामने कभी नहीं आने दिया क्योंकि इसे लेकर उसकी चारों तरफ आलोचना होने लगेगी। कहा जाता है कि वियतनाम में कृत्रिम बारिश कराने के लिए अमेरिका ने हेडक्वार्टर थाइलैंड में बनाया था। यानी बादलों को तैयार करने की प्रोसेस वहीं से तैयार हुई थी। जिसकी शुरुआत अक्टूबर 1966 में हुई, उस समय अमेरिका के 8 हजार से ज्यादा सैनिकों ने अपनी जान गवांई थी। और वो हर परिस्थिति में वियतनाम को तबाह करना चाहता था।
अमेरिकी षड्यंत्र का पता वियतनाम को कब लगा?
अमेरिका ने उन जगहों पर कृत्रिम वर्षा कराई थी जहां वियतनाम सैनिकों के गोला-बारूद और हथियार रखे गए थे। साथ ही उन जगहों को टारगेट पहले करता था जहां सैनिक निवास करते थे ताकि उन्हें युद्ध में शामिल होने से रोका जा सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के इस हरकत की वजह से वियतनाम के सारे गोला बारूद बर्बाद हो गए सैनिक फंसे के फंस रह गए। जिसकी वजह से वियतनाम में भारी तबाही के साथ बीमारियां भी फैलने लगी। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी अमेरिका को इस जंग में जीत नहीं मिल पाई थी। वहीं अमेरिका के षड्यंत्र का पता वियतनाम को तब लग जब युद्ध पूरी तरह खत्म हो गया।
Created On :   10 Nov 2023 2:52 PM IST