निशाने पर रहेंगी अफगान की चुनावी रैलियां : तालिबान

अफगानिस्तान में चल रहे 18 साल पुराने युद्ध को समाप्त करने के लिए आतंकवादी समूह और अमेरिका के बीच शांति वार्ता के बीच यह चेतावनी जारी की गई है।
समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, तालिबान ने एक बयान में कहा, यह चुनावी प्रक्रिया आम लोगों को धोखा देने के अलावा और कुछ भी नहीं है। क्योंकि सभी समझते हैं कि अंतिम निर्णय लेने की शक्ति उनके (विदेशियों) पास है।
तालिबान ने इसे एक नाटकीय चुनाव करार देते हुए मतदान बहिष्कार की धमकी दी और कहा कि उसके लड़ाके इस प्रक्रिया को अवरुद्ध करने के लिए कुछ भी करेंगे।
मीडिया के साथ साझा किए गए बयान में तालिबान की ओर से कहा गया, नुकसान रोकने के लिए लोगों को उन सभाओं और रैलियों से दूर रहना चाहिए, जो हमारे संभावित लक्ष्य बन सकती हैं।
समूह ने पश्चिमी शक्तियों को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें इस बेशर्म प्रक्रिया का समर्थन करने के बजाय अपनी ऊर्जा और संसाधनों को बातचीत के रास्ते पर खर्च करनी चाहिए, ताकि महत्वपूर्ण समय में चल रही शांति प्रक्रिया के दौरान कोई हिंसा न हो।
गौरतलब है कि अफगान राष्ट्रपति का चुनाव 28 सितंबर को होने वाला है। राष्ट्रपति अशरफ गनी दूसरी बार सत्ता हासिल करना चाह रहे हैं। वहीं इस चुनाव में अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में से एक हैं।
चुनाव प्रक्रिया 28 जुलाई को गनी की रैलियों के साथ शुरू हो चुकी है।
उसी दिन हथियारों से लैस एक समूह ने राष्ट्रपति के सहयोगी अमरुल्लाह सलेह के कार्यालय पर हमला कर दिया। यहां करीब छह घंटे तक गोलीबारी चली, जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई। किसी भी समूह ने हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली।
तालिबान ने यह भी कहा कि अफगान सरकार का देश के एक सीमित क्षेत्र पर नियंत्रण है और बहुत कम संख्या में मतदाता चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
--आईएएनएस
Created On :   6 Aug 2019 4:30 PM GMT