तालिबान ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया, मुल्ला हसन अखुंद नई तालिबान सरकार का नेतृत्व करेंगे

Taliban announces the formation of an interim government
तालिबान ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया, मुल्ला हसन अखुंद नई तालिबान सरकार का नेतृत्व करेंगे
Afghanistan तालिबान ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया, मुल्ला हसन अखुंद नई तालिबान सरकार का नेतृत्व करेंगे
हाईलाइट
  • मुल्ला बरादर को डिप्टी पीएम की जिम्मेदारी मिली है
  • मुल्ला हसन अखुंद होंगे अफगानिस्तान के पीएम
  • सिराज हक्कानी आंतरिक मामलों के मंत्री होंगे

डिजिटल डेस्क, काबुल। तालिबान ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान कर दिया है। मुल्ला हसन अखुंद अफगानिस्तान में नई तालिबान सरकार का नेतृत्व करेंगे। मुल्ला बरादर मुल्ला अखुंद के डिप्टी के रूप में काम करेंगे। मुल्ला अब्दुल सलाम हनफ़ी दूसरे डिप्टी के रूप में काम करेंगे। एक पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट बताती है कि तालिबान के टॉप लीडर मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा ने खुद मुल्ला अखुंद को इस पद के लिए नॉमिनेट किया था। 

क्या कहा जबीउल्लाह मुजाहिद ने?
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने मंगलवार को काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि "हम जानते हैं कि हमारे देश के लोग नई सरकार का इंतजार कर रहे हैं।" मुजाहिद ने कहा, "यह एक एक्टिंग (केयरटेकर) गवर्नमेंट है न कि स्थायी सरकार। उन्होंने कहा कि तालिबान सरकार में प्रत्येक मंत्री को दो डिप्टी सहायता प्रदान करेंगे।" कार्यवाहक मंत्रिमंडल की घोषणा तालिबान सरकार के गठन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

तालिबान की नई सरकार में मंत्री:

  • मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद- प्रधानमंत्री
  • मुल्ला बरादर - डिप्टी पीएम 1 
  • अब्दुल सलाम हनाफी- डिप्टी पीएम 2 
  • अमीर खान मुत्ताकी - तालिबान विदेश मंत्री
  • शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई - उप विदेश मंत्री
  • सिराज हक्कानी - तालिबान के आंतरिक मंत्री
  • मुल्ला याकूब - तालिबान रक्षा मंत्री
  • अब्दुल हकीम शैरी - तालिबान न्याय मंत्री
  • खैरुल्लाह खैरख्वा - तालिबान के सूचना मंत्री
  • जबीउल्लाह मुजाहिद - उप सूचना मंत्री
  • हिदयातुल्लाह बद्री - तालिबान के वित्त मंत्री
  • मुल्ला मोहम्मद फाजिल अखुंद- तालिबान के उप वित्त मंत्री 
  • कारी दीन हनीफ - तालिबान अर्थव्यवस्था मंत्री
  • शेख मावलवी नूरुल्लाह - तालिबान शिक्षा मंत्री
  • नूर मोहम्मद साकिब - हज और धार्मिक मामलों के मंत्री
  • नूरुल्लाह नूरी - तालिबान सीमा और जनजातीय मामलों के मंत्री
  • मोहम्मद यूनुस अखुंदज़ादा - तालिबान ग्रामीण पुनर्वास और विकास मंत्री
  • अब्दुल मनन ओमारी - तालिबान लोक निर्माण मंत्री
  • मोहम्मद एसा अखुंद - तालिबान खान और पेट्रोलियम मंत्री
  • मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसौर- तालिबान के इलेक्ट्रिसिटी मिनिस्टर
  • हमीदुल्लाह अखुंदजादा- मिनिस्टर ऑफ एविएशन 

हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है सिराजुद्दीन हक्कानी

  • बता दें कि सिराजुद्दीन हक्कानी कुख्यात हक्कानी नेटवर्क का फाउंडर और प्रसिद्ध सोवियत विरोधी सिपहसालार जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है। देश के दो दशक लंबे युद्ध में कुछ सबसे घातक हमलों के पीछे हक्कानी नेटवर्क का ही हाथ हैं जो तालिबान के साथ जुड़ा है। हक्कानी नेटवर्क को अमेरिका ने विदेशी आतंकवादी संगठन नामित किया है।
  • एफबीआई वेबसाइट के अनुसार, अमेरिकी विदेश विभाग सिराजुद्दीन हक्कानी की सूचना देने पर 5 मिलियन अमरीकी डालर तक का इनाम रखा है। माना जाता है कि सिराजुद्दीन हक्कानी पाकिस्तान में रहता है। तालिबान और अल कायदा के साथ इसके घनिष्ठ संबंध है।
  • पीएम मुल्ला हसन तालिबान के बर्थप्लेस कंधार से ताल्लुक रखता है और आर्म्ड मूवमेंट के संस्थापकों में से था। मुल्ला हसन ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और मुल्ला हेबतुल्लाह के करीब रहा। हसन ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार के दौरान विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।
  • मंगलवार शाम की घोषणा से पहले मुल्ला बरादर के सरकार का नेतृत्व करने की व्यापक उम्मीद थी। बरादर तालिबान के को-फाउंडर्स में से एक है। बताया जाता है कि बरादर तालिबान के फाउंडर मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक था, जिसे 2010 में कराची में सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया था और 2018 में रिहा कर दिया गया था।
  • रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर का बेटा है। याकूब मुल्ला हेबतुल्ला का स्टूडेंट था, जिसने पहले उसे तालिबान के शक्तिशाली सैन्य आयोग के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था।
  • शेर अब्बास स्टानिकजई ने पिछले दिनों दोहा में भारत के राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की थी।

तालिबान के लिए सरकार चलाना बड़ी चुनौती
तालिबान के लिए अफगानिस्तान में सरकार चलाना बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि यह देश अंतरराष्ट्रीय सहायता पर बहुत अधिक निर्भर है। अफगानिस्तान को पैसे की सख्त जरूरत है। करीब 10 बिलियन डॉलर की संपत्ति अफगान केंद्रीय बैंक के पास है। इसमें से ज्यादातर संपत्ति विदेशों में जमा है। इसलिए तालिबान की इस संपत्ति तक पहुंच फिलहाल संभव नहीं दिखती।

रेटिंग एजेंसी फिच ग्रुप की रिसर्च फर्म, फिच सॉल्यूशंस की एक रिपोर्ट में विश्लेषकों ने कहा कि अफगानिस्तान के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इस वित्तीय वर्ष में 9.7% सिकुड़ सकती है। अगले साल 5.2% की और गिरावट देखी जाएगी। फिच ने कहा कि अधिक आशावादी दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए विदेशी निवेश की आवश्यकता होगी। चीन और रूस इसमें तालिबान की मदद कर सकता है।

Created On :   7 Sep 2021 2:40 PM GMT

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