चीन के लिए सिरदर्द बन सकती है तालिबान की कट्टरपंथी विचारधारा

Talibans radical ideology can become a headache for China
चीन के लिए सिरदर्द बन सकती है तालिबान की कट्टरपंथी विचारधारा
अफगानिस्तान चीन के लिए सिरदर्द बन सकती है तालिबान की कट्टरपंथी विचारधारा
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  • चीन के लिए सिरदर्द बन सकती है तालिबान की कट्टरपंथी विचारधारा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीनी राष्ट्र के स्वामित्व वाले उद्यम (एसओई) और निजी कंपनियां युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कमर कस रही हैं। ग्लोबल टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जोखिम लेने वाली निजी फर्मों का साहस तालिबान के साथ चीन की सफल कूटनीति को भी रेखांकित करता है, जो अफगानिस्तान में चीनी व्यवसायों के सुरक्षित और सुचारू संचालन की नींव रखता है।

हालांकि, भले ही चीन ने तालिबान 2.0 के साथ जुड़ने के लिए अपनी तत्परता दिखाई हो, लेकिन तालिबान की धार्मिकता पर केंद्रित और कट्टरपंथी सोच को लेकर चिंता भी है। शनिवार को चीनी दूतावास ने चीनियों को इस्लामी आदतों और ड्रेस कोड का पालन करने की चेतावनी जारी की थी।

एक अन्य रिपोर्ट में, चीन के आधिकारिक मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (जीटी) ने कहा कि हालांकि तालिबान 2.0 अपने पिछले अवतार से बहुत अलग होगा और अब तक दुनिया को दिखाया है कि यह 20 साल पहले की तुलना में बदल गया है, जैसे कि यह दावा करता है कि लड़कियां और महिलाएं शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं। मगर तालिबान से अपनी धार्मिक विचारधारा में सुधार की उम्मीद करना नासमझी होगी।

ग्लोबल टाइम्स ने पान गुआंग, जो शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में आतंकवाद और अफगान अध्ययन पर एक वरिष्ठ विशेषज्ञ हैं, के हवाले से कहा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तालिबान एक कट्टरपंथी धार्मिक विचारधारा के साथ एक सुन्नी मुस्लिम राजनीतिक ताकत है और यह प्रकृति अपरिवर्तित रहेगी, और इसके द्वारा किए गए उपायों के अस्थायी होने की अधिक संभावना है।

बीजिंग के लिए 60 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) रणनीतिक महत्व का है। इसके सफल समापन और निष्पादन के लिए इसे अफगानिस्तान के समर्थन की आवश्यकता है।

खासतौर पर बलूचिस्तान के ग्वादर इलाके में हुए बम विस्फोट के बाद से चीन की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।

यह कोई रहस्य नहीं है कि चीन की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के खिलाफ गुस्सा और असंतोष बढ़ रहा है। अफगानिस्तान की सीमा से लगे शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के लिए भी देश सुर्खियों में रहा है।

कई विश्लेषकों ने उल्लेख किया है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से चीन को बढ़त मिलेगी, जिसके पास इस क्षेत्र की राजनीतिक रूपरेखा पर हावी होने के लिए भारी निवेश है। मगर साथ ही अफगानिस्तान में अस्थिर स्थिति को देखते हुए बीजिंग के लिए रोडमैप आसान नहीं होगा।

(यह आलेख इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)

--इंडिया नैरेटिव

(आईएएनएस)

Created On :   25 Aug 2021 5:00 PM IST

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