विश्व पर्यावरण दिवस : मानव और प्रकृति के बीच फिर से जुड़ती डोर

World Environment Day: Reconnecting between Human and Nature
विश्व पर्यावरण दिवस : मानव और प्रकृति के बीच फिर से जुड़ती डोर
विश्व पर्यावरण दिवस : मानव और प्रकृति के बीच फिर से जुड़ती डोर

बीजिंग, 5 जून (आईएएनएस)। हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, और इसे 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है। इस दिवस की स्थापना 1972 के स्टॉकहोम सम्मलेन के बाद हुई थी। दरअसल, इस दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है, और साथ ही उन्हें यह बताना है कि जैव विविधता के नुकसान को रोकने और प्रकृति को रक्षा करने में उनकी भी अहम भूमिका है।

हर साल विश्व पर्यावरण दिवस की एक नई थीम होती है, अब चूंकि कोरोनावायरस महामारी फैलने की वजह से दुनिया भर में लगे लॉकडाउन ने जैव-विविधता को एक नया जीवन दिया है, इसलिए इस साल पर्यावरण दिवस की थीम भी इसी पर आधारित है। इस बार की थीम है जैव-विविधता का जश्न। पिछली साल की थीम वायु प्रदूषण पर आधारित थी।

देखा जाए तो विश्व पर्यावरण दिवस की हर साल एक नई थीम होती है, जिसके आधार पर सरकार, निगम, समुदाय, गैर-सरकारी संगठन और मशहूर हस्तियां लोगों को पर्यावरण से संबंधित मूल्यों के प्रति जागरूक करती हैं।

शायद आप जानते होंगे कि हर साल एक अलग देश विश्व पर्यावरण दिवस पर होने वाली गतिविधियों व कार्यक्रमों की मेजबानी करता है। इससे मेजबान देश की पर्यावरण से संबंधित चुनौतियों व कठिनाइयों के बारे में भी पता चलता है, और उन्हें दूर करने के लिए सभी देश मिलकर प्रयास करते हैं। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी जर्मनी के साथ मिलकर कोलंबिया कर रहा है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि साल 2020 में कोविड-19 के कारण पूरी दुनिया दुखी और परेशान नजर आ रही है। कोरोना महमारी पर लगाम कसने के लिए कई देशों में लॉकडाउन लगाया गया। दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश हो, जिसने लॉकडाउन का दौर ना देखा हो। इस कोरोना की वजह से लोगों की जिंदगी में अचानक से भूचाल आ गया। काम-धंधे ठप होने से लोगों में मानसिक और भावनात्मक तनाव भी देखने को मिला।

लेकिन इस बीच साफ-सुथरा आसमान और हवा में बढ़ रहा ऑक्सीजन का स्तर सभी को राहत दे रहा है। पर्यावरण के लिए यह साल काफी अच्छा साबित हो रहा है। सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही, कारखानों का शोर सबकुछ बंद हो गया है, जिसके चलते हमारे आसपास न केवल वायु प्रदूषण में कमी आई है, बल्कि दुर्लभ जीव-जंतु भी देखने को मिले हैं। साथ ही इस कारण हमारी दिमागी और शारीरिक सेहत में भी काफी सुधार आया है।

चीन में जनवरी से ही कार्बन उत्सर्जन में 25 प्रतिशत की कमी देखी गई है। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में कार्बन मोनो-ऑक्साइड की मात्रा 2019 की तुलना में इस साल में आधी पायी गई है। वहीं, भारत की बात करें तो राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के बाद वायु प्रदूषण स्तर में 49 प्रतिशत की भारी कमी पायी गयी है। लिहाजा यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रकृति के साथ रिश्ते की जिस डोर को मनुष्य ने अपने स्वार्थ के चलते तोड़ दिया था, वह साल 2020 में फिर जुड़ती नजर आ रही है।

खैर, कोरोना के कारण ही सही, अचानक से हुए इस लॉकडाउन ने हम सभी की उम्मीद जगा दी है कि अगर मानव ठान ले तो प्रकृति को एक बार फिर खूबसूरत बनाया जा सकता है।

( (लेखक : , चाइना मीडिया ग्रुप में पत्रकार हैं। साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )

Created On :   6 Jun 2020 1:30 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story