West Africa News: इस अफ्रीकी देश में तख्तापलट! सत्ता पर सेना ने जमाया कब्जा, कई नागरिक शहर छोड़ने को मजबूर, जानिए क्या है मामला?

इस अफ्रीकी देश में तख्तापलट! सत्ता पर सेना ने जमाया कब्जा, कई नागरिक शहर छोड़ने को मजबूर, जानिए क्या है मामला?
देश गिनी-बिसाऊ में बुधावर को अचानक सत्ता पर संकट गहरा गया है। सैन्य अधिकारियों ने ऐलान करते हुए कहा कि सरकार पर पूरा नियंत्रण पा लिया है।

डिजिटल डेस्क, बिसाऊ। पश्चिम अफ्रीका के छोटे से देश गिनी-बिसाऊ में बुधावर को अचानक सत्ता पर संकट गहरा गया है। सैन्य अधिकारियों ने ऐलान करते हुए कहा कि सरकार पर पूरा नियंत्रण पा लिया है। इसके साथ ही सेना ने तुरंत प्रभाव से चुनावी प्रक्रिया को निलंबित भी कर दिया है। देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर प्रतिबंध लगाने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। यानी आसान भाषा में समझा जाए तो एक और अफ्रीकी देश में तख्तापलट हो गया है।

कई नागरिक शहर छोड़ने को मजबूर

यह घटनाक्रम ऐसे समय पर देखने को मिल है, जब तीन दिन पहले ही चुनाव हुए थे। इस दौरान राष्ट्रपि और संसद के लिए मतदान किए गए थे। राजधानी बिसाऊ में राष्ट्रपति भवन के नजदीक दोपहर के वक्त गोलियां भी चलाई गई, इसके बाद सैन्यकर्मियों ने पूरे इलाको को अपने कब्जे में ले लिया। यह नजारा देखने के बाद कई नागरिक घबारकर पैदल और अपने वाहनों से शहर छोड़ दिया।

बढ़ा दी गई सुरक्षा व्यवस्था

मौके पर मौजूद पत्रकारों ने जानकारी दी है कि सेना के जवानों ने मुख्य सड़कों पर बैरिकेड्स लगा दिए है, ताकि आवाजाही को रोका जा सके। इसके अलावा राष्ट्रपति भवन और आसपार के इलाकों में सुरक्षाबल बढ़ा दी गई है। इस घटना के बीच मौजूदा राष्ट्रपति उमरो सिस्सोको एम्बालो कहां चले गए है, इसकी सूचना अभी तक किसी के पास नहीं है। इस वजह से राजनीतिक अनिश्चितता और अधिक बढ़ गई हैं।

क्यों बनी ऐसी स्थिति

रविवार को इस देश में चुनाव हुए थे। इसके बाद दोनों प्रत्याशी एम्बालो और विपक्षी नेता फर्नांडो डायस ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया था, इनके आधिकारिक परिणाम गुरुवार को जारी होने वाले थे। ऐसी स्थिति साल 2019 के चुनाव में भी बनी थी, जब विजेता को लेकर कई महीनों तक विवाद चला था।

इस मामले में जानकारों का कहना है कि देशभर में पहले से ही संस्थागत अविश्वास, सत्ता संघर्ष और चुनावी प्रक्रिया को लेकर विवाद चल रहा था। वहां की सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य विपक्षी पार्टी PAIGC को इलेक्शन लड़ने से रोक दिया गया था। जिसे विपक्ष 'राजनीतिक हेरफेर' बता रहा है। आलोचकों ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति का कार्यकाल फरवरी में ही खत्म हो गया था, लेकिन उन्होंने अपना शासन जारी रखा।

Created On :   27 Nov 2025 12:13 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story