इन संकेतों से जानें कि आपका बच्चा समलैंगिक है या नहीं?
डिजिटल डेस्क। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 377 पर फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता (समलैंगिक) को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा है। ये एतिहासिक फैसला 7 सितंबर को सुनाया गया। धारा 377 के बाद अब भारत में समलैंगिक रिश्तों को वैधता मिल गई है, लेकिन अब भारत के हर परिवार में चिंता इस बात की बढ़ गई है कि कहीं उनका बेटा या बेटी भी होमोसेक्सुअल तो नहीं? और अगर है तो कहीं वो भी समलैंगिक रिश्तों में पड़ कर परिवार की इज्जत को ठेस ना पहुंचा दे। दरअसल भारत एक ऐसा देश है जहां अंतर्जातीय विवाह को भी क्राइम की नजरों से देखा जाता है। अंतर्जातीय विवाह लीगल होने के बावजूद हर साल ऑनर किलिंग के आंकड़े बढ़ जाते है। ऐसे में भारत में समलैंगिक रिश्तों को वैधता मिलना समाज के लिए एक झटका है।समलैंगिक का मतलब होता है होमोसेक्सुअल, यानेकि सेम सेक्स की तरफ आकर्षित होने वाला
इस धारा के बाद अब मां-बाप को चिंता सता रही है कि कहीं उनका बच्चा होमोसेक्सुअल ना हो। अगर आप भी अपने बच्चे के होमोसेक्सुअल ना होने की दुआ मांग रहे हैं तो ये भी जान लीजिए कि ईश्वर ने जिसे जैसे बनाया है उसे कोई बदल नहीं सकता और आपको ईश्वर की मर्जी के आगे झुकना ही पड़ता है। इसलिए हर मां बाप के लिए ये जनना जरूरी है कि उनका बच्चा होमोसेक्सुअल है या नहीं, ताकि वो अपने बच्चे को वैसी ही परवरिश दे सकें जैसी उसे जरूरत है। दरअसल कई बार हम बच्चों के मामले में थोड़े लापरवाह हो जाते हैं। खासकर उनकी गतिविधियों और इच्छाओं को लेकर। जब आपका बच्चा इतना बड़ा हो जाए कि वो इसे लेकर भी अपनी इच्छा जताने लगे कि उसे क्या पहनना अच्छा लगता है और क्या नहीं। उसे क्या पसंद या और क्या नहीं, तो जरा सावधानी बरतें। कुछ संकेत हैं जिन्हें पैरेंट्स को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हो सकता है कि ये होमोसेक्सुअल होने के संकेत हों।
ऊपर बताए इन संकेतों से आपको अपने बच्चे और उसकी गतिविधियों को करीब से जानने में मदद मिल सकती है। हालांकि इन संकेतों के अलावा ज़रूरी है कि जब भी ऐसी स्थिति आए तो किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।
डॉक्टर डायन इरनसैफ्ट, डिवेलपमेंटल ऐंड क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट के अनुसार, जो बच्चे अपने प्राइवेट पार्ट्स को लेकर गुस्सा और चिड़चिड़ापन दिखाते हैं, वे अपने लिंग को लेकर संतुष्ट नहीं होते। यानी उन्हें अपने जेंडर को लेकर कोई खुशी नहीं होती।
बच्चे जिस तरह के गेम्स खेलते हैं और उनकी रुचि किस तरह के गेम्स में है, इससे भी उनके सेक्शअुल ऑरियंटेशन के बारे में काफी कुछ पता लगाया जा सकता है। जहां टॉय ट्रक और बस से खेलना एक लड़की के लिए आम बात है और गुड़ियों से खेलना भी लड़कों के लिए काफी नॉर्मल है, वहीं इस ओर ध्यान देने की ज़रूरत है कि वे इस दौरान क्या-क्या बोलते हैं।
अगर बच्चा होमोसेक्सुल है तो फिर वह कुछ ऐसे संकेत देता है, जिनसे आप तुरंत ही उसके सेक्शुअल ओरियंटेशन के बारे में समझ जाएंगे। जैसे कि एक ट्रांसजेंडर बच्चा यह कहने के बजाय कि काश मैं एक लड़की होता, यह कहेगा कि वह एक लड़की है।
शुरुआत में पैरंट्स अपने बच्चों को अपने हिसाब से तैयार करते हैं। अपनी पसंद के कपड़े पहनाते हैं और स्टाइल करते हैं, लेकिन जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो फिर वे अपनी पसंद के हिसाब से कपड़ों से लेकर खाने-पीने तक का चुनाव करने लगते हैं, लेकिन पैरंट्स को इन संकेतों को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। अगर आपकी बेटी यह कहे कि उसे फ्रॉक या लड़कियों वाली ड्रेस पहनना बिल्कुल पसंद नहीं या फिर आपका बेटा लाइलैक और पिंक जैसे रंगों की तरफ आकर्षण दिखाए, तो सावधान हो जाएं।
एक बच्चे के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि उसके पैरंट्स उसे वही बाथरूम यूज़ करने के लिए क्यों कहते हैं, जो जेंडर स्पेसिफिक है। अगर आपका बच्चा उस वॉशरूम को यूज़ करने से मना करे, जिसे असल में उसे यूज़ करना चाहिए और इसके बजाय घंटों तक टॉइलट को रोके रखते हैं, तो यह होमोसेक्सुल होने का एक संकेत हो सकता है।
Created On :   11 Sept 2018 11:41 AM IST