World Theatre Day: कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हुई थी इस खास दिन की शुरुआत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रंगमंच एक ऐसा मंच जहां कला के कई रंग देखने को मिलते हैं। जहां लोगों को रंगमंच के सभी मूल्यों से रूबरू करवाया जाता है। जो हमारी संस्कृति और कला को आगे बढ़ाने का काम करता है। रंगमंच की इसी प्रथा को बढ़ावा देने के लिए हर साल 27 मार्च को दुनिया भर में विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) मनाया जाता है। देश में कई रंगमंच संस्थान है, जो इस प्रथा को बनाए रखे हुए हैं। दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनकारी कला संगठन यानी इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (International Theatre institute) के कई देशों में 90 से अधिक संस्थान हैं। रंगमंच से जुड़े लोग अपनी कला का प्रदर्शन कर सरकारों, राजनेताओं और संस्थाओं को जगाने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं।
रंगमंच दिवस की शुरूआत साल 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उदेश्य में लोगों में रंगमंच की कला को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही इस कला के माध्यम से हमारी संस्कृति को बढ़ावा मिल सके व रंगमंच से जुड़े कलाकारों को सम्मान मिल सके, इसलिए हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है। यह कलाकारों को उनकी भावनाओं तथा संदेशों को व्यापक तौर पर दर्शकों तक पहुंचाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
वैसे तो इस खास दिन की शुरूआत भारत में कई साल बाद हुई थी, लेकिन रंगमंच का इतिहास भारत में बहुत पुराना है। कहा जाता है कि नाट्यकला का विकास सबसे पहले भारत में ही हुआ था। ऋगवेद के कतिपय सूत्रों में यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी के कुछ संवाद हैं। इन संवादों में लोग नाटक के विकास को चिह्नित कर पाते हैं। मान्यता है कि इन्ही संवादों से प्रेरित होकर नाटक की रचना की गई और नाट्यकला का विकास हुआ।
छत्तीसगढ़ स्थित रामगढ़ के पहाड़ पर कालिदास जी द्वारा निर्मित एक प्राचीन नाट्यशाला मौजूद है। मान्यताओं के अनुसार महाकवि कालिदास ने इसी स्थान पर मेघदूत की रचना की थी। इसके आधार पर कहा जाता है कि अम्बिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड़ पर स्तिथ यह नाट्यशाला कालिदास जी द्वारा निर्मित भारत की सबसे पहली नाट्यशाला है।
इस खास दिन पर विश्वभर के कई थिएटर इंस्टीट्यूट सदस्यों द्वारा रंगमंच कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। लोगों को इसकी कला संस्कृति से अवगत करवाया जाता है। इसके जरिए कला प्रदर्शन के मूल्यों और महत्व को चिह्नित करने और दुनिया भर में सरकार को रंगमंच सूमहों का विस्तार करने का महत्व समझाया जाता हैं। साथ इस कला को बढ़ाने ओर विश्व रंगमंच दिवस पर अंतरराष्ट्रीय संदेशों को संबोधित करने के लिए, इस क्षेत्र से जुड़े खास व्यक्तियों को चुना जातो है।
वर्तमान में इसका महत्व बहुत बढ़ गया है। ज्यादा से ज्यादा लोग इस कला से जुड़कर अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और इस कला से जुड़कर सामाजिक संदेशों को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। कलाकर अपनी कला जितना इजॉय करता है, उससे कही ज्यादा दर्शक इस कला को इजॉय करता है।
Created On :   27 March 2019 12:52 PM IST