कच्चाथीवू विवाद: अब श्रीलंका के मंत्री ने बताया क्या है द्वीप पर छिड़े विवाद की हकीकत, क्या जवाब देने से कतराए विदेश मंत्री एस.जयशंकर?

अब श्रीलंका के मंत्री ने बताया क्या है द्वीप पर छिड़े विवाद की हकीकत, क्या जवाब देने से कतराए विदेश मंत्री एस.जयशंकर?
  • देश में गरमा रहा कच्चाथीवू विवाद
  • पीएम मोदी ने द्वीप को लेकर कांग्रेस पर लगाए आरोप
  • श्रीलंका के मंत्री ने किया रिएक्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कच्चाथीवु द्वीप को लेकर कांग्रेस और उसके सहयोगी दल पर लगाए गए आरोपों से सियासी बवाल मचा हुआ है। दरअसल, इस मुद्दे को हवा उस वक्त मिली जब पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट करते हुए कच्चाथीवू द्वीप से जुड़ी आरटीआई की एक रिपोर्ट का हवाला दिया। इस ट्वीट में उन्होंने द्वीप को लेकर साल 1974 में कांग्रेस की ओर से श्रीलंका को सौंपने का आरोप लगाया था। पीएम मोदी ने दावा किया है कि कांग्रेस की पूर्व सरकार ने श्रीलंका को यह कच्चाथीवू द्वीप जानबूझकर सौंपा था। देश की राजनीतिक गलियारों में चल रहे इस मसले पर अब श्रीलंका का रिएक्शन सामने आया है। द्वीपीय देश के एक मंत्री का कहना है कि भारत ने अब तक इस मुद्दे के मद्देनजर आधिकारिक रूप से कोई भी चर्चा नहीं की है।

उधर, तमिलनाडु के भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वीप को वापस पाने के लिहाज से कोई कसर नहीं छोड़ रही है। हालांकि, इन दावों के परे श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कैबिनेट में तमिल मूल के मंत्री जीवन थोंडामन का बयान सामने आया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि भारत से द्वीप को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। यदि भविष्य में इस पर चर्चा होती है तो इसके बारे में जानकारी जरूर साझा की जाएगी।

इसे लेकर जीवन थोंडामन ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को एक इंटरव्यू में बयान दिया है। उन्होंने कहा, "श्रीलंका की बात करें तो कच्चाथीवु श्रीलंका की सीमा रेखा में आता है। पीएम मोदी के साथ श्रीलंका के संबंध काफी मजबूत हैं। फिलहाल, भारत ने आधिकारिक रूप से कच्चाथीवू द्वीप पर अधिकारी को वापस लेने की कोई चर्चा नहीं की है। भारत ने ऐसा कोई भी आग्रह नहीं किया है। अगर भविष्य में इस पर बातचीत होती है, तो विदेश मंत्रालय इसका जवाब जरूर देगा।"

विदेश मंत्री एस जयंशकर का कांग्रेस पर हमला

पीएम मोदी की ओर से कच्चाथीवू मुद्दे पर कांग्रेस के आरोपों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की पूर्व सरकारों पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि साल 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी ने कच्चाथीवू दीप श्रीलंका को सौंप दिया। यह बात कई सालों तक कांग्रेस ने छिपाकर रखी थी।

विदेश मंत्री ने कांग्रेस की ओर से द्वीप को तुच्छ कहने पर उदासीनता भी जाहिर की। वहीं, प्रेस वार्ता के समय एस जयशंकर अन्नामलाई के द्वीप को भारत में विलय करने के दावों को नजरअंदाज नजर आए थे। ऐसे में उन्होंने केवल इतना कहा, "मामला सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है।"

जानिए क्या बोले श्रीलंकाई मंत्री

कच्चाथीवू विवाद पर आज तक में एक रिपोर्ट छापी है। जिसके मुताबिक श्रीलंका के एक अन्य मंत्री ने कहा कि देश की सीमा को नई सरकार की इच्छा के मुताबिक बदलाव नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "चाहे ये सही हो या गलत, कच्चाथीवू श्रीलंका की सीमा में पहले ही शामिल हो चुका है। जब सीमा एक बार निर्धारित हो जाती है, तो नई सरकार इसमें किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.... हालांकि, इस मुद्दे को लेकर श्रीलंका की कैबिनेट में किसी भी तरह की चर्चा नहीं हुई है। वहीं, इस पर भारत की तरफ से भी कोई आधिकारिक बयान नहीं किया गया है।

इसके बाद उन्होंने कहा, "अगर कच्चाथीवू का मुद्दा तमिल समुदाय के बारे में है तो तमिल सीमा के दोनों तरफ रहते हैं। अगर यह तमिल मछुआरों का मुद्दा है तो दोनों को जोड़कर देखना अनुचित और गलत है। क्योंकि भारतीय मछुआरों का मुद्दा महज जाल का मुद्दा है। जिसे वो भारतीय समुद्री सीमा के बाहर इस्तेमाल करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के हिसाब से गैर कानूनी है।"

उन्होंने आगे कहा, " जब पूरे समुद्री क्षेत्र में समुद्री संसाधनों का दोहन किया जा रहा है तो भारतीय तमिल मछुआरों के इन जाल का शिकार मुस्लिम या सिंहली मछुआरे नहीं बल्कि श्रीलंकाई तमिल मछुआरे हैं।"

यह भी पढ़े -आरटीआई से मिली जानकारी के बाद हमलावर हुए अन्नामलाई, कहा- कांग्रेस और द्रमुक ने श्रीलंका को कच्चातिवु सौंपने में मिलीभगत की

Created On :   2 April 2024 6:20 PM IST

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