बॉर्डर पर जय हिंद: चीन-पाकिस्तान से निपटने में भारत की सुरक्षा करेगा 'एंटी ड्रोन सिस्टम', जानिए सीमा सुरक्षा के लिए कितना अहम?

चीन-पाकिस्तान से निपटने में भारत की सुरक्षा करेगा एंटी ड्रोन सिस्टम, जानिए सीमा सुरक्षा के लिए कितना अहम?
  • एंटी ड्रोन सिस्टम भारतीय सीमा की सुरक्षा करेगा
  • एंटी ड्रोन सिस्टम तकनीक से लैस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत अपनी बॉर्डर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक कदम आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत अपने सीमा पर एंटी ड्रोन सिस्टम को एक्टिव करने जा रहा है। इस तकनीकी ड्रोन से भारतीय सीमा की सुरक्षा में एक नया आयाम आएगा। बीते दिन यानी 26 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एंटी ड्रोन सिस्टम की घोषणा करते हुए कहा कि, भारत सरकार सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है जिसका ध्यान रखते हुए बॉर्डर पर एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया जाएगा।

एंटी ड्रोन सिस्टम रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करता है, जिसके जरिए ये दुश्मन देश के हथियार का पता लगा कर उसे मार गिराने में सक्षम है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित हुए जी20 की बैठक में इसका उपयोग किया गया था। विदेशी महेमानों की सूरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके आवास और आने जाने में इस ड्रोन ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। अब इसी ड्रोन को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि जल्द ही इसका उपयोग भारतीय सीमा सुरक्षा को लेकर किया जाएगा।

क्या है एंटी ड्रोन सिस्टम?

एंटी ड्रोन सिस्टम एक हाई क्वालिटी टेक्नोलॉजी है, जिसका उपयोग मानवरहित हवाई उपकरणों यानी Unmanned Aerial Devivces को जैम करने के लिए किया जाता है। अलग-अलग ड्रोन्स की अपनी-अपनी क्षमताएं होती हैं, जिस पर वे काम करते हैं। एंटी ड्रोन सिस्टम टेक्नोलॉजी रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन की पहचान करती है। अगर इस ड्रोन को हवा में कोई अन्य गतिविधी नजर आती है तो तुरंत इसकी जानकारी सेना को मिल जाती है। भारत, दुश्मन देशों से अपनी सीमा को सुरक्षित रखने के लिए नए-नए तकनीक अपना रहा है ताकि बॉर्डर पर कोई हलचल पैदा न हो।

भारत में कौन सा है एंटी ड्रोन सिस्टम ?

भारत के पास कई ड्रोन सिस्टम मौजूद हैं। जिसमें प्रमुख ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रोय सिस्टम यानी D4 ड्रोन है। इस ड्रोन को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने तीन सालों में बनाया है। DRDO के मुताबिक, D4 ड्रोन हवा में 3 किमी. की रेडियस में दुश्मन का पता लगाकर 360 डिग्री की कवरेज करता है। ये ड्रोन दुश्मन का पता लगाने के बाद दो तरीके से काम करता है। सबसे पहले ये हार्ड किल उसके बाद सॉफ्ट किल पर कार्य करता है।

दो मेथड पर का करता है D4 ड्रोन

जानकारी के मुताबिक, D4 ड्रोन को हार्ड किल कमांड दी जाती है तो यह अपने लेजर बीम के जरिए दुश्मन ड्रोन को नष्ट कर देता है। जबकि सॉफ्ट किल के तहत D4 ड्रोन दुश्मन ड्रोन को नीचे गिरा सकता है या फिर लेजर बीम के जरिए उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नष्ट कर सकता है, जिससे ऑपरेटर से दुश्मन ड्रोन का संपर्क टूट जाता है। इसी साल 26 जनवरी के मौके पर D4 ड्रोन का उपयोग किया था। गणतंत्र दिवस के खास मौके पर इस्तेमाल करने से पहले कई बार इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। उसके बाद इसे सशस्त्र बलों में शामिल किया गया। D4 ड्रोन सिस्टम की खासियत डीआरडीओ के साइंटिस्ट बीके दास ने बताया था कि, यह दुश्मन के ड्रोन का पता कर उसे तुरंत सॉप्ट किल के जरिए जैम कर देता है और हार्ड किल के जरिए लेजर का इस्तेमाल कर ड्रोन को नष्ट भी कर सकता है। जिससे दुश्मन देश का मंसूबा कभी नहीं पूरा होता है।

इन देशों के पास है एंटी ड्रोन सिस्टम

एंटी ड्रोन सिस्टम के मामले में इजरायल सबसे आगे है। इसके पास कई आधुनिक ड्रोन है, जो युद्ध को देखते हुए बनाया गया है। इजरायल के पास ड्रोन डोम है, जो 360 कवरेज देता है और इसमें जैमर और सटीक लेजर गन मौजूद हैं। इस ड्रोन की खासियत है कि ये रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन का पता तुरंत लगा लेता है। इजरायल के अलावा अमेरिका भी खतरनाक ड्रोन का इस्तेमाल करता है। अमेरिका के पास ड्रोन हंटर है, जो नेट गन से ड्रोन को निशाना बनाने के साथ हवा में ही उस पर कब्जा करने में सक्षम है।

Created On :   27 Sep 2023 7:18 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story