अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग: अंतरिक्ष से जुड़ी रक्षा क्षमताओं के लिए सशस्त्र बलों ने 25 हजार करोड रुपये की योजना बनाई: सीडीएस जनरल अनिल चौहान

अंतरिक्ष से जुड़ी रक्षा क्षमताओं के लिए सशस्त्र बलों ने 25 हजार करोड रुपये की योजना बनाई: सीडीएस जनरल अनिल चौहान
  • निगरानी उपग्रहों के निर्माण से लेकर सुरक्षित संचार नेटवर्क
  • ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ सेवाओं और भू स्टेशन का एक मजबूत नेटवर्क
  • अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग के लिए अमृतकाल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की है। इस राशि में निगरानी उपग्रहों के निर्माण से लेकर सुरक्षित संचार नेटवर्क भी शामिल है। उन्होंने सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उद्योग से मल्टी-सेंसर उपग्रहों, ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ सेवाओं और भू स्टेशन का एक मजबूत नेटवर्क विकसित कर खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) क्षमताओं को बढ़ाने में भागीदार बनने का आग्रह किया।

जनरल चौहान ने एसआईए-इंडिया द्वारा आयोजित डेफसैट सम्मेलन और एक्सपो को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए भारत के निजी उद्योगों से इस अवसर का उपयोग देश को उभरते दोहरे उपयोग-क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए करने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि भविष्य की हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, अगर मैं एक मोटा अनुमान लगाऊं, तो आने वाले कुछ वर्षों में हमारा परिव्यय 25,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। निजी उद्योग के लिए इस अवसर का इस्तेमाल करने का यह सही समय है।

वर्तमान दौर को लेकर उन्होंने कहा अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग के लिए यह अमृतकाल हो सकता है। मुझे लगता है कि अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए अब एक अत्यधिक सक्षम आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का समय आ गया है। उच्च गति वाला, सुरक्षित, उपग्रह सहायता प्राप्त संचार विकास का एक अन्य क्षेत्र है। जनरल चौहान ने कहा, ‘‘विश्वसनीय और टिकाऊ कवरेज प्रदान करने के लिए उपग्रह इंटरनेट की शुरुआत, 5जी पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने वाले उपग्रह, स्वचालित उपग्रह और एलईओ उपग्रहों की दिशा में निवेश करने की आवश्यकता है।

सरकारी समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक जनरल चौहान ने नाविक (उपग्रह आधारित स्वदेशी दिशा-सूचक प्रणाली) को मजबूत करके स्वदेशी पोजिशनिंग, दिशा-सूचक और टाइमिंग (पीएनटी) सेवाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सशस्त्र बल अपनी पीएनटी आवश्यकताओं के लिए विदेशी प्रणालियों पर निर्भर नहीं रह सकते। नेविगेशन, सिंक्रोनाइजेशन के साथ-साथ लंबी दूरी की भागीदारी के लिए पीएनटी सेवाओं को लेकर सुरक्षित, विश्वसनीय और टिकाऊ नाविक प्रणाली के निर्माण की आवश्यकता होगी। भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के निदेशक शैलेश नायक और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।

Created On :   7 Feb 2024 1:47 PM GMT

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