मैडम तुसाद संग्रहालय: बाबा रामदेव बने मैडम तुसाद में एंट्री मार ने वाले पहले भारतीय संन्यासी, दिल्ली में अनावरण के बाद न्यूयॉर्क के म्यूजियम में रखी जाएगी वैक्स स्टैच्यू

बाबा रामदेव बने मैडम तुसाद में एंट्री मार ने वाले पहले भारतीय संन्यासी, दिल्ली में अनावरण के बाद न्यूयॉर्क के म्यूजियम में रखी जाएगी वैक्स स्टैच्यू
  • बाबा रामदेव के मोम की मूर्ति का अनावरण
  • न्यूयॉर्क के मैडम तुसाद संग्रहालय में लगेगी मूर्ति
  • वृक्षासन पोज में बनाई गई है मूर्ति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सजीव दिखने वाली मोम की प्रतिमाओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध मैडम तुसाद संग्रहालय में एक और भारतीय की एंट्री हुई है। मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव के मोम की मूर्ति का अनावरण स्वयं बाबा रामदेव के हाथों हुआ। अनावरण के बाद इस मूर्ति को न्यूयॉर्क स्थित मैडम तुसाद म्यूजियम में फरवरी माह में लगाया जाएगा। बाबा रामदेव पहले भारतीय संन्यासी हैं जिनकी मोम की प्रतिकृति मैडम तुसाद म्यूजियम में लगेगी। वृक्षासन करते हुए बाबा रामदेव की मूर्ति बनाई गई है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने के लिए 200 से ज्यादा बार उन्हें मापा गया।

'ये सम्मान योग का है' - बाबा रामदेव

दिल्ली के कार्यक्रम में अपनी मोम की मूर्ति का अनावरण करने के बाद बाबा रामदेव ने इस विशेष उपलब्द्धि पर खुशी जताया और इसे योग और भारतीय संस्कृति का सम्मान बताया। उन्होंने कहा, "..ये सम्मान योग का है, ये सम्मान भारत की सनातन सांस्कृतिक विरासत का है... भारत की अपनी गौरवशाली अध्यात्म की परंपरा का जिसको हमारे पूर्वजों ने जीया। लोग अब तक सोचते थे कि अगर आपको दुनिया के आगे आदर्श बनना है तो किसी और ही रास्ते पर चलना होगा... लेकिन जब इस वैक्स संग्राहलय में एक साधू का पुतला भी लगेगा तो ये सनातन के सत्य के विजय की प्रतिष्ठा होगी।

मैडम तुसाद न्यूयॉर्क के प्रवक्ता ने कही ये बात

दिल्ली में आयोजित अनावरण कार्यक्रम में मैडम तुसाद न्यूयार्क की ओर से प्रवक्ता टियागो मोगोडोयूरो ने कहा, "बाबा रामदेव की मोम की मूर्ति का आज अनावरण करते हुये हमें बेहद खुशी हो रही है। योग के प्रचार, आयुर्वेद संस्कृति के परिचय और स्वस्थ जीवन की वकालत के माध्यम से समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता वाकई में हम सभी के जिसे एक उपहार है। हमारे विश्व प्रसिद्ध मैडम तुसाद न्यूयॉर्क वैक्स म्यूजियम में इस करिश्माई व्यक्तित्व की मूर्ति को प्रदर्शित किया जाना हम सभी के लिए गौरव का पल है।"

आचार्य बालकृष्ण ने कही ये बात

पतंजलि योगपीठ के सह संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने इस खास मौके पर हर्ष जताते हुए कहा, "यह सब प्रेरणा लेने के लिए किया जा रहा है। हम कहते हैं चित्रण नहीं चरित्र से प्रेरणा को और चरित्र की पूजा करो. एक संन्यासी को विश्व के सबसे बड़े वैक्स म्यूजियम के अट्रैक्शन में शामिल कर सम्मान और गौरव दिया है। यह संकेत है कि आने वाला शताब्दी भारत की है।" इस दौरान पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ट्रस्टी सुनीता पोद्दार भी मौजूद रही।

Created On :   30 Jan 2024 12:31 PM GMT

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