Bihar Assembly Speaker: विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर बिहार में गर्मागर्मी, जानें क्यों है स्पीकर पद की इतनी अहमियत?

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में नई सरकार के गठन को लेकर राजनीति तेज है। इसी बीच स्पीकर के पद को लेकर भी सियासत गर्माई हुई है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, इसको 'सीएम का खेल और स्पीकर की भूमिका' कहा जाता है। विधानसभा स्पीकर का पद विधानसभा में सत्ता का और रणनीतियों का एक बहुत ही अहम हिस्सा होता है। जानकारी के मुताबिक, स्पीकर सिर्फ एक पद नहीं है बल्कि राजनीतिक रणनीति ौर शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। जैसा ही राजनीतिक माहौल है, उसका सीधा और साफ संदेश है कि जिसका स्पीकर उसका ही खेल।
स्पीकर पद पर गर्मागर्मी
नीतीश कुमार के शपथ लेने से पहले ही स्पीकर पद पर बीजेपी और जेडीयू दोनों ही परेशान हैं। अभी ये पद बीजेपी के पास है लेकिन जेडीयू का कहना है कि विधानसभा परिषद सभापति का पद बीजेपी के पास है, तो विधानसभा स्पीकर के पद पर जेडीयू को होना चाहिए। इसके अलावा, बीजेपी का कहना है कि सीएम का पद जेडीयू के पास है तो विधानसभा अध्यक्ष का पद उनको मिलना चाहिए।
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सीएम के साथ स्पीकर पद क्यों जरूरी?
संविधान के आर्टिकल 178 में परिभाषित स्पीकर की भूमिका के मुताबिक, ये पद विधानसभा के प्रमुख और पीठासीन अधिकारी का माना जाता है। स्पीकर सदन की कार्यवाही संचालित करता है और विपक्ष के नेता को मान्यता देता है। साथ ही अगर अनिवार्य है तो सदन की गुप्त बैठक भी बुला सकता है। स्पीकर विधायकों के अनियंत्रित व्यवहार पर भी नियंत्रण बनाने का काम करता है। स्पीकर अविश्वास और निंदा प्रस्ताव को भी अनुमति दे सकता है। साथ ही ये भी तय कर सकता है कि कौन सा सदस्य कब वोट करेगा।
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राजनीतिक तौर पर स्पीकर पद क्यों जरूरी?
राजनीतिक तौर पर भी स्पीकर पद बहुत ही ज्यादा अहम है क्योंकि स्पीकर के पास कई महत्वपूर्ण शक्तियां होती हैं। 1985 के दल-बदल कानून के तहत स्पीकर किसी भी विधायक को आयोग्य घोषित करने की शक्ति रखता है। छोटे दलों के विधायकों का दूसरे दल से जुड़ने की संभावना रहती है। इसलिए राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए भी ये पद काफी ज्यादा अहम माना जाता है।
Created On :   19 Nov 2025 9:10 AM IST













