Chandra Grahan 2025: भारत में लगा इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण, जानें कब होगा समाप्त और किन बातों का रखें ध्यान

भारत में लगा इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण, जानें कब होगा समाप्त और किन बातों का रखें ध्यान
  • देश में शनिवार को साल का अंतिम चंद्रग्रहण
  • जानें कब होगा समाप्त
  • इन बातों का रखें खास ध्यान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में रविवार रात 9 बजकर 58 मिनट पर साल 2025 का अंतिम चंद्र ग्रहण शुरू हुआ। यह ग्रहण शनि की राशि कुंभ और गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लग रहा है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस चंद्र ग्रहण का विशेष प्रभाव कुंभ राशि के जातकों और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्में लोगों पर पड़ सकता है। दरअसल, यह ग्रहण भारत में दिखाई दे रहा है। ऐसे में इससे जुड़े सभी धार्मिक और पारंपरिक नियम मान्य होंगे। इस दौरान ग्रहण काल के समय घरों से मंदिरों तक विशेष सावधानियां बरतनी जरूरी है। इस समय खाना बनाने और ग्रहण करना सही नहीं है। इसके अलावा किसी भी नए कार्य को शुरू करना अनुचित माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ग्रहण के समय शुभ कार्यों को करने से नकारात्मकता आ सकती है। इसलिए इस अवधि में सिर्फ भगवान के नामों का स्मरण करना चाहिए। आइए जानते हैं ग्रहण के समाप्त होने से लेकर इस समय तक किन चीजों को करना सही माना गया है।

कब समाप्त होगा चंद्र ग्रहण 2025

ज्योतिषियों की मानें तों, 7 सितंबर रात 9 बजकर 58 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू हुआ है। जो देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण की अवधि कुल 3 घंटे 29 मिनट की रहेगी।

ग्रहण में न करें ये चीजें

* ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए, यह अशुभ होता है।

* रसोई घर का कोई काम न करें। इससे घर में नकारात्मकता आती है।

* बाल भी नहीं काटने चाहिए।

* धार्मिक कार्य करने से बचें।

* यदि संभव हो, तो कोई भी यात्रा पर न निकलें।

* आप इस समय पूजा-पाठ और भगवान की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए।

* आप इस अवधि में कोई भी खरीदारी न करें। यह अशुभ होता है।

* ग्रहण में आप शरीर पर तेल भी न लगाएं।

* गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखने से बचना चाहिए।

* गर्भवती महिलाएं बाहर जाने की भूल न करें

* सुई से जुड़ा कोई भी काम न करे।

ग्रहण के समय क्या करें

चंद्र ग्रहण के समय आप केवल इन मंत्रों का स्मरण करें।

भगवान विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:

भगवान विष्णु का बीज मंत्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः

महामृत्युंजय मंत्र

ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।

Created On :   8 Sept 2025 12:48 AM IST

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