विशेषज्ञों ने कहा, कुश्ती संघ प्रमुख को गिरफ्तार करना आईओ के हाथ में

विशेषज्ञों ने कहा, कुश्ती संघ प्रमुख को गिरफ्तार करना आईओ के हाथ में
Brij Bhushan Sharan Singh.

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 21 अप्रैल को यौन उत्पीड़न और पोक्सो एक्ट की धाराओं में दो प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी अब तक उनकी गिरफ्तारी न होने पर सवाल उठ रहे हैं।

पुलिस के अनुसार, सिंह के खिलाफ 21 अप्रैल को सात पहलवानों के बयानों के आधार पर दर्ज की गई दो प्राथमिकियों में से एक आईपीसी की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354डी (पीछा करना) के तहत दर्ज की गई है। दूसरी पोक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत दर्ज की गई है।

आईपीसी की धारा 354ए के तहत आरोपों के लिए एक साल तक की सजा या जुमार्ना है, जबकि धारा 354डी के तहत पांच साल तक की सजा और जुमार्ना है। पोक्सो एक्ट की धारा 10 के मामले में अधिकतम सजा सात साल है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई अभियुक्त जांच में सहयोग कर रहा है, तो गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी का निर्णय पुलिस के पास है।

सिंह की गिरफ्तारी की मांग तीन गैर-जमानती और गंभीर अपराधों के कारण हुई है, कानूनी प्रावधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले मामले पर अधिक स्पष्टता प्रदान करते हैं।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 41ए और शीर्ष अदालत के विभिन्न निर्णयों के अनुसार, यदि अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा सात साल से कम है तो आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने कहा कि गिरफ्तारी का फैसला पूरी तरह से पुलिस अधिकारियों के पास है। हालाँकि, गंभीर अपराधों से जुड़े मामलों में, आमतौर पर गिरफ्तारी करने का मानदंड माना जाता है।

जिंदल ने कहा, विशेष रूप से, पोक्सो अधिनियम के तहत अपराधों को गैर-जमानती के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसलिए, यदि वैध जांच की आवश्यकता है, तो परिणामी कार्रवाई के रूप में गिरफ्तारी की संभावना अधिक है।

सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य वकील रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि सिंह को गिरफ्तार करने में देरी मामले की प्राथमिक जांच के कारण हो सकती है।

सिंह ने कहा, इसके अलावा, चूंकि पोक्सो अधिनियम और अन्य कृत्यों के तहत कथित रूप से किए गए अपराधों में सात साल तक की सजा होती है, इन परिस्थितियों में जांच अधिकारी सीआरपीसी की धारा 41 और धारा 41-ए के प्रावधानों का पालन कर सकता है। इस संबंध में अमरेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की नजीर है। अगर आरोपी जांच अधिकारी (आईओ) के साथ सहयोग नहीं करता है, तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।

पिछले महीने सिंह का बयान दर्ज किया गया था और एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) भी गठित की गई थी।

दिल्ली पुलिस ने कहा था, पहलवानों की शिकायत पर, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का बयान दर्ज किया गया और कुछ दस्तावेजों की मांग की गई। बृजभूषण ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया। चार महिला अधिकारियों सहित 10 पुलिस कर्मियों के साथ एक एसआईटी का गठन किया गया। 10 -सदस्यीय एक दल भी एक महिला डीसीपी की देखरेख में गठित किया गया था।

(आईएएनएस)

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Created On :   2 Jun 2023 3:27 PM GMT

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