विशाखापट्टनम: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आर्ट प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन के कमीशनिंग समारोह में हुए शामिल

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आर्ट प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन के कमीशनिंग समारोह में हुए शामिल
  • आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में आर्ट प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन के कमीशनिंग समारोह
  • मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड को, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स को विशेष बधाई
  • मेहनत और लगन से INS उदयगिरी और INS हिमगिरी को तैयार किया

डिजिटल डेस्क, विशाखापट्टनम। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आर्ट प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन के कमीशनिंग समारोह में हिस्सा लेने के लिए आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम पहुंचे। आपको बता दें यह पहला मौका होगा जब दो अलग-अलग शिपयार्ड में बने दो प्रमुख युद्धपोतों को एक साथ कमीशन किया जाएगा, जो भारत के पूर्वी समुद्री तट के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। उदयगिरि और हिमगिरि प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक) श्रेणी के फ्रिगेट के अनुवर्ती जहाज हैं। दोनों जहाजों में डिजाइन, स्टील्थ, हथियार और सेंसर प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं। ये ब्लू वाटर परिस्थितियों में समुद्री अभियानों की पूरी श्रृंखला को अंजाम देने में सक्षम हैं। नौसेना की परंपरा को ध्यान में रखते हुए दोनों फ्रिगेटों का नाम पूर्ववर्ती आईएनएस उदयगिरि (एफ35) और आईएनएस हिमगिरि (एफ34) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने रिटायर होने से पहले 30 सालों से अधिक समय तक राष्ट्र की विशिष्ट सेवा की थी।

रक्षा मंत्री ने कहा मैं आज इस अवसर पर, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड को, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स को, विशेष बधाई देता हूँ। जिस जज्बे के साथ, जिस मेहनत और लगन के साथ आपने INS उदयगिरी और INS हिमगिरी को तैयार किया है, वह अपने आप में incredible है।

मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित उदयगिरि और कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा निर्मित हिमगिरि देश की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता के साथ-साथ भारत के प्रमुख रक्षा शिपयार्डों के बीच तालमेल को बताता हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित INS हिमगिरि और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित INS उदयगिरि दोनों आधुनिक युद्धपोत हैं जिनका निर्माण स्वदेशी तौर पर किया गया है। मुझे बताया गया है कि इन युद्धपोतों में कई उन्नत क्षमताएं हैं। इनमें लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलें, स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर, टारपीडो लॉन्चर, युद्ध प्रबंधन प्रणाली और अग्नि नियंत्रण प्रणाली लगाई जा सकती हैं। ये दोनों युद्धपोत समुद्र में खतरनाक अभियानों में गेम-चेंजर साबित होंगे

आपको बता दें उदयगिरि को अपनी श्रेणी का सबसे तेज जहाज होने का गौरव प्राप्त है। यह भारतीय शिपयार्डों द्वारा अपनाई गई मॉड्यूलर निर्माण पद्धति का नतीजा है। उदयगिरि और हिमगिरि के नौसेना में शामिल होने से नौसेना की युद्धक तत्परता बढ़ेगी और युद्धपोत डिजाइन एवं निर्माण में आत्मनिर्भरता को लेकर देश में संकल्प की पुष्टि होगी। साथ ही नौसेना में शामिल होने के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में अपने समुद्री हितों की रक्षा करने की देश की क्षमता और मजबूत होगी।

Created On :   26 Aug 2025 4:56 PM IST

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