इसरो को मिली बड़ी सफलता: अंतरिक्ष यान पर सफलतापूर्वक तैनात किए मैग्नेटोमीटर सेंसर

अंतरिक्ष यान पर सफलतापूर्वक तैनात किए मैग्नेटोमीटर सेंसर
  • आदित्य एल-1 सैटेलाइट पर मैग्नेटोमीटर बूम
  • कम तीव्रता वाले अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापना आसान
  • कार्बन फाइबर से बनाया गया मैग्नेटोमीटर बूम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आदित्य एल-1 सैटेलाइट पर मैग्नेटोमीटर बूम को सफलतापूर्वक तैनात कर दिया है। इसका टारगेट अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापना है। इसे 11 जनवरी को एल-1 प्वाइंट पर हेलो कक्ष में तैनात किया गया। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि आदित्य एल-1 के लॉन्च के बाद से बूम स्थिर स्थिति में था। मैग्नोमीटर बूम छह मीटर लंबा है। मिली जानकारी के मुताबिक बूम को कार्बन फाइबर से बनाया गया है। यह सेंसर के लिए इंटरफेस के रूप में काम करता है।

अमर उजाला के मुताबिक सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला मिशन आदित्य एल-1 धरती से करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर एल-1 प्वाइंट पर सफलतापूर्वक पहुंचा था। जिससे अंतरिक्ष यान 127 दिन बाद तक सूर्य को देखने में सक्षम हो पाया। अंतरिक्ष यान दो सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था। एल-1 प्वाइंट में सौर आकाशलोचन (सोलार ऑब्जर्वेटरी) का मकसद निरंतर सूर्य के क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल डायनेमिक्स की स्टडी करना था।

इसरो के मुताबिक, बूम में उच्च सटीकता वाले दो अत्याधुनिक फ्लेक्सगेट मैग्नोमीटर सेंसर लगे हैं, जो अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापते हैं। ये सेंसर स्पेसशिप से तीन और छह मीटर की दूरी पर लगाए गए हैं। इतनी दूरी पर ये सेंसर स्थापित करने से अंतरिक्ष यान के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव कम हो जाता है। अंतरिक्ष संगठन के अनुसार इन सेंसर का इस्तेमाल करने से इस प्रभाव का सटीक अनुमान लगाने में मदद मिलती है। यह सेंसर प्रणाली अंतरिक्ष यान के चुंबकीय प्रभाव को कम करने की सुविधा प्रदान करती है।

Created On :   26 Jan 2024 12:17 PM GMT

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