बिहार : बीमार, लावारिस बेजुबानों के जख्मों पर वर्षों से मरहम लगा रहे अतुल्य

Bihar: Incredible has been healing the wounds of the sick, unclaimed voiceless for years
बिहार : बीमार, लावारिस बेजुबानों के जख्मों पर वर्षों से मरहम लगा रहे अतुल्य
बिहार बिहार : बीमार, लावारिस बेजुबानों के जख्मों पर वर्षों से मरहम लगा रहे अतुल्य

डिजिटल डेस्क, पटना। आज मतलबी इस दुनिया में जब अधिकांश लोग अपने परिवार से भी मुंह मोड़ लेते हैं, ऐसे में बेजुबानों के लिए कुछ करने के लिए सोचने की बात ही बेमानी लगती है। लेकिन, बिहार की राजधानी में एक युवक ने इस मतलबी दुनिया में भी बेजुबानों के दुख दर्द को समझा और आज वह इन बेजुबान खासकर कुत्तों के लिए मसीहा बन गया है।

पटना के युवक अतुल्य गूंजन की पूरी टीम लावारिस बीमार कुत्तों को न केवल इलाज करवाते हैं बल्कि उन्हें आसरा भी देते हैं। अतुल्य इन कुत्तों के लिए दो फ्लैट किराए पर ले रखा है, जहां बीमार कुत्तों की देखभाल की जाती है। अतुल्य की इस काम में उनका सहयोग उनकी कंपनी की सहयोगी मोनालिसा भी बखूबी देती हैं।

अतुल्य गूंजन बताते हैं कि अब तक कई कुत्तों का वे इलाज कर स्वस्थ कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके पास 10 से 12 कुत्ते हैं जो उनके साथ हैं। इनमें एक कुत्ता अंधा है जबकि एक कुत्ते के शरीर का पिछला हिस्सा काम नहीं करता।

आईएएनएस से उन्होंने कहा कि इनमें तीन कुत्ते विदेशी नस्ल के हैं। वे बताते हैं कि दुर्घटना के शिकार हुए कुत्ते को भी घर ले आते हैं और उसकी इलाज करवाते हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्य की शुरूआत पांच से छह वर्ष पूर्व की थी जब तीन छोटे कुत्तों के बच्चे की मां का मेरे सामने एक दुर्घटना में मौत हो गई। वे बताते हैं कि इन तीनों बच्चों को घर ले आया और इस कार्य की शुरूआत हो गई।

इसके बाद तो यह सिलसिला प्रारंभ हो गया। अब तो शहर में बीमार, लावारिस कुत्तों के लिए फोन आने लगे। उन्होंने कहा कि पटना वेटनरी कॉलेज के गेट में कोई बांध कर जर्मन शेफर्ड और पामेलियन कुत्ते को छोड़ गया था। जर्मन शेफर्ड अंधा है। उसे भी हमलोग ले आए।

पशु प्रेमी अतुल्य ने इन बीमार कुत्तों के लिए एक फ्लैट लिया हुआ है, जबकि दूसरा फ्लैट अनीसाबाद के किसान कॉलोनी में लिया हुआ है। ये अब पटना में एक बड़ा मकान चाहते है जहां जानवरों को स्वच्छंद रखा जा सके।

अतुल्य एक वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी में काम करते हैं और अपनी सैलरी का करीब 70 फीसदी हिस्सा इन कुत्तों की देखभाल में खर्च कर देते हैं। इसके अलावा, मित्रों और परिजनों का भी सहयोग मिलता है। वे कहते है कि इस कार्य के लिए कहीं से कोई फंड नहीं लेता।

खास बात यह है कि ये कुत्ते भले ही किसी नस्ल के हैं लेकिन अतुल्य इनको वैक्सीनेशन से लेकर इनकी बीमारी तक का सारा ख्याल रखते हैं। जितने भी कुत्तों को अतुल्य ने फ्लैट में रखा हुआ है, सबका अनिवार्य वैक्सीनेशन होता है। इन्हें विभिन्न प्रकार के टीके भी दिए गए हैं ताकि उन्हें किसी प्रकार की कोई बीमारी न हो।

अतुल्य के इस अतुलनीय काम में सहयोग करने वाली मोनालिसा बताती है कि इन कुत्तों को हैंडल करना बिल्कुल बच्चों के हैंडल करने जैसा ही होता है। यह हमारे रूटीन में नहीं ढलते बल्कि हमें इनके रूटीन में ढलना पड़ता है। सुबह उठने से लेकर रात में सोने के वक्त तक हमारी प्राथमिकता इनकी रूटीन होती है।

शुरूआती दौर में इनके लिए ट्रेनिंग करनी होती है ताकि यह जहां रह रहे हैं वहां के वातावरण को अपना सके। हमें भी इनकी बातों को कई बार समझना पड़ता है कि कब इन्हें बाहर जाना है, कब खाना है। जैसे हम एक-दूसरे को समझते हैं तो वैसे ही कहीं न कहीं ये पशु भी हमें समझने लगते हैं। चिकित्सकों से भी लगातार संपर्क में रहना पड़ता है।

मोनालिसा आईएएनएस को बताती है कि जानवरों को लेकर हमें शुरू से लगाव रहा है। वे बताती हैं कि अन्य पशु और पक्षियां भी कभी दुर्घटनग्रस्त मिल जाती हैं, उन्हें भी हम छोड़ नहीं पाते।

अतुल्य और मोनालिसा बताती हैं कि यह काम उतना आसान नहीं है। शुरू में घर से लेकर मित्रों तक ने इस काम को लेकर विरोध किया। लेकिन बाद में सभी ने सहयोग देना प्रारंभ कर दिया। अब तो पूरी एक टीम तैयार हो गई। अतुल्य का पूरा परिवार इस कार्य में अब सहयेाग करता है।

अतुल्य की मां इस काम को लेकर गर्व महसूस करते हुए कहती हैं कि आज जब इंसान ही इंसान की कद्र नहीं कर रहा है तो इन बेजुबानों की कद्र करना बड़ी बात है। उन्होंने हालांकि सभी लोगों से बेजुबानों की कद्र करने की अपील की।

 

आईएएनएस

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Created On :   24 July 2022 8:30 AM GMT

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