केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में कांग्रेस, 10 दिन तक करेगी विरोध प्रदर्शन

Congress to surround the union, will protest for 10 days
केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में कांग्रेस, 10 दिन तक करेगी विरोध प्रदर्शन
केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में कांग्रेस, 10 दिन तक करेगी विरोध प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश मंदी के दौर से जूझ रहा है, साथ ही अर्थव्यवस्था की कमर भी टूटी जा रही है। इसके चलते भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को कांग्रेस द्वारा लगातार निशाना बनाया जा रहा है। इसी बीच अब कांग्रेस देश की आर्थिक स्थिति को मुद्दा बनाते हुए मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने जा रही है। कांग्रेस का यह विरोध प्रदर्शन 5 नवंबर से 15 नवंबर तक रहेगा। साथ ही पार्टी द्वारा आर्थिक स्थिति के खिलाफ 1 नवंबर से 8 नवंबर तक कुल 35 प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी।

 

वहीं 18 नवंबर से 13 दिसंबर के बीच चलने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में विपक्ष अर्थव्यवस्था की सुस्ती के अलावा अयोध्या विवाद और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के मुद्दे पर मोदी सरकार की घेराबंदी करने की भी कोशिश कर सकता है। हालांकि भाजपा को भी इसका अंदाजा है। इस वजह से संसद में मुखर होकर बोलने वाले पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा के प्रमुख सांसद अभी से इन विषयों की तैयारी में जुट गए हैं। भाजपा मुख्यालय पर बैठने वाली रिसर्च टीम से भी इन विषयों पर पूरी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।

भाजपा के एक वरिष्ठ राज्यसभा सांसद के मुताबिक कश्मीर पर पिछले सत्र में ही बहुत सारी बहस हो चुकी है, अब वहां के हालात सामान्य हैं। विदेशी सांसदों के कश्मीर दौरे पर विपक्ष के स्टैंड को देखते हुए सत्र में कुछ सवाल उठ सकते हैं, बाकी अब ज्यादा गुंजाइश नहीं है। विपक्षी दलों के के पास वैसे कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, मगर आर्थिक मुद्दों पर जरूर वे सरकार की घेराबंदी करने की कोशिश करेंगे। हम भी इसे समझते हैं और शीतकालीन सत्र में हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं, हर सवाल का सामना करेंगे।

संसद के शीतकालीन सत्र में अयोध्या का मुद्दा भी उठ सकता है। वजह कि इसके ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। लगातार लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। माना जा रहा है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के 17 नवंबर को रिटायरमेंट से पहले सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर अहम फैसला सुनाएगा। ऐसे में तुरंत बाद शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में भी इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष में बहस होने की संभावना है।

भाजपा के नेता पूरे देश में NRC लागू करने की बात उठाते रहे हैं। इस मुद्दे पर भी घमासान मच सकता है। वजह कि असम में 31 अगस्त को प्रकाशित NRC से 19 लाख से अधिक लोगों के बाहर होने में अधिकांश हिंदू हैं। नागरिकता का सुबूत न दे पाने के कारण एनआरसी में जगह बनाने से चूके इन हिंदुओं को राहत देने के लिए सरकार इसे लागू करने से पहले नागरिकता संशोधन बिल पास करना चाहती है।

नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता खुल जाएगा। इस प्रस्तावित विधेयक का विपक्ष विरोध इसलिए कर रहा कि इसमें मुस्लिमों को नागरिकता से दूर रखा गया है। विपक्ष का कहना है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला और समानता के अधिकार के विरुद्ध है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि एनआरसी से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराया जाएगा। अमित शाह ने कोलकाता की एक रैली में कहा था, सभी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। बता दें कि इस सत्र में सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने की पूरी कोशिश में है, ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लोगों को भारत की नागरिकता दी जा सके।

Created On :   29 Oct 2019 4:04 PM GMT

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