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दैनिक भास्कर हिंदी: विकासशील देशों में प्रदूषण की समस्या बनते आयातित सेकेंड हैंड वाहन

हाईलाइट
- विकासशील देशों में प्रदूषण की समस्या बनते आयातित सेकेंड हैंड वाहन
बीजिंग, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। अफ्रीकी देश केन्या की राजधानी नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका, जापान, जर्मनी जैसे विकसित देशों से विकासशील देशों में सेकेंड हैंड वाहनों के निर्यात ने जलवायु परिवर्तन पर कमजोर कार्रवाई करते हुए वायु प्रदूषण की समस्या को बढ़ा दिया है।
दरअसल, कई वर्षों से विकसित देश अपने इस्तेमाल किए गए वाहनों को विकासशील देशों को निर्यात कर रहे हैं, जो कि यह काफी हद तक अनियमित है और प्रदूषण फैलाने में अहम भूमिका है।
यूज्ड व्हीकल्स एंड द एनवायरनमेंट: ए ग्लोबल ओवरव्यू ऑफ लाइट ड्यूटी व्हीकल्स: फ्लो, स्केल एंड रेगुलेशन शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 से 2018 के बीच लगभग 1.4 करोड़ सेकेंड हैंड वाहनों का वैश्विक स्तर पर निर्यात किया गया, जबकि अफ्रीका में 40 प्रतिशत उपयोग किए गए वाहनों का आयात किया गया।
146 देशों के विश्लेषण पर आधारित नई यूएनईपी रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग दो-तिहाई देशों के पास कमजोर नियामक उपकरण थे जो जापान, यूरोप और अमेरिका से आयात किए गए वाहनों की गुणवत्ता और सुरक्षा से समझौता करते थे। कम आय वाले देशों को निर्यात किये गये कई वाहन वायु प्रदूषण के लिए न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं करते हैं और अक्सर ड्राइव करने के लिए असुरक्षित होते हैं। वाहनों की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए केवल कुछ ही नियम हैं।
आज, दुनिया भर की सड़कों पर लगभग 1 अरब गाड़ियां हैं। साल 2050 तक इस संख्या के दोगुना होने का अनुमान है, जो कि निम्न-आय वाले देशों में सेकेंड हैंड वाहनों की बिक्री में वृद्धि देखी जाएगी।
यह पता चलता है कि अफ्रीकी देशों ने साल 2015 से 2018 तक 40 प्रतिशत सेकेंड हैंड वाहनों का आयात किया, इसके बाद पूर्वी यूरोप, एशिया प्रशांत, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका के देशों में क्रमश: 24 प्रतिशत, 15 प्रतिशत, 12 प्रतिशत और 9 प्रतिशत का आयात हुआ। केन्या और नाइजीरिया जैसे देशों में 90 प्रतिशत से अधिक गाड़ियां सेकेंड हैंड आयात होती हैं।
बहरहाल, विकसित देशों को पर्यावरण और सुरक्षा निरीक्षण में विफल रहने वाले वाहनों का निर्यात बंद कर देना चाहिए, जबकि आयात करने वाले देशों को मजबूत गुणवत्ता मानकों का परिचय देना चाहिए। वाहनों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और शहरी वायु प्रदूषण और वैश्विक जलवायु उत्सर्जन को कम करने के लिए विनियमन आवश्यक है।
यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों द्वारा सेकेंड हैंड वाहनों के आयात को कम करने के लिए सीधा प्रतिबंध, राजकोषीय प्रोत्साहन, लेबलिंग और जागरूकता सृजन का प्रस्ताव करता है। जाहिर है, राजकोषीय उपकरण सेकेंड हैंड वाहनों के आयात को विनियमित करने के लिए एक प्रभावी साधन हो सकता है।
अंत में रिपोर्ट में कहा गया है कि कानूनों और नीतियों के सामंजस्य से युक्त अनुसंधान यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि विकासशील देशों में केवल सुरक्षा मानकों को पूरा करने वाले सेकेंड हैंड वाहनों का ही निर्यात किया जाए।
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
-- आईएएनएस
भोपाल: आईसेक्ट द्वारा डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट द्वारा लर्निंग एंड डेवलपमेंट की पहल के तहत बिलासपुर छत्तीसगढ़ स्थित डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय में "टीम बिल्डिंग, टाइम मैनेजमेंट और सॉफ्ट स्किल्स" विषय एक दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। आईसेक्ट भोपाल की कॉर्पोरेट एचआर टीम इस अवसर पर बिलासपुर में उपस्थित रही और श्रीमती पुष्पा कश्यप की अध्यक्षता में टीम एचआर, बिलासपुर ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस इंटरैक्टिव सत्र में 80 से अधिक फैकल्टी सदस्यों ने अपनी पूरी भागीदारी के साथ भाग लिया। विशेषज्ञ प्रख्यात वक्ता श्रीमती गीतिका जोशी जो प्रबंधन और सॉफ्ट स्किल्स में एक कॉर्पोरेट ट्रेनर हैं, ने बात करते हुए टाइम मैनेजमेंट के कई टिप्स दिए और कार्यस्थल पर प्रोडक्टिव होने के तरीके बताए। श्री गौरव शुक्ला, डॉ. सीवीआरयू के रजिस्ट्रार और प्रो-वाइस चांसलर श्रीमती जयती मित्रा ने इस तरह के प्रशिक्षण के माध्यम से कर्मचारियों को अपस्किल करने में एलएंडडी/कॉर्पोरेट एचआर टीम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कुछ अंतराल पर अपने तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा। सीवीआरयू बिलासपुर के चांसलर श्री संतोष चौबे, आईसेक्ट के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी और आईसेक्ट विश्वविद्यालय समूह की निदेशक श्रीमती अदिति चतुर्वेदी ने कार्यक्रम की सफलता पर टीम सीवीआरयू और कॉर्पोरेट एचआर/एल एंड डी को बधाई दी।
भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के वूमेन डेवलपमेंट सेल द्वारा 5वां वूमेन एक्सिलेंस अवार्ड का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सुश्री अनुभा श्रीवास्तव (आईएएस), कमिश्नर, हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट विभाग, मध्य प्रदेश , विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ रूबी खान, डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट आफ हेल्थ सर्विसेज, सुश्री रवीशा मर्चेंट, प्रिंसिपल डिजाइनर, ट्रीवेरा डिजाइंस, बट ब्रहम प्रकाश पेठिया कुलपति आरएनटीयू उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, प्रो-चांसलर, आरएनटीयू एंड डायरेक्टर, आइसेक्ट ग्रुप आफ यूनिवर्सिटीज ने की।
इस अवसर पर सुश्री अनुभा श्रीवास्तव ने महिलाओं को अपनी बात रखने एवं निर्णय क्षमता को विकसित करने पर जोर दिया। महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी अपने विचार साझा किए। डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में महिलाओं का एक अहं रोल होता है। चाहे वो रोल हमारी मां के रूप में हो या फिर बहन या पत्नी के रूप में। हमें हर रूप में महिला का साथ मिलता है। लेकिन ऐसा काफी कम होता है जब हम इन्हें इनके कार्य के लिए सम्मानित करते हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन की महिलाओं को उनके कार्यों और उनके रोल के लिए सम्मानित करें। इसी तारतम्य में आरएनटीयू पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड से इन्हें सम्मानित कर रहा है।
डॉ रूबी खान ने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें इसकी जानकारी दी। वहीं सुश्री रवीशा मर्चेंट ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त रहने एवं किसी भी परिस्थिति पर हार ना मानना एवं परिवार और काम में संतुलन बनाए रखने के विषय में विस्तृत जानकारी दी। डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया ने देश की बढ़ती जीडीपी में महिलाओं का अहम योगदान माना। उन्होंने बताया कि जल थल एवं हवाई सीमा में भी विशेष योगदान महिलाएं दे रही हैं।
कार्यक्रम में रायसेन और भोपाल जिले की शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया। साथ ही पूर्व में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता महिलाओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ संगीता जौहरी, प्रति-कुलपति, आरएनटीयू ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं समन्वयन नर्सिंग एवं पैरामेडिकल विभाग की अधिष्ठाता एवं महिला विकास प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ मनीषा गुप्ता द्वारा किया गया। मंच का संचालन डॉ रुचि मिश्रा तिवारी ने किया।
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