बिना भनक लगे दुश्मनों के छक्के छुड़ाने आ रही है साइलेंट किलर INS वेला, आज भारतीय नौसेना में हुई शामिल

आत्मनिर्भर भारत से पस्त होगा चीन बिना भनक लगे दुश्मनों के छक्के छुड़ाने आ रही है साइलेंट किलर INS वेला, आज भारतीय नौसेना में हुई शामिल
हाईलाइट
  • हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकेगी साइलेंट किलर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। समुद्र में भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ा इजाफा हुआ है। भारतीय नौसेना स्टेल्थ फीचर वाली चौथी स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वेला को अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है। आईएनएस वेला सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जा रहा है। इसके भीतर एडवांस वेपन हैं जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकते हैं। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए यह कदम काफी अहम माना जा रहा है। 

आईएनएस वेला के कमांडिंग ऑफिसर अनीष मैथ्यू ने बताया  यह हम सभी के लिए गर्व का अवसर है। इस पनडुब्बी में बैटरी और आधुनिक संचार व्यवस्था स्वदेशी है। इसलिए यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी बढ़ावा देता है।

भारत लगातार अपनी सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के झांसी में सेनाओं को आधिकारिक रूप से कई इक्विपमेंट्स को सौंपा था। इसके अलावा भारतीय नौसेना में आईएनएस विशाखापट्टनम को शामिल किए जाने से समुद्र में भारत की ताकत बढ़ी। तो वहीं, अब महासागर की गहराई में भारत की ताकत को चार गुना बढ़ाने की तैयारी है।

यह सबमरीन स्पेशल स्टील से बनी है, इसमें हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अंदर ज्यादा गहराई तक जाकर ऑपरेट करने में सक्षम है। इसकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी रडार सिस्टम को धोखा देने में माहिर है इसका मतलब हुआ कि रडार इसे ट्रैक नहीं कर पाएगा। यह दुश्मन को भनक लगाए बिना ही अपना काम पूरा कर सकती है। इसके अलावा इसे किसी भी मौसम में ऑपरेट किया जा सकता है। 

भारत सरकार ने 2005 में फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत करार किया था।  इसी सौदे का पालन करते हुए INS वेला को भारत में तैयार किया है, यह एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो मेक इन इंडिया अभियान के तहत तैयार की गई है।

आईएनएस वेला में दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन हैं। इसमें 360 बैटरी सेल्स हैं। प्रत्येक का वजन 750 किलोग्राम के करीब है। इन्हीं बैटरियों के दम पर आईएनएस वेला 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय कर सकती है। यह सफर 45-50 दिनों का हो सकता है। ये सबमरीन 350 मीटर तक की गहराई में भी जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है।

सबमरीन में लगे हथियार और सेंसर हाई टेक्नोलॉजी कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े हैं। जो अन्य नौसेना के युद्धपोत से संचार कर सकती है। आपको बता दें कि इससे पहले स्कॉर्पियन क्लास की छह पनडुब्बियों में से भारत को तीन पनडुब्बी आईएनएस कलवारी, खांडेरी और करंज पहले ही मिल चुकी हैं।

 




 

 

 

 

Created On :   25 Nov 2021 3:35 AM GMT

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