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- Supreme Court reserves verdict on gangster Abu Salem's plea challenging life imprisonment
नई दिल्ली: उम्रकैद को चुनौती देने वाली गैंगस्टर अबू सलेम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

हाईलाइट
- मुंबई सीरियल बम धमाकों में दोषी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गैंगस्टर अबू सलेम की उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें दावा किया गया था कि भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, उसकी जेल की अवधि 25 साल से अधिक नहीं हो सकती।
अबू सलेम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल सरकार को आश्वासन दिया गया था कि अबू सलेम को मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा और उन्हें 25 साल से अधिक की सजा भी नहीं दी जाएगी, लेकिन, उन्हें मुंबई सीरियल बम धमाकों में दोषी ठहराए जाने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश भी शामिल थे, ने नोट किया कि अदालतें सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन से बाध्य नहीं हैं, हालांकि सरकार अपनी कार्यकारी शक्ति का अभ्यास कर सकती है। मल्होत्रा ने प्रस्तुत किया कि अबू सलेम 2002 से पुर्तगाल में हिरासत में था और उसे रेड कॉर्नर नोटिस के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया 2003 में शुरू हुई और लगभग 2 साल तक चली और 2005 में सलेम को भारत को सौंप दिया गया। इस पर पीठ ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि अबू सलेम की नजरबंदी का शुरुआती बिंदु (स्टार्टिग प्वाइंट) क्या होगा?
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने किया। मामले में विस्तृत दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने सलेम की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। इससे पहले 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर अबू सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान पुर्तगाल को दिए गए आश्वासनों का सम्मान करने से जुड़े एक हलफनामे में केंद्रीय गृह सचिव द्वारा दिए गए कुछ बयानों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि न्यायपालिका को मामले में अधिकारी के व्याख्यान (लेक्च र) की आवश्यकता नहीं है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से कहा, ऐसा लगता है कि गृह सचिव हमें बता रहे हैं, हमें अपील का फैसला करना चाहिए। वह हमें न बताएं कि हमें क्या करना है। न्यायमूर्ति कौल ने कहा, हलफनामे के कुछ हिस्से मेरी समझ से बाहर हैं। हमें क्या करना है, वह हम करेंगे. हलफनामा दायर करने के दो अवसरों के बाद उन्हें हमें नहीं बताना चाहिए।
उन्होंने नटराज से इस मामले में सरकार के रुख पर स्पष्ट होने को कहा, क्या वह पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन का सम्मान करेगी? गैंगस्टर अबू सलेम जेल से कब छूटेगा या नहीं छूटेगा, इस पर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उसके रवैए पर नाराजगी जताई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बात का जवाब मांगा था कि गैंगस्टर अबू सलेम को कब जेल से छोड़ा जाएगा। पुर्तगाल और भारत सरकार के बीच हुई संधि के मुताबिक अबू सलेम को 25 साल से ज्यादा दिन तक जेल में नहीं रखा जा सकता।
गृह सचिव ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सरकार पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के लिए बाध्य है और उचित समय पर इसका पालन किया जाएगा। नटराज ने प्रस्तुत किया कि सरकार आश्वासन से बाध्य है और अदालत से आग्रह किया कि पहले यह तय करें कि संबंधित 25 साल की अवधि कब से चलेगी और फिर उसके आधार पर अन्य मुद्दों पर फैसला किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संप्रभु प्रतिबद्धता दोनों देशों को बांधती है और आरोपी अधिकार के मामले में इसके लाभ का दावा नहीं कर सकते। इस पर जस्टिस कौल ने पूछा, आप स्टैंड नहीं लेना चाहते हैं?
पीठ ने कहा कि सरकार ने अदालती प्रक्रिया के जरिए आश्वासन देकर उसे भारत लाने का फैसला किया। शीर्ष अदालत ने कहा, इस अदालत को इस तथ्य से अवगत होना चाहिए कि आपने अपने विवेक से एक आश्वासन दिया है। मुझे समझ में नहीं आता कि अन्य उपचार क्षेत्र क्या हैं। दरअसल केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि आश्वासन का पालन न करने के बारे में सलेम का तर्क समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित है और वर्तमान कार्यवाही में इसे कभी नहीं उठाया जा सकता है।
अबू सलेम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने प्रस्तुत किया था कि न्यायपालिका भी संप्रभु आश्वासन से बाध्य है। उन्होंने तर्क दिया था कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार कारावास की अवधि 25 साल से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती है। सीबीआई ने अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया था कि 2002 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एल. के. आडवाणी की ओर से गैंगस्टर अबू सलेम को भारत प्रत्यर्पित करने के बाद 25 साल से अधिक की कैद नहीं होने देने के आश्वसान को लेकर एक भारतीय अदालत बाध्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि वह मामले में सीबीआई के जवाब से खुश नहीं है और इसने मामले में गृह सचिव से जवाब मांगा था।
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गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
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