कौन है IAS तपस्या परिहार? जिसने बीच मंडप में किया कन्या दान से इंकार
- मैं दान की चीज नहीं हूं
- आपकी बेटी हूं- IAS तपस्या
डिजिटल डेस्क,भोपाल। हिंदू धर्म में कन्यादान का विशेष महत्व है। हर माता-पिता इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते है। माना जाता है कि, कन्या का दान इस दुनिया का सबसे बड़ा दान होता है। लेकिन, तपस्या परिहार ने अपनी शादी में पिता को ये रस्म अदा करने से मना कर दिया। हालांकि, ऐसा करने से उनके पिता काफी खुश हुए। तपस्या ने अपने इस फैसले से समाज को एक नया संदेश देने की कोशिश की है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जोबा गांव में तपस्या परिहार की शादी को लेकर हर जगह चर्चा हो रही है। उन्होंने हाल ही में आईएफएस (IFS) अधिकारी गर्वित गंगवार से शादी की है। तपस्या ने अपनी शादी में पिता से कहा, "मैं दान की चीज नहीं हूं, आपकी बेटी हूं।" और इस बात को कहने के बाद उन्होंने कन्यादान की रस्म नहीं कराई।
परिवार के लोग कैसे मान गए?
गुरुवार को जोवा गांव में तपस्या और गर्वित की शादी का रिसेप्शन हुआ। जिसमें दोनों पक्षों के परिवार, रिश्तेदार और परिचित लोग मौजूद रहे। सभी ने इस शादी की खूब चर्चा की। क्योंकि ये अपने आप में अनोखी शादी रही। सवाल ये उठता है कि, तपस्या ने दोनों पक्षों को मनाया कैसे? इस पर आईएएस अधिकारी तपस्या कहती है कि, बचपन से मैं सोचती थी कि, मेरा कन्यादान मेरी मर्जी के बगैर कैसे हो सकता है। ये परंपरा क्यों है। मैंने अपनी ये सोच घरवालों को बताई और उन्हें मनाने की कोशिश की। जब मेरे घरवालें मान गए तो, वर पक्ष से भी चर्चा हुई और उन्होंने ने भी बिना कन्यादान करवाए शादी करने के लिए हां कर दिया।
तपस्या मानती है कि," जब शादी होती है तो, दोनों पक्ष मिलकर विवाह करवाते है। तो इसमें बड़ा-छोटा, ऊंचा-नीचा जैसी कोई बात होनी ही नहीं चाहिए। ये परंपरा ठीक नहीं है। जब लड़कियां शादी के लिए तैयार है तो, दान करने की क्या जरुरत है।"
तपस्या के पति क्या सोचते हैx?
IAS तपस्या के पति IFS गर्वित कहते है कि,"किसी भी लड़की को शादी के बाद बदलने की क्या जरुरत है। चाहे मांग भरने की बात हो या फिर ऐसी परंपरा कि जो, ये बताएं कि लड़की की शादी हो गई है। हमें इस तरह की मान्यताओं को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। वहीं तपस्या के पिता कहते है कि,"इस तरह की रस्मों से लड़की को पिता के घर से या उसकी जायजाद से बेदखल करने की साजिश की तरह देखा जाता है।"
2018 में बनीं IAS
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जोवा गांव में जन्मी तपस्या परिहार साल 2018 में आईएएस अधिकारी बनी। उनकी पढाई नरसिंहपुर के ही केंद्रीय विद्यालय से हुई और फिर उन्होंने पुणे का रुख किया। तपस्या ने पुणे के इंडिया लॉ सोसाइटीज कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। तपस्या के पिता एक किसान है। आईएएस अधिकारी बनने के लिए तपस्या ने दिल्ली में ढाई साल तक तैयारी की और सेकेंड अटेंप्मट में उन्होंने UPSC में बाजी मार ली।
Created On :   18 Dec 2021 10:18 AM IST