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ट्रेन में सीट नहीं मिलने पर कार खरीदकर घर पहुंचा शख्स

हाईलाइट
- ट्रेन में सीट नहीं मिलने पर कार खरीदकर घर पहुंचा शख्स
गोरखपुर, 3 जून (आईएएनएस)। एनसीआर सीटी गाजियाबाद के रहने वाले लल्लन पेशे से एक बढ़ई है। उसने यहां निकट स्थित एक रेलवे स्टेशन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन में चढ़ने के लिए अपनी बारी की तीन दिन तक प्रतीक्षा की।
चौथे दिन जब लल्लन के सब्र का बांध टूट गया, तो वह सीधे एक बैंक जा पहुंचा और 1.9 लाख रुपये की अपनी सारी बचत अपने खाते से निकाल ली और एक सेकेंड हैंड कार विक्रेता के पास गया।
उसने 1.5 लाख रुपये में एक इस्तेमाल की हुई कार खरीदी और अपने परिवार के साथ गोरखपुर में अपने घर की ओर रवाना हुआ और कभी वापस न लौटने की कसम खाई।
गोरखपुर के पीपी गंज में कैथोलिया गांव के निवासी लल्लन ने कहा, लॉकडाउन के बाद मैं इस उम्मीद पर कायम रहा कि चीजें जल्द ही सामान्य हो जाएंगी। जब लॉकडाउन की अवधि आगे बढ़ती गई, तो मैंने सोचा कि गांव में वापस लौट जाना ही मेरे और मेरे परिवार के लिए सुरक्षित होगा। हमने बसों या ट्रेनों में सीट पाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन असफल रहे।
लल्लन ने कहा कि बसों में काफी भीड़ रही, ऐसे में उसे इस बात का डर रहा कि सोशल डिस्टेंसिंग रखे बिना अगर वे सफर करते हैं, तो कहीं उसके परिवारवालें कोरोनावायरस की चपेट में न आए जाए।
उसने आगे कहा, आखिरकार जब मैं श्रमिक ट्रेनों में सीट पाने में विफल रहा, तो मैंने एक कार खरीदकर घर वापस लौटने का फैसला लिया। मुझे पता है कि मैंने अपनी सारी बचत खर्च कर दी है, लेकिन कम से कम मेरा परिवार तो सुरक्षित है।
लल्लन 29 मई को अपने परिवार के साथ कार में सवार होकर गाजियाबाद से रवाना हुआ और अगले दिन 14 घंटे की यात्रा करने के बाद गोरखपुर पहुंचा।
लल्लन फिलहाल अपने घर पर क्वॉरंटाइन में है और उसे गोरखपुर में ही काम मिलने की उम्मीद है। उसने कहा, अगर मुझे यहां काम मिल जाता है, तो मैं गाजियाबाद नहीं लौटूंगा।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।