बैड टच से अलर्ट जरूरी, बच्चों की सुरक्षा को लेकर टेंशन में पैरेंट्स

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
बैड टच से अलर्ट जरूरी, बच्चों की सुरक्षा को लेकर टेंशन में पैरेंट्स

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बच्चों  को बैड टच से अलर्ट रखने के लिए उनका मागदर्शन जरूरी है। बच्चों के साथ आए दिन हो रही घटनाओं ने माता-पिता की चिंता बढ़ा दी है। खास कर सेक्सुअल अपराध ने सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में जरूरी हो गया है कि  बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें अलर्ट रहने की सीख दी जाए, साथ ही माता-पिता को भी सतर्क रहने की जरूरत है। इसलिए बच्चों को ‘गुड टच और बैड टच’ की जानकारी देकर उनमें अंतर समझाना बहुत जरूरी है। यह जानकारी काफी हद तक बच्चों को सुरक्षित रखने में मदद करेगी। हाल ही में स्कूल वैन चालक द्वारा छात्रा के साथ की गई अश्लील हरकत ने पैरेंट्स को परेशान कर दिया है। पैरेंट्स का कहना है कि जब तक बच्चा स्कूल से घर नहीं आ जाता हम टेंशन में रहते हैं। इस संबंध में पैरेंट्स और स्कूल प्राचार्य से बात करने पर उन्होंने बताया कि बच्चों को किस तरह से अलर्ट करना है और कैसे ‘गुड टच और बैड टच’ के बारे में शिक्षा दी जाती है। 

आराम से समझाएं सारी बातें
साइक्लॉजिस्ट डॉ. अविनाश जोशी का कहना है कि इस बारे में बच्चे को धैर्य और आराम से जानकारी दें। कई बार बच्चों के लिए ये बातें समझना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि बच्चे को ऐसी बातें समझने में समय लगता है। उसे प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बताएं और समझाएं कि उसे इस जगह पर उसके अलावा कोई दूसरा नहीं छू सकता है। इसके अलावा कई बार लोग गोद लेने और चूमने का प्रयास करते हैं। परिवार इसे नजर अंदाज कर देता है। ऐसी स्थिति में बच्चों को ये बताना बहुत जरूरी है कि अगर कोई आपको चूूमने या गोद में बैठाने की कोशिश कर रहा है, ऐसा न करने दें, और इसकी शिकायत अभिभावक से जरूर करें।

सीबीएसई ने बनाए हैं नियम
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने स्‍कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक गाइडलाइन तैयार की है। िजसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। इसमें सिर्फ उनकी देखरेख के बारे में ही नहीं बल्कि, शारीरिक और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर भी ध्यान रखा गया है। यानी कि स्कूल परिसर के अंदर आपके बच्चे की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होती है। पांच हिस्सों में बंटी गाइड लाइन में बोर्ड ने न सिर्फ स्कूलों, बल्कि अभिभावकों की जिम्मेदारी भी निर्धारित कर रखी है। बोर्ड गाइड लाइन में फिजिकल सेफ्टी सबसे अहम मानी गई है। इसके अलावा इमोशनल सेफ्टी, सोशल सेफ्टी, हैंडल डिजास्टर और साइबर सेफ्टी आदि को लेकर भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

किस पर यकीन करें और किस पर नहीं
इस वर्ष मेरी बेटी ने स्कूल जाना शुरू किया है। घर पर ही मैंने ‘गुड टच और बैड टच’ के बारे बताया है, लेकिन 3 वर्ष की बच्ची को समझाना मुश्किल है। इसलिए उसे पेपर पर ड्राॅइंग करके बताया। उसे प्राइवेट पार्ट्स के बारे में भी बताया और कहा कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति प्राइवेट पार्ट्स को टच करता है, तो नो बोलकर जोर से चिल्लाना। बच्चों से खुलकर बात करना जरूरी है। बच्चे को कभी ऐसा नहीं लगना चाहिए कि वह कुछ कहेगा, तो उसे डांट पड़ सकती है या उसकी बात अनसुनी कर दी जाएगी। मीरा संघी, अभिभावक

वीडियो से जागरूकता
कोमल वीडियो में एक 9 साल की बच्ची की कहानी है। पापा के फ्रेंड पड़ोसी बनते हैं और खेल ही खेल में गलत स्पर्श करते हैं। बच्ची को मानसिक आघात पहुंचता है और वह चुप हो जाती है। हालांकि हंसती-खेलती बच्ची के चुप होने पर उसकी क्लास टीचर को शक होता है और वह उसकी मां को जानकारी देती है। बाद में मां के हौसला देने पर कोमल सारी बात बता देती है। हालांकि पिता समाज की दुहाई देकर चुप रहने को कहता है, लेकिन बाद में बेटी के लिए अपने दोस्त की शिकायत पुलिस से करते हैं। एनसीईआरटी ने 10 मिनट के हिंदी और अंग्रेजी में वीडियो तैयार किए हैं। इसमें कहानी के साथ लड़के और लड़की को कहां छूना सही स्पर्श है या किन अंगों को छूना गलत स्पर्श है, इसकी जानकारी दी गई है। 

लेडी कंडक्टर जरूरी
अभी भी कई स्कूल बसों में लेडी कंडक्टर नहीं हैं, जबकि बच्चों की सुरक्षा के लिए लेडी कंडक्टर होना जरूरी है। ऐसे में हम पैरेंट्स को बहुत परेशानी होती है। कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं, लेकिन इन बातों को दरकिनार कर दिया जाता है, जबकि बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूलों की भी है। 2 दिन पहले हुई स्कूल वैन की घटना ने एक बार फिर समाज पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। बच्चों की सुरक्षा समाज का अहम मुद्दा है।  - सुनील बहल, पैरेंट

स्कूल में दी गई जानकारी
मेरी बेटी को स्कूल में ‘गुड टच और बैड टच’ के बारे में बताया गया, तो उसने मुझसे घर आकर इस बारे में पूछा, तो मैंने उसे इसके बारे में जानकारी दी। मैंने कहा कि कभी स्कूल, घर या बाहर उसे कुछ भी लगता है, तो वो बेझिझक मुझसे या पापा से बताए। कोई धमकी देता है कि माता-पिता को बताने पर उन्हें नुकसान पहंुचाएंगे, तो उससे डरने की जरूरत नहीं है। कुछ गलत हो रहा है, तो उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। - सोनल वंजारी, अभिभावक

बड़ी क्लासेस में स्टूडेंट मेंटर 
हमारे स्कूल में लगातार स्टूडेंट्स को ‘गुड टच और बैड टच’ के बारे में समझाया जाता है। छोटे बच्चों को डिजिटल मीडिया के थ्रू समझाया जाता है। बड़े बच्चों के लिए लगातार वर्कशॉप ली जा रही है। काउंसलर भी रखी गई है। बच्चों को लगता है कि अगर उनके साथ कुछ गलत हो रहा है और वे उसे बता नहीं पा रहे हैं, तो वे काउंसलर से डिस्कस कर सकते हैं। कई बार देखने में आता है कि बच्चे काउंसलर को भी अपनी प्रॉबलम नहीं बता पाते हैं, इसलिए बड़ी क्लास में एक स्टूडेंट मेंटर रखी है, जो अपने साथी से उसको होने वाली प्रॉबलम डिस्कस कर सकती है। पैरेंट्स को भी इस बारे में बताने के लिए कहते हैं।  -प्रीति वैरागढ़े, प्राचार्य, हिलफोर्ट पब्लिक स्कूल

बोर्ड की गाइड लाइन
* स्कूल के अंदर आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखना।
* स्कूल परिसर में किसी भी तरह की गुप्त या छुपी हुई जगह नहीं होनी चाहिए।
* स्कूल में काम करने वाले हर एक व्यक्ति (टीचर, प्रिंसिपल, चपरासी, अकाउंटेंट, अन्य) के बैकग्राउंड के बारे में पता करने के बाद उन्हें काम पर रखना।
* स्कूल परिसर में एक डॉक्टर या नर्स की तैनाती होना अनिवार्य।
* स्कूल परिसर से 2 किमी की दूरी पर जो भी हॉस्पिटल होगा, उसके साथ टाईअप करना जरूरी।
* स्कूल प्रशासन को चाइल्ड प्रोटेक्शन पॉलिसी को फॉलो करना जरूरी है। यानी कि बच्चे के साथ किसी भी तरह का टॉर्चर, मारपीट या शारीरिक शोषण नहीं किया जा सकता।

Created On :   11 July 2019 10:40 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story