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यहां है रंगबिरंगी, सुंदर तितलियों की अनोखी दुनिया
डिजिटल डेस्क, मोहर्ली/चंद्रपुर। विदर्भ का आगरझरी गांव इन दिनों तितलियों को लिए खूब फेमस हो रहा है। विदर्भ के पहले तितली गार्डन का आकर्षण पूरे राज्य को आगरझरी गांव की ओर खींच रहा है। ताड़ोबा के इस छोटे से गांव के लोग प्रकृतिप्रेमी व वन्यजीव रक्षक हैं। यही कारण है कि यहां तितलियों की बेखौफ दुनिया आबाद है। अध्ययनकर्ताओं के लिए यह किसी लाइब्रेरी से कम नहीं है। यहां एक से बढ़ कर एक प्रजाति की तितलियों को निहारने, उन्हें कैमरे में कैद करने इन दिनों यहां भीड़ बढ़ती दिखाई दे रही है।
तितलियों का आकर्षण जीवन के प्रारंभिक मोड़ या यूं कहें बचपन में स्वाभाविक रूप से होता है। उनकी नजाकता व सुंदरता सभी को कायल कर देती है, परंतु आम तौर पर इन दिनों तितली दर्शन सीमित व दुर्लभ होता जा रहा है। ऐसे में उनकी अधिकांश प्रजातियों को एक ही जगह पर आसानी से देखने व समझने का अवसर मिले, अध्ययन की सुविधा हो, तितलियों का संवर्धन किया जा सके, इस उद्देश्य से वन विभाग ने यह अनूठा प्रयास किया है।
तितलियों के बारे में अध्ययन के बाद सामने आई तथ्यपरक जानकारी का हवाला देते हुए इस गार्डन के एक अधिकारी ने बताया कि दुनिया में तितली हर जगह पाया जाने वाला प्राणी, कीट वर्ग है। तितली ऐसा कीट है जो बहुत सुंदर तथा आकर्षक है। दुनिया में तितली से पर्यावरण का सौंदर्य मोल बढ़ता है, उसके रंग बिरंगी पंख बच्चों तथा वयस्कों को भी आकर्षक करता है। जब मधुपान करने के लिए फूलों पर बैठता है तो उसका रंग देखने पर हम मजबूर होते हैं। तितली के शरीर के मुख्य तीन हिस्से हैं। सिर,वक्ष तथा उदर है, इसके सिर पर एक जोड़ी संयुक्त आंख होती है। दो जोड़ी पंख, तीन जोड़ी संधियुक्त पैर होते हैं। तितली के मुंह में गोल स्प्रिंग की तरह प्रोवोसिस नामक खोखली लंबी सूंड होती है। यह सूंड फूलों से रस चूसने का काम करती है।
ऐसे होता है जन्म
तितली के दो एंटिना फूलों की गंध पता लगाते है। मादा तितली अपने अंडे पौधों की पत्ती की निचली सतह पर देती है । इसके अंडों का आकार अलग-अलग होता है। अंडे अधिकतर राई के दाने बराबर होते हैं। कुछ दिनों बाद अंडों से छोटा सा कीट निकलता है जिसे कैटरपिलर लार्वा कहा जाता है। जब यह लार्वा बाहर निकलता है तो उसका सबसे पहला भोजन अंडों का कवर होता है। बाद में पौधों की पत्तियों को खाकर बड़ा होता है। इसके बाद लार्वा के चारो ओर एक बड़ा सा खोल बन जाता है जिसे प्यूपा कहा जाता है। इसके बाद कुछ दिनों में ही प्यूपा टूट जाता है तथा इसमें से एक सुंदर तितली का जन्म होता है।
देश में 1501 प्रकार की तितलियां
तितली की उम्र कई दिनों से एक वर्ष तक हो सकती है। भारत में सबसे बड़ी तितली सदर्न बर्डविंग और सबसे छोटी ग्राम ज्वेल तथा टाइनी ग्रास ब्लू है। भारत में 1501 प्रकार की तितलियों की प्रजातियां पायी जाती है। दुनिया में सबसे बड़ी तितली ज्वाइंट बर्डविंग, सोलमन आईलैंंड्स पर पाई जाती है। तितली को कान नहीं होते। इस कारण वह सुन नहीं सकती है । वैसे ही कैटरपिलर को भी सुनाई तथा दिखाई नहीं देता है । दुनिया में बसे तेज उड़ने वाली तितली का नाम मोनार्क है। इसका वजन आधा ग्राम और लंबाई 4 cm होती है। यह तितली 3000 किलोमीटर तक बिना थके उड़ सकती है । यह 17 km प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकती है। विज्ञान ने अभी इतनी तरक्की नहीं की है कि आधा ग्राम वाली फ्लाइंग मशीन तैयार कर सके। इसे तैयार करने में विज्ञान को अभी कई सदियां लग सकती है।
दिमाग भी होता है तेज
तितलियों का दिमाग बहुत तेज होता है। तितलियों में केवल सूंघने,देखने, उड़ने और स्वाद चखने की ही नहीं बल्कि जगह को पहचानने की भी क्षमता होती है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अधिकांश तितली वयस्क होने के बाद उसी पेड़ पर वापस आती हैं, जहां उन्होंने अपना प्रारंभिक समय बिताया होता है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। तितलियों का संवर्धन करने के लिए जंगल कटाई कम करना, जानवरों को जंगल में चरने से रोकना, जंगल को आग से बचना और खेतों में कीटकनाशक दवाई का इस्तेमाल कम करना, तितली के पसंदीदा पेड़ लगाना आवश्यक है। तितलियों को अिधकतर फूलों के पेड़ बहुत पसंद होते हैं।
Created On :   14 Sep 2017 4:30 AM GMT