मुस्लिम वोट से होगी हिंदू वोटर्स की कमी पूरी, मप्र में सूफी संवाद से पसमांदा मुसलमानों को जोड़ेगी पार्टी

मुस्लिम वोट से होगी हिंदू वोटर्स की कमी पूरी, मप्र में सूफी संवाद से पसमांदा मुसलमानों को जोड़ेगी पार्टी
  • बीजपी का 'मास्टरप्लान'
  • कांग्रेस के लिए बुना जाल
  • 'पंजे' का क्या होगा प्लान?

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी कमर कसती हुई दिखाई दे रही है। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में पार्टी के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश ईकाई के नेता भी चुनावी माहौल को देखते हुए आम जनता से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। बीजेपी हमेशा से चुनावी मैदान को एक युद्ध के तौर पर देखती है। भाजपा को लेकर कहा जाता है कि, आम चुनाव से लेकर निकाय चुनाव तक सबको बड़ा चुनाव मानकर ही लड़ती है शायद इसलिए पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहता है। साल 2023 के अंत में एमपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए एक रणनीति बनाई है। जिसमें पार्टी जगह-जगह 'सूफी संवाद' करके अपने खिलाफ बनी हुई मुस्लिम विरोधी छवि को तोड़ने की कोशिश में है। जिसकी नींव पार्टी ने रख दी है।

मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए भाजपा मुसलमानों के सूफी विचारधारा के कम्युनिटी लीडर्स के साथ संवाद कर रही है। साथ ही उन्हें सम्मानित भी कर रही है ताकि मुस्लिम वोटर्स में भाजपा के प्रति रूख को बदला जा सके। दरअसल, बीजेपी के आनुषंगिक संगठन अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा पूरे प्रदेश में मुसलमानों के बीच 'सूफी संवाद' की शुरूआत कर दी गई है। जगह-जगह पर इसके कार्यक्रम रखे जा रहे हैं। बता दें कि, अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी स्थानीय मस्जिद, मदरसा, दरगाह और खांनखां के मुतवल्ली, सज्जादानशीन, पीर, हाकिम तथा मुस्लिम आलिमों के साथ बैठकें कर रहे हैं ताकि पार्टी को लेकर उनके मन मे उपजे संदेह को दूर किया जा सके।

जबलपुर में हुए कई कार्यक्रम

मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए जबलपुर में 10 सूफी संवाद कार्यक्रम अब तक किए जा चुके हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को अपने पाले में लाया जा सके। जबलपुर में सूफी संवाद के संयोजक रहे पूर्व पार्षद रिजवान अहमद अंसारी ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि, सूफी संवाद अब तक 10 जगहों पर हो चुकी है। जिसका उद्देश्य समाज में अच्छा मैसेज देना है। रिजवान ने बताया कि, अच्छे रिजल्ट को देखते हुए अगले महीने जून में राजधानी भोपाल में सूफी संवाद का कार्यक्रम रखा गया है। जिसमें कई मुकवल्ली, सज्जादानशीन,आलिम, हाकिम और पीर शिरकत करने वाले हैं।

'सूफी संवाद' पर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने क्या कहा?

भाजपा द्वारा सूफी संवाद करवाए जाने पर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का बयान सामने आया है। मुस्लिम मंच के पदाधिकारी एस के मुद्दीन ने इस पूरे मामले पर कहा कि, ये देशव्यापी प्रोग्राम है इसके जरिए देश के मुस्लमानों में भाजपा को लेकर अच्छा माहौल बनेगा। जो उसके लिए भ्रामक जानकारियां लोगों में हैं वो सूफी संवाद से खत्म करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि, राष्ट्रवादी मुसलमानों के लिए चिंता या घबराने जैसी कोई बात नहीं है। यह देश राष्ट्र से प्रेम करने वाले सभी जाति धर्म के लोगों के लिए एक समान है।

बीजेपी का क्या है प्लान?

बीजेपी के इस सूफी संवाद कार्यक्रम को लेकर सियासत के जानकारों का मानना है कि, साल 2023 के अंत में मध्यप्रदेश के चुनाव होने हैं अगर बीजेपी को कांग्रेस से जीत हासिल करनी है तो उसे प्रदेश के हर वर्ग में अपनी पैठ बनानी पड़ेगी ताकि कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल को अपनी ओर मोड़ा जा सके। इसलिए भगवा पार्टी 'सुफिज्म' का सहारा ले रही है ताकि मुस्लिम वोटर्स को ज्यादा से ज्यादा अपनी ओर खींचा जा सके। विश्लेषकों के मुताबिक, बीजेपी को इस बार के चुनाव में हिंदू वोटर्स में बिखराव के आसार दिख रहे हैं। जिसका ख्याल रखते हुए पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं पर ध्यान देना शुरू कर दिया है ताकि हिंदू वोटर्स की थोड़ी सी ही लेकिन कमी पूरी हो सके।

मुस्लिम वोटर्स कितने जरूरी?

मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में 230 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स 50 से अधिक सीटों पर जीत एवं हार का निर्णय करते हैं। इस साल की शुरूआती महीने में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। जिसमें चुनाव को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने गहन चिंतन किया था। जिसमें पीएम मोदी ने पार्टी के नेताओं से कहा था कि वो मुस्लिम समुदाय पर विवादित बयान देने से बचें क्योंकि इससे भाजपा की गलत छवि बनती है। वहीं पीएम मोदी ने जोर देकर यह भी कहा था कि, पार्टी कार्यकर्ता पसमांदा मुस्लमानों में अपनी पैठ बनाए और उन्हें भरोसे में ले ताकि चुनाव में पार्टी के प्रति वफदार रह सकें। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पीएम ने आगे कहा था कि, अगर वो पार्टी को वोट देते हैं या नहीं लेकिन हमें उनके प्रति अपना नजरिया सीधा रखना है।

एमपी चुनाव में मुस्लिम वोटर्स का समीकरण

इसके बाद से पार्टी के नेता एक्टिव मोड में बताए जा रहे हैं। जिसका असर हमें एमपी चुनाव से पहले देखने को मिल रहा है। एमपी चुनाव में मुस्लिम वोटर्स निर्णायक हो सकते हैं क्योंकि 25 फीसदी सीटों पर इनका ही बोलबला है। जिनमें सबसे बहुल मुस्लिम क्षेत्र जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर-मध्य, भोपाल की नरेला विधानसभा, इंदौर-एक, ग्वालियर दक्षिण, उज्जैन उत्तर, बुरहानपुर, शाजापुर, देवास, रतलाम सिटी, मंदसौर, खंडवा, खरगोन, देपालपुर, रीवा, सतना और सागर जैसे विधानसभा सीटे हैं। जहां मुस्लिम वोटर्स पार्टियों की उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करते हैं। वहीं पसमांदा मुसलमानों की बात करें तो इनमें करीब 44 जातियां आती हैं। जो मध्यप्रदेश के 7 सीटों पर जीत और हार का फैसला करती हैं। साथ ही पांच जिले में इनके वोट निर्णायक साबित होते रहे हैं। लेकिन अब देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा इन्हें साधने में सफल होती है या हर बार की तरह मुस्लिम वोटर्स कांग्रेस पर ही भरोसा जताते हैं।

Created On :   25 May 2023 9:37 AM GMT

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