भास्कर एक्सक्लूसिव: परिवारवाद का गढ़ बन रही बीजेपी! जानिए विपक्ष के नेपोकिड्स जो मोदी सरकार के दौरान एनडीए में हुए शिफ्ट

परिवारवाद का गढ़ बन रही बीजेपी! जानिए विपक्ष के नेपोकिड्स जो मोदी सरकार के दौरान एनडीए में हुए शिफ्ट
  • एनडीए में शामिल हुए कई नेपोकिड्स नेता
  • सिंधिया से लेकर आरपीएन सिंह ने थामा बीजेपी का दामन
  • परिवारवाद के जाल में खुद फंसी बीजेपी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से सत्ता में आए हैं, तब से वे लगातार परिवारवाद को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला बोलते रहे हैं। वे अक्सर परिवारवाद वाली पार्टियों की आलोचना करते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी चुनावी रैली में परिवारवाद के मुद्दे पर फिर एक बार विपक्ष पर वार किया था। वे कहते हैं कि विपक्ष ने अपने परिवार के कल्याण के लिए देश का बलिदान दिया है, जबकि उन्होंने देश के लिए खुद को समर्पित किया। एक तरफ बीजेपी देश को वंशवाद से मुक्त करने का नेरेटिव गढ़ रही है तो वहीं, दूसरी ओर बीते कई सालों में विपक्ष के कई ऐसे नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं। जिनका संबंध खुद परिवारवाद से जुड़ा है। आज हम आपको विपक्ष से बीजेपी और एनडीए में शामिल हुए उन दिग्गज नेताओं के बारे में बताएंगे जो परिवारवाद की राजनीति का हिस्सा हैं।

डॉ संजय सिंह

कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले डॉ संजय सिंह अमेठी राजघराने से आते हैं। संजय की पिछली तीन पीढ़ियों का रिश्ता गांधी परिवार से रहा है। संजय कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में से एक थे। वे उत्तर प्रदेश में कैबिनेट से लेकर केंद्र तक मंत्री रहे और उनकी सियासी पकड़ बहुत मजबूत थी। संजय सिंह की दो पत्नियां हैं और दोनों ही अमेठी से विधायक रह चुकी हैं। साल 2019 में संजय सिंह ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में अमेठी सीट का टिकट भी दिया गया था। हालांकि, वे चुनाव हार गए थे।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

मध्य प्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बड़ा नाम माने जाते हैं। सिंधिया मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। तब उन्होंने 18 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद पार्टी छोड़ी थी। सिंधिया यूपीए सरकार में 2007-2014 के बीच कई मंत्रालयों में मंत्री रह चुके थे। उन्होंने अपने पिता स्व. माधवराव सिंधिया की राजनैतिक विरासत को संभाला था। इसके अलावा उनकी गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में की जाती थी। उनके पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। वे राजीव गांधी से लेकर नरसिम्हा राव सरकार में भी मंत्री रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पिता की राजनैतिक विरासत का फायदा मिला। जिसके कारण ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में उनकी पकड़ भी मजबूत हुई। गुना में सिंधिया राजघराने के प्रभाव का भी उन्हें राजनीतिक लाभ हुआ। पिछले चुनाव को छोड़ दें तो उन्हें पिछले तीन चनावों में गुना सीट पर जीत मिली थी। इन्हीं करणों के चलते बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा के साथ-साथ कैबिनेट में भी जगह दी। साथ ही, इस बार बीजेपी ने उन्हें गुना सीट से चुनावी मैदान में भी उतारा है।

आरपीएन सिंह

यूपीए सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री रहे आरपीएन सिंह साल 2022 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। आरपीएन सिंह उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के पडरौना के सैंथावर राज परिवार से आते हैं। उनके पिता कुंवर चंद्र प्रताप नारायण सिंह पडरौना सीट से सांसद थे और 1980 में इंदिरा गांधी कैबिनेट में रक्षा मंत्री थे। पिता की सियासी विरासत संभालते हुए आरपीएन सिंह पडरौना से तीन बार विधायक रहे और 2009 में कुशीनगर से सांसद बने। जिसके बाद उन्हें मनमोहन सिंह की कैबिनेट में शामिल किया गया। इसके बाद भी वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में चले गए।

सुनील जाखड़

पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ पिछले साल मई में बीजेपी में शामिल हो गए थे। कांग्रेस में रहते हुए जाखड़ विभिन्न पदों पर रहे। वे अबोहर विधानसभा से तीन बार के विधायक रह चुके हैं। 2017 में उन्होंने गुरदासपुर सीट का उपचुनाव भी जीता था। उन्हें गांधी परिवार का करीबी बताया जाता है। सुनील जाखड़ का संबंध राजनीतिक परिवार से रहा है। उनके पिता बलराम जाखड़ नरसिम्हा राव सरकार में दो बार लोकसभा अध्यक्ष चुने गए और कृषि मंत्री भी रहे। इसके अलावा वे यूपीए की पहली कार्यकाल में मनमोहन सिंह की सरकार में मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

जितिन प्रसाद

कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद ने साल 2021 में कांग्रेस पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। जितिन प्रसाद का संबंध राजनीतिक खानदान से है। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के बड़े ही कद्दावर नेता माने जाते थे। जितेंद्र प्रसाद राजीव गांधी से लेकर पीवी नरसिम्हा राव तक के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं। इसी के साथ वे कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस के नेता थे। जितिन प्रसाद ने पिता के जाने के बाद साल 2001 में राजनीति में कदम रखा। तब वे भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव बने। इसके बाद 2004 के आम चुनाव में शारजहांपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीते। फिर वे 2008 में केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री बने।

मिलिंद देवड़ा

कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे मिलिंद देवड़ा पार्टी का एक मजबूत चेहरा थे। मिलिंद देवड़ा ने इसी साल जनवरी में कांग्रेस से नाराजगी के चलते पार्टी छोड़ दी थी और शिंदे गुट वाली शिवसेना में शामिल हो गए थे। कांग्रेस से उनका रिश्ता 55 साल पुराना था। उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक थे। मुरली देवड़ा कांग्रेस सरकार में पेट्रोलियम मंत्री भी रह चुके थे। मिलिंद देवड़ा महज 27 साल की उम्र में सांसद बने गए थे। देवड़ा कांग्रेस में अखिल भारतीय संयुक्त कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

अजित पवार

अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का एक बड़ा चेहारा हैं। उनके पिता शरद पवार एनसीपी चीफ हैं, जो कि इंडिया गठबंधन का ही हिस्सा है। वे कांग्रेस सरकार में भारत के रक्षा मंत्री और कृषि मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं, अजित पवार की बहन सुप्रिया सुले बारामती लोकसभा सीट से सांसद हैं। माना जाता है कि अजित पवार सुप्रिया सुले को एनसीपी का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से नाराज चल रहे थे। इसके बाद उन्होंने अपने कुछ विधायकों के साथ एनसीपी छोड़ शिंदे गुट की शिवसेना और एनडीए को अपना समर्थन दे दिया। अभी वह एनसीपी के मुखिया और एनडीए के भी बड़े नेताओं में से एक हैं।

Created On :   17 April 2024 3:17 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story