बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग की ओर से किए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्षी दलों ने साधा निशाना

- 2003 में एक साल का समय लगा था
- अब केवल 25 दिनों में प्रक्रिया पूर्ण कैसे कर लेंगे?- खेड़ा
- कांग्रेस का बड़ा आरोप , एक साल पहले लोक सभा चुनाव में वोट दिया था, वो एक साल बाद अयोग्य कैसे हो गए?
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन की ओर से किए जा रहे मतदाता सूची के "विशेष गहन पुनरीक्षण" पर विपक्षी दलों की ओर से निशाना साधा जा रहा है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के "विशेष गहन पुनरीक्षण" पर कहा, "जब आपको (मतदाताओं के) नाम काटने ही हैं तो आसानी से काट लेंगे, उसमें क्या है? काम मुश्किल तब होगा जब आपकी नीयत साफ होगी। 2003 में बिहार में जब यही पुनरीक्षण हुआ था तब एक साल की समय लगा था। अब आप केवल 25 दिनों में इस प्रक्रिया को पूर्ण कर लेंगे? तो आपकी नीयत तो यही है कि केवल नाम काटने हैं, कागजों की जांच नहीं करनी और आपको तो मालूम ही है कि किस वर्ग के नाम काटने हैं। हमारे पास तमाम विकल्प सड़क से लेकर संसद तक खुले हैं और इस देश में किसी एक संस्था की दादागिरी नहीं चल सकती।
जदयू नेता नीरज कुमार ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बयान पर कहा, "मतदाता पुनरिक्षण का कार्य चुनाव आयोग का है और हमारी उम्मीद चुनाव आयोग से केवल और केवल इतनी है कि कोई भी व्यक्ति जिसे भारत के संविधान के तहत मतदान करने का अधिकार प्राप्त है, वह छूटे नहीं... जिसमें भी पात्रता है, वह वोट देने का अधिकारी है तो उन्हें यह अधिकार मिलना चाहिए। इसके लिए जो भी आवश्यक शर्ते हैं उनका भी अवलोकन किया जाना चाहिए।"
कांग्रेस ने इसे लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है चुनाव आयोग ने बिहार के लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लोगों से नागरिकता साबित करने के लिए 'कागज' मांगे गए हैं। जो कागज नहीं दिखा पाएगा, उसे वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। लोगों का कहना है कि उनके पास खुद की नागरिकता साबित करने के लिए आधार कार्ड है, जिसे चुनाव आयोग मानने को तैयार नहीं है। अब बिहार के लोग चुनाव आयोग के मांगे गए 'कागज' जुटाने के लिए भटक रहे हैं और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं
• चुनाव से ठीक पहले ऐसा प्रयोग क्यों किया जा रहा है?
• एक महीने में 8 करोड़ लोगों की नागरिकता की जांच कैसे संभव है?
• जिन्होंने एक साल पहले लोक सभा चुनाव में वोट दिया था, वो एक साल बाद अयोग्य कैसे हो गए?
ये साफ तौर पर बिहार के दलितों, वंचितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों से उनका मताधिकार छीनने की साजिश है- लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
Created On :   4 July 2025 3:58 PM IST