Etawah Katha Vachak Controversy: 'ब्राह्मण के बिना नहीं हो सकता क्रिया-कर्म....यादवों को कथा कहने का अधिकार..', इटावा में कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी पर बोले ओपी राजभर

- इटावा कथावाचक मामले पर गरमाई सियासत
- ओपी राजभर ने की घटना की निंदा
- यादवों के कथा कहने की परंपरा नहीं
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। इटावा में कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी मामले में सियासत गरमाई हुई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता इस पर जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अब इस मामले में योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने घटना की निंदा करते हुए कहा कि देश संविधान से चलता है और अगर किसी को कोई शिकायत है तो उसे पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए थी न कि खुद ही न्याय करने का प्रयास करना चाहिए था।
देश में संविधान और कानून का राज
ओपी राजभर ने कहा कि हम घटना की निंदा करते हैं। देश में संविधान है, कानून का राज है। यदि किसी ने गलत किया है तो थाने में जाकर तहरीर देनी चाहिए थी। पुलिस एक्शन लेती लेकिन इस तरह खुद ही जज बन जाना गलत है। वहीं समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव के दान पुण्य न लेने संबंधी बयान पर उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों की भूमिका हमारे जीवन में जन्म से मृत्यु तक बनी रहती है। मरने के बाद भी क्रिया-कर्म ब्राह्मण के बिना नहीं हो सकता। ब्राह्मणों की व्यवस्था को नकारा नहीं जा सकता।
यादवों के कथा कहने की परंपरा नहीं
जाति व्यवस्था पर बोलते हुए राजभर ने कहा कि जब देश में जाति व्यवस्था बनी तो काम के आधार पर जातियों का निर्माण हुआ। यादवों को कथा कहने का अधिकार परंपरा में नहीं रहा, लेकिन संविधान के दायरे में कोई भी शिक्षा प्राप्त व्यक्ति कोई भी कार्य कर सकता है, यह हमारा संवैधानिक अधिकार है।
राजभर ने आगे कहा कि जाति व्यवस्था को नकारा नहीं जा सकता। बिना जाति के संगठन या सियासी दल नहीं बनते, जातियों के वोटों के लिए ही मंत्री और विधायक बनाए जाते हैं। जाति की बात आती है, तो जाति याद आती है।
Created On :   26 Jun 2025 11:34 PM IST