निर्देश: आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों पर सुप्रीम कोर्ट की नकेल, पार्टियों को बताना होगा क्यों दिए टिकट

Instructions: Supreme Court scams on candidates with criminal records
निर्देश: आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों पर सुप्रीम कोर्ट की नकेल, पार्टियों को बताना होगा क्यों दिए टिकट
निर्देश: आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों पर सुप्रीम कोर्ट की नकेल, पार्टियों को बताना होगा क्यों दिए टिकट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर सभी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी साझा करें। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया है कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवारों को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित है।

गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने एक आरटीआई आवेदन पर चुनाव आयोग के जवाब के हवाले से गत 31 जनवरी को एक प्रकाशित खबर में यह अंदेशा बताया था कि सियादी दल इस मसले में अपने दायित्व को पूरा नहीं कर रही है और चुनाव आयोग भी इसको सुनिश्चित नही कर रहा है कि आम चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों ने अखबार में इश्तेहार छपवाए है या नहीं। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है।

दागी नेता को उम्मीदवार क्यूं बनाया बताना होगा 
एक याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर उन सभी उम्मीदवारों का ब्यौरा प्रस्तुत करें जिसमें उम्मीदवार पर दर्ज सभी आपराधिक मामले, ट्रायल और उम्मीदवार के चयन का कारण भी बताना होगा। यानी राजनीतिक दलों को यह भी बताना होगा कि आखिर उन्होंने एक दागी को उम्मीदवार क्यों बनाया है। अदालत के फैसले के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को उम्मीदवार घोषित करने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही घोषित किए गए उम्मीदवार की जानकारी स्थानीय अखबारों में भी छपवानी होगी।

राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को जारी की थी एडवायजरी
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर 10 अक्टूबर, 2018 को सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को एक एडवायजरी जारी की थी। इसके तहत दागी उम्मीदवारों को नामांकन से मतदान के दो दिन पहले तक तीन अखबारों में अपना आपराधिक ब्यौरा प्रकाशित करना था। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में भी यह दावा किया गया था कि सिंतबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था

Created On :   13 Feb 2020 10:14 PM GMT

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