Congress On GST Reform: 'जनता को स्वदेशी का उपदेश देने वाले...' पीएम मोदी के राष्ट्र संबोधन को लेकर कांग्रेस ने साधा निशाना

- पीएम मोदी ने 2017 में लगाया था भारी भरकम जीएसटी
- अपनी आदत के मुताबिक जीएसटी दरों में सुधार का लिया श्रेय
- जीएसटी लागू कर व्यापक आर्थिक की लूट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को राष्ट्र को संबोधित किया। इसको लेकर कांग्रेस ने तंज कसा है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने जीएसटी सुधार पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने दोबारा से अपनी आदत के मुताबिक जीएसटी दरों में सुधार का श्रेय लेने की कोशिश की है।
दर कम करके थपथपा रहे है पीठ
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "साल 2017 में पीएम मोदी ने ही भारी-भरकम दरों के साथ जीएसटी लागू किया था, जिससे देश के उद्योग, व्यापारी और आम नागरिक परेशान हुए और उनकी व्यापक आर्थिक लूट हुई। वही पीएम मोदी रविवार को दर कम करने के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि पिछले आठ सालों में जीएसटी कलेक्शन दोगुना हुआ है, जो बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव उपभोक्ताओं और छोटे कारोबारियों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि जब पीएम मोदी जीएसटी में कटौती का श्रेय ले रहे है तो पिछले आठ सालों में बढ़ी हुई दरों से लुट की गई है, उसकी जिम्मेदारी भी उन्हें लेनी चाहिए।
जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स में बदला
हर्षवर्धन सपकाल ने बताया, "राहुल गांधी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि पीएम मोदी ने जीएसटी को 'गब्बर सिंह टैक्स' में बदल दिया है। दरों में कमी कर जनता की लूट बंद करो, यह मांग भी उन्होंने लगातार की थी। लेकिन, उस पर निर्णय लेने में पीएम मोदी ने कई साल देर की। पेट्रोल-डीजल के दामों पर तो पीएम मोदी आज भी चुप हैं।"
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा, "जनता को स्वदेशी का उपदेश देने वाले प्रधानमंत्री खुद विदेशी कारें, घड़ियां, पेन और फोन का इस्तेमाल करते हैं। 'आत्मनिर्भरता' का पाठ पढ़ाते समय वे खुद ऐशोआराम की जिंदगी जीते हैं। उन्होंने आज कहा कि यह 'बचत महोत्सव' है, तो क्या पिछले आठ साल 'लूट महोत्सव' चल रहा था? यह भी उन्हें बताना चाहिए।"
भाषण में दिखी आत्मविश्वस की कमी
सपकाल का कहना है, "उनके आज के भाषण में उत्साह और आत्मविश्वास की कमी थी। शायद देशभर में गूंजने वाले 'वोट चोर, गद्दी छोड़' के नारे और जनता में बढ़ती नाराजगी ही उसका प्रतिबिंब रही होगी। प्रधानमंत्री को जनता को गुमराह करने वाले भाषणों के बजाय महंगाई, बेरोजगारी, खेती और किसानों की समस्याओं को हल करने का ईमानदार प्रयास करना चाहिए।"
Created On :   21 Sept 2025 9:28 PM IST