मोदी सरकार का दांव: खुलेगा साउथ का द्वार, उत्तर में मजबूत होगी बात, इसलिए मोदी सरकार ने भारत रत्न के लिए चुने ये दो नाम!

खुलेगा साउथ का द्वार, उत्तर में मजबूत होगी बात, इसलिए मोदी सरकार ने भारत रत्न के लिए चुने ये दो नाम!
  • पांच लोगों को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान
  • पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह भी शामिल
  • भारत रत्न मोदी सरकार का चुनाव से पहले बड़ा दांव!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने एक के बाद एक पांच लोगों को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है। इसमें देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह का नाम भी शामिल है। इन दो नामों को सम्मान देकर मोदी सरकार ने एक बड़े तबके का दिल जीतने की कोशिश की है। इस उम्मीद के साथ की जो दिल जीतें जाएंगे वो आगे चलकर वोट में भी तब्दील होंगे। हो सकता है पीवी नरसिम्हा राव के नाम से साउथ का द्वार बीजेपी के लिए खुल जाए और उत्तर में जाटों और गुर्जर का साथ उन्हें मजबूत बनाए। समझिए इस सम्मान के साथ सियासत का क्या कनेक्शन है।

नरसिम्हा राव को क्यों दिया भारत रत्‍न ?

देश की अर्थव्यस्था बढ़ाने में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का बड़ा योगदान था। आजादी के बाद भारत की ग्रोथ रेट 2 से 3 परसेंट पर अटक गई थी। हालात यह थे कि देश कर्ज में डूब चुका था। नरसिम्हा राव ने अपने कार्यकाल की शुरुआत के 100 दिनों तक सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए काम किया था। उस समय देश के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह थे। परिणाम यह हुआ कि 1994 तक देश की अर्थव्यस्था 6।7 फीसदी तक पहुंच गई।

देश में विदेश नीति की नींव नरसिम्हा राव ने ही रखी थी। राव ने भारत को रूस का दोस्त रहते हुए अन्य देशों से भी मित्रता निभाई थी। उन्हें यह पता था कि आने वाला समय अमेरिका का है। तो राव की सरकार ने अमेरिका को तवज्जो देना शुरु कर दिया था। बता दें कि ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ राव की ही देन है। इसके साथ ही पंजाब में आतंकवाद को शांत करने के लिए नरसिम्हा राव ने बड़ी भूमिका निभाई थी। साल 1987 से लेकर 1992 तक पंजाब में 5 वर्षों तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा। मगर जब देश की कमान नरसिम्हा राव के हाथों में आई तब पंजाब को अपनी सरकार चुनने का मौका मिला। उनके इन कामों की सराहना करते हुए ही केन्द्र सरकार आज उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान किया है।

इसको लेकर एक राजनैतिक कारण भी बताया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा साउथ में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए चुनाव से पहले ऐसा कर रही है। पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देना भाजपा का चुनावी दांव है। वैसे तो साउथ के सुपर स्टार पवन कल्याण की पार्टी जन सेना और टीडीपी बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए तैयार हो चुकी है। लेकिन बीजेपी किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह है कि पीवी नरसिम्हा राव को बीजेपी ने भारत रत्न के लिए चुना है। जो आंध्रप्रदेश के बड़े नेता रहने के साथ ही साउथ की राजनीति का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा भी थे। उम्मीद है कि उनके जरिए दक्षिण भारतीय ब्राह्मण बीजेपी का रुख करेंगे।

चौधरी चरण सिंह को क्यों मिला भारत रत्‍न ?

चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीती के एक महान नेता हैं। जो बागपत जिले की छपरौली विधानसभा सीट से लगातार 40 साल विधायक रह चुके हैं। बाद में इसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर सीएम और बागपत लोक सभा सीट से चुनाव जीतकर पीएम भी बने। चौधरी चरण सिंह को एम – फैक्टर का जनक भी कहा जाता है। बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और इसके आस-पास के राज्यों में यादव, जाट, गुर्जर और राजपूत जैसी जातियां किसानी करती थीं। इन जातीयों को एक साथ जोड़कर किसान नेता सर छोटूराम ने ‘अजगर‘ नाम दिया था। बाद में चौधरी चरण सिंह ने इसमें एम-फैक्टर( मुसलमान) जोड़कर मजगर नाम का नया फॉर्मूला तैयार किया। इस फॉर्मूला ने आगे चलकर समाजवाद को नई ताकत दी। ऐसे और भी महान कार्य हैं जो चौधरी चरण सिंह द्वारा किए गए। यही कारण है कि आज इनको भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है।

लेकिन इसके पीछे एक राजनैतिक कारण भी बताया जा रहा है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर बीजेपी चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी को अपने पार्टी में शामिल करना चाहती है। जिससे जाट और गुर्जर वोट भाजपा अपने नाम कर सकें। और ऐसा होते हुए भी दिखा। क्योंकि जब जयंत चौधरी से पूछा गया कि आप भाजपा में आएंगे या नहीं इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ‘अब ये कोई पूछने वाली बात थोड़ी है‘। माना जा रहा है कि इस एक दांव से बीजेपी किसान आंदोलन से पनपी नाराजगी को भी कम कर सके। अब यह देखने वाली बात होगी की आने वाले आम चुनावों में भाजपा को कितना इसका फायदा पहुंचता है।

Created On :   10 Feb 2024 10:19 AM GMT

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