उत्तर प्रदेश: वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रामचरितमानस और तुलसीदास पर की गई टिप्पणी पर मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश

वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ  रामचरितमानस और तुलसीदास पर की गई टिप्पणी पर मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश
  • 22 जनवरी 2023 को एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में की थी टिप्पणी
  • रामचरितमानस और तुलसीदास पर की गई टिप्पणी को कुछ लोग विवादित मान रहे है
  • कुछ दिन पहले रायबरेली में मौर्य पर हुआ था हमला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की वाराणसी के एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ साल 2023 में रामचरितमानस और तुलसीदास पर की गई टिप्पणी को लेकर सुसंगत धाराओं में वाराणसी के कैंट थाने में 156(3)के तहत मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश गुरुवार को दिया है। हालांकि आपको बता दें कोर्ट पहले भी एफआईआर दर्ज करने वाली ऐसी याचिकाओं की मांग को अक्टूबर 2023 में खारिज कर चुका था, लेकिन अब कोर्ट ने रिव्यू एप्लीकेशन पर वाराणसी के कैंट थाने में मौर्य के खिलाफ 156(3) के तहत मुकदमा पंजीकृत करके विवेचना शुरू करने का आदेश थाना प्रभारी को दिया गया है।

मौर्य के खिलाफ एफआईआर की मांग भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी काशी क्षेत्र उपाध्यक्ष और पेशे से वकील अशोक कुमार ने वाराणसी के कोर्ट में की। जिस पर बीते दिन कोर्ट ने आदेश दिया था। आपको बता दें ये पूरा मामला 22 जनवरी 2023 का है, जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक टीवी चैनल पर दिए अपने साक्षात्कार में रामचरितमानस और तुलसीदास पर टिप्पणी की थी, टिप्पणी को कुछ लोग विवादित मान रहे है।

अक्सर मौर्य कई मौकों पर हिंदू, ब्राह्मणों को लेकर टिप्पणी करते रहते है। इसे लेकर बीते दिन उनपर रायबरेली में हमला भी हुआ था। हमला करने वाले आरोपी का कहना था कि वो मौर्य द्वारा ब्राह्मणों, हिंदुओं पर दिए गए बयान से नाराज था। मौर्य समर्थकों ने हमलावार को जमकर पीटा था और पुलिस के हवाले कर दिया था। मौर्य समर्थकों का कहना है कि टिप्पणी एक वर्ग विशेष को ही क्यों विवादित लगती है। स्वामी प्रसाद मौर्य कई मौकों पर कह चुके है कि अगर हर मस्जिद में मंदिर खोजेंगे तो हम बौद्ध मठ ढूंढेंगे।

रामायण : ए ट्रू रीडि़ंग’ (अंग्रेजी ) और सच्ची रामायण

आपको बता दें ईवी रामास्वामी पेरियार ने गहन अध्ययन करने के बाद रामायण पर कई सवाल उठाए, उनके द्वारा लिखित रामायण : ए ट्रू रीडि़ंग’ (अंग्रेजी ) का हिंदी में अनुवाद ललई सिंह ने किया। इनकी हिंदी में प्रकाशित सच्ची रामायण ने पूरे भारत में तहलका मचा दिया था। तत्कालीन उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई तमाम पाबंदियों के बाद ललई सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से केस जीते।

ललई सिंह यादव द्वारा प्रकाशित ‘सच्ची रामायण’ का प्रकरण अभी चल ही रहा था कि उ.प्र. सरकारी की 10 मार्च 1970 की स्पेशल आज्ञा द्वारा 'सम्मान के लिए धर्म परिवर्तन करें' नामक पुस्तक जिसमें डाॅ. अम्बेडकर के कुछ भाषण थे तथा 'जाति भेद का उच्छेद' नामक पुस्तक 12 सितम्बर 1970 को चौधरी चरण सिंह की सरकार द्वारा जब्त की। इसमें भी यूपी सरकार को फटकार और हार मिली। इसी प्रकार ललई सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘आर्यो का नैतिक पोल प्रकाश’ के विरूद्ध 1973 में मुकदमा चला दिया। यह मुकदमा उनके जीवन पर्यन्त चलता रहा।

बाद में ललई सिंह ने 1967 में बौद्ध धर्म अपनाया और यादव टाइटल हटाया,यादव शब्द को हटाने के पीछे उनकी गहरी जातिवाद विरोधी चेतना रही। उन्होंने जातिविहीन समाज के लिए संघर्ष किया। पेरियार ई वी रामासामी के परिनिर्वाण के बाद दक्षिण में विशाल शोक सभा में ललई सिंह को विशेष आमंत्रण मिला, जहां पेरियार समर्थकों ने ललई सिंह को उत्तर भारत का पेरियार कहा।

Created On :   8 Aug 2025 10:32 AM IST

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