त्रेतायुगीन शनि मंदिर: मध्यप्रदेश के जिला मुरैना में ऐंती गांव में देश का सबसे पुराना शनिचरा मंदिर, जानिए इसका ऐतिहासिक महत्व
- शनिचरा पहाडी पर स्थित शनिदेव मंदिर
- देश का सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर
- भारत में शनिदेव के तीन सिद्धपीठ मंदिर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के ऐंती गांव में शनिचरा पहाड़ी पर स्थित शनिदेव मंदिर का देश-विदेश में अधिक महत्व है। इस देश का सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर है, यहां स्थापित है श्री शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष एवं अद्भुत है। भारत में शनिदेव के तीन सिद्धपीठ मंदिर हैं। इनमें से एक है मुरैना की ऐंती में शनिचरा मंदिर। इस मंदिर में भक्त शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें गले भी लगाया जाता है। शनि मंदिर मध्य प्रदेश शासन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का देवस्थान है। शनिचरा मंदिर एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। कुछ प्राचीन से लेकर श्रृद्धालुओं की लगातार जनसंख्या को देखते हुए यहां कई विकास कार्य और सुविधाओं का विस्तार शासन-प्रशासन की ओर से किया जा रहा है। यहां कई देवताओं के विचार नीचे दिए गए हैं।
वैसे तो यहां हर शनिवार को सैकड़ों श्रृद्धालु आते हैं। लेकिन हर साल ज्येष्ठ माह की शनिचरी किराने की दुकान यानी शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन यहां मेला लगता है। इस संस्था पर बड़ी संख्या में भक्त मुरैना स्थित शनिचरा मंदिर पहुँचते हैं। यहां शनि देव के दर्शन के बाद श्रृद्धालु को वस्त्र, परिधान, जूते या अन्य कोई भी वस्तु जो दर्शन करने के दौरान धारण की जाती है, उसे बाहर निकाल दिया जाता है।
ज्योतिषियों के अनुसार हिंदू धर्म में शनिवार के दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित किया जाता है। इस दिन श्रद्धापूर्वक शनिदेव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही, भक्त मनोवांछित फल पाने के लिए शनिदेव के दिन शनिवार का व्रत भी रखें। कहा जाता है न्याय के देवता शनिदेव के सिद्धपीठ मंदिर में दर्शन करने से शनि दोष दूर हो जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शनिचरा मंदिर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। भक्त का हर मन बिल्कुल वैसा ही है। साथ ही शनि दोष भी दूर होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि सिद्धपीठ शनिदेव के मंदिर में न्याय के देवता के दर्शन से शनि बाधा दूर हो जाती है। इसलिए यहां बड़ी संख्या में भक्त शहीद और शनि की पूजा करते हैं। यहां के लिए यहां आता है वैशाली हवाई अड्डा, जो मुरैना से करीब 30 किलोमीटर दूर है, तीर्थ स्थल, हिंद से करीब 80 किलोमीटर और श्योपुर जिले से करीब 210 किलोमीटर दूर है। ट्रेन से जाने के लिए आप मुरैना, भिंड या यात्रा स्टेशन पर उतरना पड़ेगा, धार्मिक स्थल रोड से भी जा सकते हैं, इसलिए श्रद्धालु वहां से निजी वाहन से भी जा सकते हैं।
कहा जाता है कि हनुमान ने शनिदेव को लंकापति रावण के अवशेषों के नीचे से मुक्त आश्रम में रखा था, कई संतों में दबे होने के कारण वे काफी दुर्बल हो गए थे। लंका दहन का उद्देश्य शनिदेव ने कहा था कि जब तक वे लंका में रहेंगे तब तक दहन नहीं हो सकेगा, दुर्बल होने के कारण वे चल भी नहीं सकते कि उनका निकलना कठिन है। हनुमान जी से निवेदन है कि शनिदेव भारत भूमि से पूरी ताकत से जुड़ें। हनुमान जी के संकट के समय शनिदेव मुरैना जिले के ऐंती ग्राम के पास स्थित एक प्रसिद्ध पर्वत है जिसे शनि पर्वत कहा जाता है।
कहा जाता है कि यहां शनिदेव की मूर्ति के सामने ही हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना हुई थी। वर्ष 1808 ई0 में किले के शासक सुल्तान सिंधिया ने यहाँ जागीर राव थे। कहा जाता है कि महाराष्ट्र के सिंगनापुर में स्थित शनि को शनिचरा पर्वत से ही स्थापित किया गया था।
Created On :   25 Aug 2025 8:36 PM IST