Amravati News: कहीं आंगनवाड़ी-विद्यालय की छत टपकती मिली, तो कहीं शिक्षक ही नहीं मिले

कहीं आंगनवाड़ी-विद्यालय की छत टपकती मिली, तो कहीं शिक्षक ही नहीं मिले
  • अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति पहुंची आदिवासी बहुल क्षेत्र ं
  • जिप शालाओं, आश्रमशालाओं , छात्रावास, आंगनवाड़ियों की दयनीय स्थिति देखकर दंग रह गई

Amravati News अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति आदिवासी बहुल क्षेत्र की जिप शालाओं, आश्रमशालाओं सहित छात्रावास की दयनीय स्थिति देखकर दंग रह गई। देश के पहले डिजिटल गांव हरिसाल में कई समस्याएं समिति सदस्य राजू तोड़साम ने देखी। स्लैब के छत के पुर्जे कहीं गिरे, तो कहीं अंागनवाड़ी की छत टपकती रही। इसे तत्काल दुरुस्त करने का समिति ने निर्देश दिया।

आदिवासी बहुल क्षेत्र के जिला परिषद विद्यालयों की दयनीय हालत पर दैनिक भास्कर द्वारा लगातार खबरें प्रकाशित गई थीं, उसी का असर गुरुवार को समिति के सदस्य राजू तोड़साम के दौरे के दौरान दिखाई दिया। उन्होंने दैनिक भास्कर की पहल की भी सराहना की।

समिति ने पाया कि लाखों रुपए का अनुदान िदए जाने के बाद भी उसका उपयोग सही तरीके से गरीब आदिवािसयों को नहीं मिल पाता है। उनकी सुविधाओं पर प्रशासन किस तरह उदासीन है, इसका दर्शन यहां पर विभिन्न जिप विद्यालयों, अंागनवाड़ी केन्द्रों के दौरे के दौरान दिखाई दिया। आदिवासी आश्रमशाला के छात्रों को अभी तक शालेय गणवेश और जूते भी नहीं मिले हैं, जबकि विद्यालय शुरू हुए दो महीने पूरे हो गए हैं।

समिति द्वारा संबंधित अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई गई। अंागनवाड़ी केन्द्र की हालत पर जयश्री खारवे ओर बाल विकास अधिकारी से पूछने पर अंागनवाड़ी केंद्र बने 15 साल होने तथा दो बार रिपेयर के बाद भी टपकने की जानकारी दी गई।

लाखों का कम्प्यूटर धूल खा रहा : समिति ने पाया कि यहां आदिवासी बच्चों को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए लाखों रुपए के कम्प्यूटर जिप विद्यालय को दिया गया है। लेकिन वह धूल खा रहे हैं। ग्राम विकास अधिकारी से लेकर जिला परिषद के संबंधित विभाग को इसकी फुर्सत नहीं है। जि.प. स्कूल में मायक्रोसाफ्ट द्वारा लगाया गया एमएससीईटी केन्द्र बंद मिला, यहां पर 15 कम्प्यूटर धूल खाते दिखे। बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी समिति को हर ओर दिखाई दी।

विधायक तोड़साम ने बच्चों को पढ़ाया और पूछे सवाल : विधायक राजू तोड़साम ने बच्चों को पढ़ाया और उनसे कुछ सवाल भी पूछे। दो माह बाद भी बच्चों को गणवेश, जूते नहीं दिए गए। बच्चों को सतरंजी,ब्लैंकेट,रजाई, गादी की बजाय मैली-कुचैली चटाई पर सोना पड़ रहा है। बिजुधावडी शासकीय आश्रमशाला में एक ही शिक्षक पर पूरी जिम्मेदारी है। शिक्षक और बच्चों के रहने के लिए छात्रालय नहीं है। समिति भी यहां की बदहाली देख कर दंग रह गई। इस दौरे में सामाजिक कार्यकर्ता रमेश तोटे, उदय पंडित, विलास वाघमारे सहित अन्य भी साथ में थे।


Created On :   22 Aug 2025 3:19 PM IST

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