Amravati News: पथ्रोट में केला चिप्स व पौधों से पेपर-कपड़ा बनाने उद्योग की सालों से आस

पथ्रोट में केला चिप्स व पौधों से पेपर-कपड़ा बनाने उद्योग की सालों से आस
  • 70 वर्ष से हो रहा केला उत्पादन
  • कच्चा माल 12 घंटे में पका कर करते हैं निर्यात
  • क्षेत्र के किसानों समेत सैकड़ों मजदूरों की आर्थिक उन्नति संभव

Amravati News पथ्रोट. जिले के पथ्रोट और क्षेत्र के देहातों में विगत् 70 वर्ष से बड़ी मात्रा में केला उत्पादन होता है। इसलिए यहां भी संतरा प्रकिया उद्योग की तर्ज पर केला चिप्स निर्मिति और बचे हुए केले के पौधों के रेशों से पेपर तथा कपड़ा निर्मिति उद्योग शुरू करना क्षेत्र की आर्थिक उन्नति के लिए आवश्यक है। क्षेत्र के जन प्रतिनिधि इस ओर ध्यान दें। यह अपेक्षा क्षेत्र के केला उत्पादक किसान और केला कटाई करने वाले सैकड़ों मजदूरों की है। पथ्रोट गांव और समीप के छोटे देहातों में 70 वर्ष पहले केले का देसी पौधा लगाकर फसल ली जाती थी। जिसमे केले के घड़ का वजन कम होने से किसानों को बचत कम होती थी, लेकिन अब विगत् 25 वर्षों से केले का पौधा टिश्यूकल्चर प्रणाली द्वारा लैब मैं तैयार हो रहा है। इन पौधों के रोपण से केले के घड़ का वजन औसतन 20 से 40 किलो हो जाता है।

एक पौधे की कीमत करीबन 16 से 20 रुपये है। इसके लिए कृषि विभाग से 5 एकड़ तक की सब्सिडी भी मिलती है। पहले फसल को नाली पद्धति से पानी दिया जाता था, लेकिन अब समय के साथ सब्सिडी पर मिलने वाले ठिंबक और तुषार सिंचन जैसी सुविधाओं से अधिकांश किसानों ने केले की फसल की ओर रुख किया है। केले की फसल 10 माह में परिपक्व होती है। पहले यहां से सिर्फ कच्चा केला मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल, दिल्ली आदि बाहरी राज्यों में भेजा जाता था, लेकिन अब केला पकाने के लिये सि-रायपनिंग केंद्र (शीतगृह) शुरू हुआ है। इस केंद्र में केला मात्र 12 घंटों में पक कर तैयार हो जाता है। जिससे अब यहां से ज्यादातर पके केले की निर्यात हो रहा है।

मजदूरों को डेली 600 रुपए दिहाड़ी : पथ्रोट समेत क्षेत्र को गांवों में उत्पादित कच्चे केले को खेत से काटकर केंद्र तक लाने वाले हजारों मजदूरों की जीविका केले की फसल पर ही निर्भर है। पहले इन मजदूरों को प्रति कैरेट 14 रुपये मजदूरी मिलती थी। जिसमें से 2 रुपये किसान और 12 रुपये व्यापारी देता था, लेकिन कुछ महीनों पहले मजदूरों द्वारा आंदोलन किए जाने के बाद से केला कटा‌ई का काम प्रभावित हो गया। जिसके बाद मजदूर, किसान और व्यापारियों में समझौता हुआ और आज उन्हें प्रति कैरैट 17 रुपये मजदूरी दी जा रही है। जिसमें से 2 रुपये किसान और 15 रुपये व्यापारी दे रहे हैं। इस काम से उन्हें प्रतिदिन प्रति मजदूर औसतन 600 रुपए दिहाड़ी प्राप्त हो रही है।

Created On :   3 May 2025 3:58 PM IST

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