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Chandrapur News: करोड़ों की संपत्ति हड़पने एनसीपी अध्यक्ष ने खुद को दर्शाया मृत महिला का पति

- ग्राम पंचायत में बनवाया फर्जी मैरेज सर्टिफिकेट
- आरोपी के घर किराए से रहती थी महिला
- मुख्य आरोपी के साथ चार मददगारों के खिलाफ भी मामला दर्ज
Chandrapur News महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड में कार्यरत एक मृत महिला कर्मचारी को जाली विवाह प्रमाण पत्र में अपनी पत्नी बताकर मुआवजे की 1.35 करोड़ की राशि और कलमना गांव की जमीन हड़पने की कोशिश के आरोप में बल्लारशाह न्यायालय के 9 मई के आदेश पर बल्लारशाह पुलिस ने एक नेता, शासकीय विभाग में कार्यरत आरोपी व अन्य के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया है।
जिनमें मृतक महिला का तथाकथित पति और बल्लारपुर राष्ट्रवादी नगर अध्यक्ष बादल खुशालचंद उराडे, बामनी ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी लक्ष्मण शेंडे, पंचायत समिति के गुट विकास अधिकारी धनंजय सालवे, ग्राम पंचायत की लिपिक रेखा डेरकर और जाली विवाह प्रमाणपत्र के आधार पर कोर्ट में वारिस प्रमाण पत्र का दावा पेश करने में एड. राजेश जुनारकर शामिल हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य विद्युत विभाग वर्धा में कार्यरत पति की 1994 में मृत्यु होने पश्चात मालाबाई पारखी की अनुकंपा तत्व पर वर्धा में ड्यूटी लगी थी। बल्लारपुर में ट्रांसफर होने के पश्चात संतोषी माता वार्ड स्थित बादल उराडे के मकान में किराए से रहती थी। जिसका 2021 में कोरोना से निधन हो गया। कोरोना में ड्यूटी पर मृत्यु के पश्चात उसके वारिसदारों को सरकार की ओर से 50 लाख तथा ग्रेच्युटी, भविष्य निधि मिलाकर कुल 1.35 करोड़ से अधिक रकम मिलने वाली थी। यह बात बादल उराडे के ध्यान में आते ही उसने बामनी ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी, कर्मचारियों और बीडीओ से मिलीभगत कर विवाह प्रमाण पत्र हासिल किया। एमएसईबी में मुआवजे की राशि का दावा किया, लेकिन एमएसईबी द्वारा कोर्ट का वारिस प्रमाण पत्र मांगने पर राजेश जुनारकर नामक वकील की सहायता से उराडे ने 2021 में कोर्ट में अर्जी लगाई।
इसकी भनक लगते ही मालाबाई के रिश्तेदार विनोद खोब्रागडे ने दिसंबर 2024 में जिलाधिकारी, एसडीओ, तहसीलदार तथा बल्लारशाह पुलिस में शिकायत की। परन्तु किसी के भी संज्ञान न लेने पर आखिरकार उसने कोर्ट की शरण ली। 9 मई को अदालती आदेश में फर्जी विवाह प्रमाणपत्र होने की बात सामने आयी। जिसके आधार पर बल्लारशाह पुलिस ने पांचों के खिलाफ गुरुवार शाम को मामला पंजीबद्ध किया।
इस मामले में शिकायतकर्ता खोबरागड़े ने दैनिक भास्कर को बताया कि 2011 में उराडे ने मालाबाई पारखी से विवाह का प्रमाण पत्र पेश किया, तो उसका उपनाम उराडे हो जाना चाहिए था लेकिन जब 2017 में मालाबाई ने समीपस्थ कलमना गांव में जमीन खरीदी तो उपनाम उराडे की बजाय पारखी ही था। सूचना के आधार पर जानकारी मांगने पर अनुपलब्ध होने की बात बार-बार कही गई। मामले की जांच बल्लारशाह पुलिस कर रही है।
Created On :   17 May 2025 5:02 PM IST