दहशत: चंद्रपुर में वन्यजीवों का खौफ, जंगल में लकड़ियां लाने गया अधेड़ बना बाघ का शिकार

चंद्रपुर में वन्यजीवों का खौफ, जंगल में लकड़ियां लाने गया अधेड़ बना बाघ का शिकार
  • जनवरी से जिले में छठवीं और बल्लारपुर तहसील में चौथी मृत्यु
  • तेंदुए को रोकने गांव के चारों ओर लगाई 15 फीट ऊंची जाली
  • बाघिन को फिर से ‘रेडियो कॉलर’ लगाकर जंगल छोड़ा गया

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। जिले में बाघ और तेंदुए की दहशत फैली हुई है। बल्लारपुर तहसील के बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र के नियतक्षेत्र केम के संरक्षित वनखंड क्रमांक 577 में बाघ के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई। जनवरी से जिले में अब तक बाघ के हमले 6 लोग बाघ का शिकार हुुए हैं। सावली वनपरिक्षेत्र के उपवनक्षेत्र पेंढरी नियतक्षेत्र पेंढरी वड़हेटी में तेंदुए के हमले रोकने के लिए वनविभाग ने गांव के चारों ओर 15 फीट ऊंची ब्रांडेड नेट (जाली) लगा दी है। वहीं दूसरी आेर नवेगांव-नागझिरा अभयारण्य में छोड़ी गई बाघिन काे ढूंढकर फिर से उसी जगह पर छोड़ा गया है।

जंगल में लकड़ियां लाने गए दिवाकर उमाटे का शव तहसील के बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र केे नियतक्षेत्र केम के संरक्षित वनखंड क्रमांक 577 में मिला है। यह घटना 14 अप्रैल की रात सामने आई है। इस घटना के साथ ही जनवरी से अब तक जिले में 6 और बल्लारपुर तहसील में चार लोगों की मौत हुई हैै। बामनी के बेघर बस्ती निवासी दिवाकर मनोहर उमाटे (57) 13 अप्रैल की सुबह केम तुकुम के जंगल में जलाऊ लकड़ियां इकट्ठा करने गया था। रात होने के बाद उसके न लौटने पर दूसरे दिन 14 अप्रैल की शाम 6.30 बजे उसके परिजनों ने तुकुम के वन अधिकारी को सूचना दी। इस आधार पर बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र अधिकारी अधीनस्थ कर्मचारियों की टीम ने रात में तलाश अभियान शुरू किया। इस दौरान बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र के नियतक्षेत्र के संरक्षित वनक्षेत्र क्रं. 577 में उसका शव मिला। मौके का निरीक्षण करने वालों के अनुसार बाघ के हमले में दिवाकर की मौत हुई है।

पुलिस ने शव का पंचनामा बना पोस्टमार्टम के लिए बल्लारपुर ग्रामीण अस्पताल भेज दिया है। मृतक के परिवार को मदद के रूप में धनराशि दी गई है। घटना के बाद दो टीम गठित कर जिस परिसर में बाघ का विचरण है वहां पर 15 ट्रैप कैमरे और 4 लाइव कैमरे लगाकर पिंजराबंद करने की कार्रवाई शुरू की गई है। बामनी से सटे जंगल परिसर में बाघ होने की वजह से नागरिकों से वन में न जाने की अपील बल्लारशाह के वनपरिक्षेत्र अधिकारी नरेश भोवरे ने की है। इस घटना के साथ ही जनवरी से अब तक जिले में 6 और बल्लारपुर तहसील में 4 लोग बाघ के हमले में मारे गए हैं। मामले की जांच मध्य चांदा वनविभाग चंद्रपुर की उपवनसंरक्षक स्वेता बोड्डु, सहायक वनसंरक्षक आदेशकुमार शेंडगे के मार्गदर्शन में बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र अधिकारी नरेश भोवरे कर रहे है।

तेंदुए को रोकने गांव के चारों ओर लगाई 15 फीट ऊंची जाली : सावली वनपरिक्षेत्र के उपवनक्षेत्र पेंढरी नियतक्षेत्र पेंढरी वडहेटी में तेंदुए ने दहशत मचा रखी थी। उसके हमले रोकने के लिए वनविभाग ने गांव के चारों ओर 15 फीट ऊंची ब्रांडेड नेट (जाली) गांव के चारों आेर लगाकर नागरिकों को दहशतमुक्त कर दिया है। इस कारण वनपरिक्षेत्र अधिकारी विनोद धुर्वे की सराहना की है। सावली वनपरिक्षेत्र के पेंढरी वड़ हेटी में तेंदुआ पशुओं को निशाना बना रहा है। घटना की सूचना मिलते ही धुर्वे ने तत्काल मौके पर पहुंचकर जांच कर पंचनामा के साथ नुकसान भरपाई के दस्तावेज तैयार कर वरिष्ठ कार्यालय को भेजेे। लेकिन नागरिकों में दहशत थी इसलिए वनपरिक्षेत्र अधिकारी विनोद धुर्वे के नेतृत्व में पेंढरी के वनक्षेत्र सहायक अनिल मेश्राम, वनरक्षक सतीश नागोसे ने पेंढरीवड़ हेटी गांव के चारों ओर ब्रांडेड नेट लगाकर तेंदुए को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया।

बाघिन को फिर से ‘रेडियो कॉलर’ लगाकर जंगल छोड़ा गया

ताड़ाेबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के कोअर क्षेत्र की एनटी-3 बाघिन को ‘रेडिओ कॉलर लगाकर नवेगांव-नागझिरा अभयारण्य के कक्ष क्रमांक 95 में छोड़ा गया था। लेकिन, बाघिन को लगाया ‘रेडिओ कॉलर’ गिरने से वनविभाग में खलबली मच गई। दौरान, वनविभाग की टीम को ‘रेडिओ कॉलर की सक्रिय स्थिति का पता चला। परिसर में बाघिन को ढुंढने पर बाघिन दिखाई दी। वनविभाग ने बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज कर पुन: ‘रेडिओ कॉलर’ लगाकर फिर से उसी जगह पर छोड़ा गया। ताड़ोबा की बाघिन को 11 अप्रैल को ‘रेडिओ कॉलर’ लगाकर नागझिरा अभयारण्य में छोड़ा गया था। लेकिन ‘रेडिओ कॉलर’ गिरने से उसका एक ही जगह पर लोकेशन दिखाया जा रहा था। वनविभाग ने देखने पर ‘कॉलर’ दिखाई दिया। परिसर में बाघिन काे ढुंढने वनविभाग ने टीम गठित की। इसी परिसर में बाघिन दिखाई दी। 15 अप्रैल को सुबह 9.30 बजे के दौरान बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज कर पिंजराबंद किया गया। जिसके बाद गिरा ‘रेडिओ कॉलर’ फिर से बाघिन को लगाया गया। ‘रेडिओ कॉलर’ लगाने के बाद बाघिन को उसी परिसर में छोड़ा गया। उक्त कारवाई ताड़ोबा के पशुवैद्यकीय अधिकारी रविकांत खोब्रागडे, जलद कृ़ति दल, भारतीय वन्यजीव संस्था देहरादून सहायक संशोधक के मार्गदर्शन में की गई।

Created On :   16 April 2024 10:33 AM GMT

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