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Gadchiroli News: 17 वर्ष से गडचिरोली के पर्लकोटा के पुल का निर्माण कार्य अधर में

- भामरागढ़ इस वर्ष भी टापू में तब्दील होने का खतरा
- प्रशासन की लेटलतीफी को लेकर उठ रहे सवाल
Gadchiroli News राज्य के अतिपिछड़े जिलों की सूची में गड़चिरोली जिला शुमार है। जिले की भामरागढ़ तहसील आज भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ नहीं पायी है। इस तहसील का विकास करने के लिए राज्य के तत्कालीन महामहिम राज्यपाल डा. पी.सी. अलेक्जेंडर ने भामरागढ़ को गोद लिया था। लेकिन वर्षों बाद भी भामरागढ़ की तस्वीर बदल नहीं पायी है। इंद्रावती, पामुलगौतम और पर्लकोटा नदी के कारण हर वर्ष बारिश के दिनों में भामरागढ़ शहर टापू में तब्दील हो जाता है। सरकार ने नदी तट पर बसे ग्रामीणों के पुनर्वसन का प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन 10 वर्ष से यह प्रस्ताव अधर में पड़ा हुआ है। वहीं शहर से सटी पर्लकोटा नदी पर बड़े पुल का निर्माण कार्य भी 17 वर्ष से ठंडे बस्ते में पड़ा है। हालांकि वर्तमान में निर्माण कार्य काफी धीमी गति शुरू होने के कारण इस वर्ष भी बारिश की कालावधि में भामरागढ़ शहर वासियों को बाढ़ स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
भामरागढ़ तहसील मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर स्थित ग्राम हेमलकसा में विख्यात समाजसेवी और मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त डा. प्रकाश आमटे का लोक बिरादरी प्रकल्प है। इस कारण भामरागढ़ तहसील की पहचान समूचे राज्य में है। लेकिन यह पहचान अब गुमनाम होने की कगार पर आ पहुंची है। तहसील मुख्यालय से सटकर ही पर्लकोटा नदी है। इस नदी पर 45 वर्ष पूर्व पुल का निर्माणकार्य किया गया, जो कि ऊंचाई में काफी कम है। इस कारण बारिश के दिनों में करीब 8 से 10 दिनों तक यह नदी सीमा रेखा के बाहर होती है। पानी ओवरफ्लो होते ही बाढ़ का सारा पानी शहर में समाने लगता है। हर वर्ष नदी तट पर बसे लोगांे के घरों, दूकानों और बाजार में पानी भरा होता है। स्थिति के मद्देनजर और लगातार की गयी मांग के बाद वर्ष 2008 में पर्लकोटा नदी पर बड़े पुल का निर्माणकार्य मंजूर किया गया। राज्य सरकार ने इस निर्माणकार्य के लिए करोड़ों रुपए की निधि भी मंजूर की गयी। लेकिन यह इलाका पूरी तरह नक्सल प्रभावित होने के कारण निर्माणकार्य आरंभ नहीं किया गया। 3 वर्ष पूर्व निजी ठेकेदार की मदद से निर्माणकार्य शुरू किया गया। लेकिन कार्य की गति काफी धीमी है। अब तक पुल का निर्माणकार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। कुछ ही दिनों में बारिश का मौसम शुरू होगा। ऐसे में एक बार फिर भामरागढ़ और क्षेत्र के गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट जाएगा।
उल्लेखनीय यह हैं कि, वर्ष 1993 से 2022 तक राज्यपाल के रूप में पी. सी. अलेक्जेंडर ने कार्य संभाला। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बार डा. प्रकाश आमटे के लोक बिरादरी प्रकल्प को भेंट दी। इस भेंट के दौरान उन्होंने भामरागढ़ शहर को भी भेंट देकर यहां की समस्याओं का निवारण करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने क्षेत्र का विकास करने के लिए समूचे भामरागढ़ तहसील को गोद लिया था। लेकिन उनके कार्यकाल में भी विकास कार्य नहीं हो पाये। तत्कालीन राज्यपाल द्वारा किसी क्षेत्र को गोद लेने के बाद भी अब तक विकास की गंगा पहुंच नहीं पाने से वर्तमान में क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों में असंतोष व्यक्त होने लगा है। उधर पर्लकोटा नदी की बाढ़ से लगातार बढ़ रही परेशानी को देखते हुए जिला प्रशासन ने बाढ़ग्रस्त लोगों के पुनर्वसन का प्रस्ताव राज्य को भेजा था। लेकिन यह प्रस्ताव भी 10 वर्षो से मंजूर नहीं हो पाया है। इस कारण आज भी भामरागढ़ तहसील वासियों को नरकीय यातनाएं झेलनी पड़ रही है। बारिश के दिनों में तहसील के नागरिकों को राशन के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ता है। स्थिति को देखते हुए पर्लकोटा नदी का पुल निर्माणकार्य युध्दस्तर पर पूर्ण करने की आवश्यकता महसूस हाे रही है।
Created On :   20 May 2025 4:06 PM IST