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आयोजन: मलेरिया उन्मूलन के लिए आगे आयी "सर्च'
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी बहुल और विकास से वंचित गड़चिरोली जिले में बड़ी ही तेजी से बढ़ रहे मलेरिया के संक्रमण को रोकने के लिए पहले ग्रामीणों में जनजागरण और उसके बाद मलेरिया का जड़ से उन्मूलन करने के लिए महाराष्ट्र भूषण डा. अभय बंग की अगुवाई में शुरू की गयी सर्च संस्था ने अब गंभीर कदम उठाना शुरू कर दिया है। इस प्रयास के तहत हाल ही में सर्च संस्था के साथ राष्ट्रीय मलेरिया संसोधान संस्था और जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग ने चार दिवसीय विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। जहां मौजूद स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मलेरिया के कारणों को खंगालने का प्रयास किया। इस बीच अधिकारियों की टीम ने धानोरा तहसील के मलेरियाग्रस्त गांव सुरसुंडी को भेंट भी दी। जहां उन्होंने मरीजों के साथ चर्चा करते हुए मलेरिया की रोकथाम के लिए लोगों में जनजागरण किया।
डा. अभय बंग ने कार्यशाला के दौरान कहा कि, वर्ष 2022 में देशभर में कुल 1.8 लाख मरीज मलेरिया से पीड़ित पाए गए। इनमें से तकरीबन 80 प्रतिशत मरीज दुर्गम और आदिवासी क्षेत्र के हंै। वर्ष 2030 तक सरकार ने देश से मलेरिया का जड़ से उन्मूलन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सर्वप्रथम ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता है। राज्य में मलेरिया के लिए अधिक संवेदनशील 6 जिलों में गड़चिरोली का समावेश है। मलेरिया से मुक्ति पाने के लिए सर्च संस्था पिछले अनेक वर्षों से कार्य कर रही है। अब इस कार्य को गति देने की आवश्यकता है।
कार्यशाला में सर्च संस्था के संचालक महाराष्ट्र भूषण डा. अभग बंग, डा. सुप्रियालक्ष्मी तोटीगेर, डा. आनंद बंग, महेश देशमुख, डा. संजय बैतुले, राष्ट्रीय मलेरिया संशोधन संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. निलीमा मिश्रा, डा. हिम्मत सिंह, डा. कुलदीप सिंह, गड़चिरोली के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. दावल सालवे, जिला मलेरिया अधिकारी डा. लोकेश कोतवार, डा. कुणाल मोडक आदि उपस्थित थे। इस कार्यशाला के बाद डाक्टरों की टीम ने सुरसुंडी गांव को भेंट देकर मलेरिया से ग्रस्त मरीजों के साथ चर्चा की। गांव में स्वच्छता का मुआयना करते हुए लोगों में जनजागरण करने का कार्य भी किया गया। मलेरिया के उन्मूलन के लिए आशा सेविकाओं को विशेष प्रशिक्षण देना, जनजागरण कार्यक्रमों में लोगों के सहभाग को बढ़ाना, धानोरा तहसील के सभी गांवों में विशेष मच्छरदानी का वितरण करना, गांवों के तालाबों में मछलियां छोड़ना, नालियों व गंदे पानी के परिसर में दवाईयों का छिड़काव करना आदि विभिन्न प्रकार के कार्यों को गति देने का निर्णय इस समय लिया गया। प्रशिक्षण के दौरान डा. बंग ने विश्वास दिलाया कि, वर्ष 2030 तक मलेरिया का जड़ से उन्मूलन कर दिया जाएगा।
Created On :   28 Dec 2023 4:06 PM IST