सरकार को ध्यान देना जरूरी: कटंगी जलाशय के पानी से पिंडकेपार गांव के मकानों को खतरा

कटंगी जलाशय के पानी से पिंडकेपार गांव के मकानों को खतरा
गांव का सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के दिए गए निर्देश

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। गोरेगांव तहसील के पिंडकेपार गांव का अस्तित्व खतरे में आ गया है। कटंगी जलाशय के जलस्तर से पिंडकेपार गांव की मिट्टी से निर्मित मकानों की दीवारों पर सीलन चढ़ गई है, जिससे अनेक मकान जीर्ण होकर कभी भी धराशायी हो सकते हंै। इस विषय को लेकर समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित कर जिला प्रशासन, विधायक विनोद अग्रवाल तथा संबंधित जन प्रतिनिधियों को पत्र देकर अवगत कराया गया था। आखिरकार इस विषय को गंभीरता से लेते हुए शासन ने निर्देश दिए हैं कि पिंडकेपार गांव का सर्वे कर आवास योजना में प्राथमिकता देकर उपरोक्त विषय का अहवाल आगामी 7 दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाए। इस तरह का पत्र भी 30 नवंबर को ग्राम पंचायत, प्रकल्प संचालक, उप जिलाधिकारी पुनर्वसन, तहसीलदार, नोडल अधिकारी, विस्तार अधिकारी पंचायत समिति गोरेगांव तथा ग्रामीण गृह निर्माण अभियंता को दिया गया है।

बता दंे कि गोरेेगांव तहसील अंतर्गत कटंगी मध्यम प्रकल्प की शुरुआत 1990 में की गई थी। इस मध्यम प्रकल्प िनर्माण करने के लिए पिंडकेपार गांव के किसानों की 123.21 हेक्टेयर आर. जमीन संपादित की गई थी। प्रकल्प में पानी संग्रहित होने से पिंडकेपार ग्राम क्षेत्र में भूजल स्तर बढ़ गया है। जिस कारण पिंडकेपार गांव के कच्चे मकानो को दीवारो पर सीलन चढ़ जाती है। मकानों की दीवारंे गिली होने से मकान जीर्ण अवस्था में पहुंच रहे है। कभी भी जीर्ण मकान जमींदोज होने का खतरा बना हुआ है। कुछ मकान गिर चुके हंै। उपरोक्त खतरे को देखते हुए अनेक ने मकानों को ढहा दिया है, वहीं अनेक दूसरों के मकानों में आसरा ले रहे हंै। अधिकांश मकान मालिक तो जीर्ण मकान में ही रहने को मजबूर है। इस विषय को लेकर पिछले वर्ष विभिन्न समाचारपत्रों में खबर प्रकाशित कर जिला प्रशासन को अवगत कराया गया था। इसी के साथ ग्रामीणों ने जिला प्रशासन, विधायक विनोद अग्रवाल तथा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियो को पत्र लिखकर मांग की गई थी कि आवास योजना में पिंडकेपार ग्रामवासियों को प्राधान्य दिया जाए, पुनर्वसन अनुदान के तहत मकान निर्माण के लिए विशेष निधि उपलब्ध की जाए। जिसे गंभीरता से लेते हुए शासन ने 30 नवंबर को पत्र जारी किया है कि पिंडकेपार ग्राम की वस्तु स्थिति जानने के लिए सर्वे कर तत्काल अहवाल संबंधित विभाग को 7 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाए इस तरह के निर्देश भी पत्र के माध्यम से दिया गया है।

Created On :   2 Dec 2023 1:10 PM GMT

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