Jabalpur News: नसीबों का खेल- कोई नाली में मिला तो काेई झाड़ी में, ईश्वर की महिमा ऐसी कि 27 को भेजा विदेश

नसीबों का खेल- कोई नाली में मिला तो काेई झाड़ी में, ईश्वर की महिमा ऐसी कि 27 को भेजा विदेश
  • महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला बाल संरक्षण इकाई ने अब तक 300 बच्चों को अडॉप्ट करवाया, हर बच्चे पर रहती है नजर
  • लावारिसी में पाए जाने वाले बच्चों को बेहतर जीवन देने की पूरी कोशिश की जाती है

Jabalpur News: बच्चे ईश्वर का ही रूप होते हैं, उनमें ईश्वर का वास होता है, किस्मत वालों को ही औलाद होती है। ऐसे तमाम जुमले तब झूठे साबित होने लगते हैं जब बच्चों की किलकारी उनकी चित्कार में बदल जाती है। चंद घंटों से लेकर चंद दिनों तक के वे मासूम जो आंख भी नहीं खोल सकते, उन्हें नालियों से लेकर झाड़ियों तक में फेंक दिया जाता है। तथाकथित मां-बाप चाेरी छिपे उन्हें खेतों से लेकर बियाबान जंगलों तक में छोड़कर भाग जाते हैं।

इनके घनघोर पाप के बाद नजर आती है ईश्वरीय अनुकम्पा। जिन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाता है उन्हें बचाने ईश्वर अपने दूत भेजता है और फिर बदलती है कहानी। बायोलॉजिकल पेरेंट्स बदल जाते हैं लेकिन बच्चों को उनसे भी अधिक प्यार करने वाले मिलते हैं, जो देश के महानगरों से लेकर अमेरिका और ब्रिटेन तक के होते हैं। जी हां, इन फेंके और छोड़े गए बच्चों की बदलती दुनिया यह साबित करती है कि ईश्वर मौजूद है।

उसकी नजर बराबर अपने बच्चों पर बनी रहती है। मासूम नवजातों का लावारिसी में मिलना अधिकांश के लिए कोई मायने न रखता हो, लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं, जो इन बच्चों की खातिर सब कुछ दांव पर लगा देते हैं और उन्हीं के कारण ऐसे बच्चे नया जीवन शुरू करते हैं।

बात यदि केवल जबलपुर जिले की कि जाए तो करीब 20 वर्ष में ऐसे 300 बच्चे मिल चुके हैं, जिन्हें या तो फेंका गया या छोड़ा गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 27 बच्चे विदेश पहुंच गए हैं और शानदार जीवन जी रहे हैं।

लावारिसी में पाए जाने वाले बच्चों को बेहतर जीवन देने की पूरी कोशिश की जाती है, जो भी बच्चे गोद दिए जाते हैं उन पर बराबर नजर रखी जाती है। यह अलग बात है कि इसकी जानकारी किसी को नहीं लग पाती। जो बच्चा गोद दिया गया है उसका बचना एक चमत्कार था।

मनीष सेठ, जिला बाल संरक्षण अधिकारी

बच्चे को देखकर हर आंख से निकले थे आंसू

बात करीब 2 साल पुरानी है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास एक नवजात बच्चा कंबल में लिपटा झाड़ियों के बीच पड़ा था। उसके रोने की आवाज से लोगों का ध्यान उस पर गया। तत्काल उसे मेडिकल अस्पताल में भर्ती किया गया, तो पता चला कि उसके सिर पर गंभीर चोट थी। ऐसा लगा कि जैसे किसी जानवर ने उसे बुरी तरह नोचा हो। बच्चे का लम्बा इलाज चला जिसके बाद उसे बाल देखरेख संस्था भेजा गया और आज उस बच्चे को देश के महानगर में एक दम्पति को गोद दे दिया गया है।

लगभग हर कार्रवाई गोपनीय होती है-

गोद दिए गए बच्चों की लगभग सभी जानकारियां गोपनीय रखी जाती हैं, न तो उनके बारे में अधिक कुछ कहा जाता है और न ही उनके संबंध में जो उन्हें गोद लेते हैं। यहां के बहुत से बच्चे देश के महानगरों में पहुंच भी चुके हैं और पढ़ाई-लिखाई कर नया जीवन जी रहे हैं। जो बच्चे विदेश में हैं उनकी भी समय-समय पर विभाग द्वारा जानकारी ली जाती है।

Created On :   22 May 2025 7:06 PM IST

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