जबलपुर: सस्ते को महँगा करने का ऐसा खेल, एनसीईआरटी की किताबों पर सील लगाकर बढ़ा दिए गए रेट

सस्ते को महँगा करने का ऐसा खेल, एनसीईआरटी की किताबों पर सील लगाकर बढ़ा दिए गए रेट
  • एनसीईआरटी की पुस्तकों का पूरा सेट 5 या 6 सौ का
  • सेंट्रल स्कूलों से लेकर अन्य सरकारी स्कूलाें पर भी रखनी होगी नजर
  • जबकि निजी स्कूलों का वही सेट 5-6 हजार रुपयों का

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बुक-सेलर्स पर हो रही ताबड़तोड़ कार्रवाई से इन दिनों पूरे शिक्षा विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है। वर्षों से लूट मचाए लोग इन दिनों सहमे नजर आ रहे हैं। निजी स्कूलों में जिनके बच्चे पढ़ रहे हैं वे राहत की साँस ले रहे हैं लेकिन सरकारी स्कूलों पर भी नजर डालनी हाेगी।

मुनाफाखोरी वहाँ भी चरम पर है। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित पुस्तकों को मप्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा प्रकाशित कराया जाता है।

पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक की किताबों का मूल्य इतना कम होता है कि कोई भी पालक आसानी से इन्हें खरीद लेता है। अब इन्हें भी महँगा करने की साजिश रची जा रही है। असली कीमत के ऊपर सील लगाकर संशोधित कीमत दर्शाई जा रही है।

जानकार बताते हैं कि एनसीईआरटी की तीसरी-चौथी क्लास की किताबों का पूरा सेट 5 या 6 सौ में मिल जाएगा जबकि प्राइवेट स्कूलों का वही सेट 5 से 6 हजार रुपयों में मिलता है।

कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर बुक-सेलर्स पर लगातार छापेमार कार्रवाई की जा रही है। विगत दिवस की गई छापेमार कार्रवाई में करीब 22 हजार पुस्तकें ऐसी मिली हैं जिनमें आईएसबीएन नम्बर ही नहीं है। इसका सीधा सा मतलब है कि ये पुस्तकें निर्धारित प्रकाशकों की नहीं हैं बल्कि अलग से इन्हें प्रिंट कराया गया है।

यह एक तरह की धोखाधड़ी है। यही कारण है कि जिन बुक स्टोर्स पर ये किताबें मिली हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वहीं दूसरी ओर एनसीईआरटी की पुस्तकों पर सील लगाकर ओवर रेटिंग का जो मामला है उस पर भी अब जाँच की जरूरत है ताकि कोई भी पालक ठगा न जाए।

कलेक्टर करेंगे सुनवाई

किताबों की जिन दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है उन्हें सुनवाई का मौका कलेक्टर द्वारा दिया जाएगा। उनकी सुनवाई भी कलेक्ट्रेट में होने की संभावना है। हालाँकि कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि आईएसबीएन नम्बराें का मिलान किया जा रहा है उसके बाद कार्रवाई की जाएगी।

कलेक्टर श्री सक्सेना का कहना है कि एक्ट में प्रावधान है कि निजी स्कूल संचालक हर साल 10 प्रतिशत फीस बढ़ा सकते हैं, किन्तु इसके लिए भी उन्हें जिला शिक्षाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। निर्धारित दर से ज्यादा फीस की बढ़ोत्तरी अनुचित है।

प्रदेश में पहली बार लगे सरकारी पुस्तक मेले में लग रही भीड़

निजी स्कूलों और बुक सेलर्स की मनमानी पर ब्रेक लगाने और आम अभिभावकों को राहत दिलाने गाेल बाजार में लगाए गए पुस्तक मेले में भीड़ जुटने लगी है। यहाँ रियायती दामों पर बिना किसी मनमानी के पुस्तकें, बैग्स, यूनिफाॅर्म, जूते और अन्य सामग्री मिल रही है। अब यहाँ एक नवाचार किया गया है और पुस्तकों के बदले भी पुस्तकें दी जा रही हैं।

कलेक्टर दीपक सक्सेना की पहल पर शहीद स्मारक गोलबाजार में लगाए गए पाँच दिवसीय पुस्तक मेले के दूसरे दिन गुरुवार देर शाम तक बच्चों और अभिभावकों की भीड़ नजर आई। प्रदेश में पहली बार लगाए जा रहे इस पुस्तक मेले में 50 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं जिसमें पुस्तक के साथ-साथ कॉपियाँ, स्टेशनरी के स्टॉल शामिल हैं।

जो नहीं मिलेगी, वो नहीं चलेगी

कलेक्टर श्री सक्सेना के सामने कई अभिभावकों ने शिकायत की कि पुस्तक मेले में कई किताबें नहीं मिल पा रही हैं और कतिपय विक्रेता बता रहे हैं कि उक्त किताबें मेला समाप्ति के उपरांत बुक स्टोर पर उपलब्ध हो सकेंगी।

श्री सक्सेना ने कहा कि मेले में अनुपलब्ध किताबों के संबंध में मोनोपाॅली प्रथम दृष्टया सिद्ध है, अत: मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस और संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम 2017 के तहत कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित सक्षम जिला समिति द्वारा उक्त किताब को पाठ्यक्रम से हटाकर उसके स्थान पर सर्वसुलभ किताब को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।

Created On :   12 April 2024 1:13 PM GMT

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