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भांडाफोड़: जातीय आरक्षण और आर्थिक लाभ के लिए बनाई गई फर्जी आत्महत्या चिट्ठियां, पुलिस अधीक्षक ने खोली पोल

- जिला पुलिस अधीक्षक ताबे का जांच में बड़ा खुलासा
- मृतकों के हस्ताक्षरों की तुलना बरामद चिट्ठियों से की
- स्पष्ट हो गया कि चिट्ठियों के हस्ताक्षर मृतकों से मेल नहीं खाते
Latur News. संजय बुच्चे। ज़िले में जातीय आरक्षण, सरकारी नौकरी और आर्थिक मुआवज़े की मांग को लेकर आत्महत्याओं की जो घटनाएं हाल के महीनों में सामने आई, उनमें एक बड़ा मोड़ आ गया है। पुलिस जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इन आत्महत्याओं से जुड़ी तीनों चिट्ठियां फर्जी थीं। इन्हें मृतकों ने नहीं, बल्कि कुछ अन्य व्यक्तियों ने तैयार किया था, ताकि आरक्षण और आर्थिक लाभ हासिल किया जा सके।
जिला पुलिस अधीक्षक अमोल ताबे ने 7 अक्टूबर की शाम पत्रकार परिषद में इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में यह पहली बार हुआ है कि जातीय आरक्षण से जुड़ी आत्महत्या चिट्ठियों की सच्चाई इस प्रकार सामने आई है।
पुलिस अधीक्षक अमोल तांबे के मुताबिक पुलिस की सतर्कता, फॉरेन्सिक जांच और तकनीकी साक्ष्यों से एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है।
तीनों आत्महत्याओं का सारांश
- बलीराम श्रीपती मुले (शिंदगी, तहसील अहमदपुर) 26 अगस्त को जहर पीकर आत्महत्या का प्रयास मामले में रिश्तेदार ने पुलिस को एक चिट्ठी सौंपी, जिसमें लिखा था कि वह “मराठा आरक्षण” की मांग को लेकर आत्महत्या कर रहा है।
- शिवाजी वाल्मीक मेल्ले (दादगी, तहसील निलंगा) 13 सितंबर को करंट लगने से मृत्यु हुई। घटनास्थल पर कोई चिट्ठी नहीं मिली थी, बाद में शर्ट की जेब से एक पर्ची बरामद हुई, जिसमें लिखा था कि “महादेव कोली समाज को जाति प्रमाणपत्र नहीं मिल रहा है।”
- अनिल बलीराम राठोड (हणमंतवाडी तांडा, तहसील चाकूर) 14 सितंबर को घर निर्माण के दौरान करंट लगने से मौत हुई। मौके पर कोई चिट्ठी नहीं थी, पर बाद में शिवाजी फत्तु जाधव ने पुलिस को एक चिट्ठी दी, जिसमें लिखा था कि “बंजारा समाज को एसटी आरक्षण मिले, इसलिए आत्महत्या कर रहा हूँ।”
इन तीनों मामलों में संबंधित थानों अहमदपुर, निलंगा और चाकूर में अपराध दर्ज किए गए थे।
जांच में सामने आया सच
- पुलिस ने मृतकों के हस्ताक्षरों की तुलना बरामद चिट्ठियों से की। प्रारंभिक जांच में ही यह स्पष्ट हो गया कि चिट्ठियों के हस्ताक्षर मृतकों से मेल नहीं खाते।
- आगे की जांच में चाकूर प्रकरण से जुड़े अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई, जिसमें कुछ संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान हुई।
- पंचासमक्ष उनके लिखावट के नमूने लिए गए और फॉरेन्सिक जांच में यह सिद्ध हुआ कि चिट्ठियाँ उन्हीं की लिखी हुई थीं।
- गुन्हा परीक्षण विभाग, छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) की रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि तीनों चिट्ठियां फर्जी हैं।
- संदिग्धों ने शासन और समाज को गुमराह करने, आरक्षण के नाम पर दबाव बनाने और आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से यह षड्यंत्र रचा था।
आरोपियों पर दर्ज हुए मामले
- संभाजी ऊर्फ धनाजी शिवाजी मुले (शिंदगी, तहसील अहमदपुर)
- माधव रामराव पिटले (निलंगा)
- शिवाजी फत्तु जाधव (हणमंतवाडी तांडा)
- नरेंद्र विठ्ठल जक्कलवाड (शिरनाल)
- तानाजी मधुकर जाधव (हणमंतवाडी)
इन सभी पर कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। तीनों प्रकरणों की जांच पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारियों को सौंपी गई है।
पुलिस अधीक्षक का बयान
पुलिस अधीक्षक अमोल ताबे ने कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामला है, जिसमें समाज की भावनाओं का उपयोग कर शासन को गुमराह करने की कोशिश की गई।उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा जो संवेदनशील मुद्दों का दुरुपयोग कर समाज और सरकार को भ्रमित करने का प्रयास करेगा।
Created On :   7 Oct 2025 8:25 PM IST