सरकार का फैसला: सरकार ने श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनाने के फैसले को फिर पलटा, कैदियों के लिए नई माफी नीति

सरकार ने श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनाने के फैसले को फिर पलटा, कैदियों के लिए नई माफी नीति
  • अजित पवार को लगा झटका
  • श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनाने के फैसला पलटा
  • अब सोलापुर में ही बनेगा मोटे अनाज के लिए केंद्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार ने श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के अपने ही फैसले को एक बार फिर से पलट किया है। राज्य में अब पुणे के बारामती के बजाय सोलापुर में ही श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनेगा। सरकार के कृषि विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। सरकार का यह फैसला उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि अजित के सरकार में शामिल होने के बाद सरकार ने 24 नवंबर 2023 को श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र सोलापुर के बजाय बारामती में बनाने के संबंध में आदेश जारी किया था। 30 करोड़ रुपए खर्च करके बारामती के कृषि विकास ट्रस्ट के परिसर में श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनाने की योजना थी। जिसके बाद सोलापुर के भाजपा विधायक सुभाष देशमुख ने आरोप लगाया था कि उपमुख्यमंत्री अजित ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र को छीन लिया है। देशमुख ने इस मामले में विधायक पद से इस्तीफे की धमकी भी दी थी। जिसके अब सरकार ने श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनाने का फैसला लिया है। इससे पहले उपमुख्यमंत्री तथा तत्कालीन वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 9 मार्च 2023 को बजट पेश करते हुए सोलापुर में श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद कृषि विभाग ने 17 अप्रैल 2023 को शासनादेश जारी करके सोलापुर में श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए मंजूरी दी थी। राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ाने और यांत्रिकरण प्रक्रिया का इस्तेमाल करने किसान उत्पादक कंपनियों को प्रशिक्षण देने के लिए श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाना है।

कैदियों के लिए घोषित हुई नई माफी नीति

प्रदेश सरकार ने जेलों में सजा भुगत रहे कैदियों के लिए राज्य माफी नीति (रेमिशन पॉलिसी) घोषित कर दी है। एक महीने से लेकर आजीवन सजा भुगतने वाले कैदियों को इस नीति का लाभ मिल सकेगा। कैदियों की सजा की अवधि खत्म होने के कुछ दिन पहले रिहाई मिल सकेगी। जेल में कैदियों का बर्ताव राज्य माफी नीति योजना का मूलभूत मापदंड होगा। प्रदेश के गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने कैदियों के लिए माफी नीति कई सालों बाद घोषित की है। इससे पहले सरकार ने साल 2016 में भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में माफी नीति का ऐलान किया गया था। सरकार की नीति के मुताबिक कैदियों की सजा की अवधि एक महीने अथवा तीन महीने से कम होने पर पांच दिन की माफी मिल सकेगी। यानी वह कैदी सजा की अवधि से पांच दिन पहले जेल से छूट सकेगा। तीन महीने अथवा छह महीने से कम अवधि के सजा वाले कैदियों को एक महीने की छूट मिल सकेगी। छह महीने अथवा एक साल से कम अवधि वाले कैदियों के लिए तीन महीने की माफी दी जा सकेगी। एक वर्ष अथवा उससे अधिक समय के लिए सजा पाने वाले कैदियों को चार महीने की छूट मिल पाएगी। दो वर्ष अथवा तीन साल की अवधि के लिए पांच महीने, तीन साल अथवा चार साल से कम समय के लिए छह महीने, चार साल अथवा पांच साल से कम अवधि वाले कैदियों को सात महीने की माफी मिल सकेगी। पांच साल अथवा छह साल से कम सजा पाने वाले कैदियों को आठ महीने की सजा में छूट मिल दी जा सकेगी। छह वर्ष अथवा सात साल से कम सजा वाले कैदियों को नौ महीने, सात साल अथवा आठ साल की अवधि वाले कैदियों के लिए दस महीने, आठ साल अथवा नौ साल की सजा पाने वाले कैदियों के लिए 11 महीने, नौ साल अथवा दस साल से कम सजा वाले कैदियों को 13 महीने, 11 साल अथवा 12 साल से अधिक अवधि वाले सजा की अवधि वाले कैदियों के लिए 14 महीने की माफी मिल सकेगी। जबकि आजीवन सजा भुगत रहे कैदियों को 15 महीने की माफी दी जा सकेगी।

14 साल की सजा के बाद ही मिलेगी छूट

आजीवन सजा काटने वाले कैदियों को 14 साल की सजा भुगतने के बाद ही छूट का लाभ मिल सकेगी। राज्य माफी के आदेश की तारीख और उससे पहले अदालत से जमानत मंजूर हुए कैदियों को भी माफी का लाभ मिल सकेगा। मकोका, पॉस्को कानून के तहत सजा पाने वाले, आंतकी साजिश में शामिल, किशोर सुधार गृह के बच्चों, जेल में अनुशासनहीन और असंतोषजनक बर्ताव करने वाले कैदियों को माफी योजना का लाभ नहीं मिल सकेगी।

आविष्कारों को स्टार्टअप में बदलने में मदद करेगा मुंबई विश्वविद्यालय का ‘आइडियाथॉन 1.0’

आविष्कारों को स्टार्टअप में बदलने के लिए मुंबई विश्वविद्यालय ने आइडियाथॉन 1.0 का ऐलान किया है। खास बात यह है कि विद्यार्थियों के साथ दूसरे शोधकर्ता और आम लोग भी इसकी मदद ले सकते हैं। विश्वविद्यालय का एमयू-आईडियाज इनब्यूबेशन सेंटर नए उद्यमियों को जरूरी मदद और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी जिससे विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं की परियोजनाओं को जमीन पर उतारा जा सके। आईडियाथॉन की शुरुआत करते हुए मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवींद्र कुलकर्णी ने कहा कि 2019 में एमयू-आइडियाज इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया था और इसके जरिए कई विद्यार्थियों के आविष्कारों को उद्योग में बदला गया है। इनब्यूबेशन सेंटर के लिए राज्य की महाराष्ट्र स्टेट इनोवेशन सोसायटी ने पांच करोड़ का अनुदान भी स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि आइडियाथॉन 1.0 विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और नागरिकों के लिए एक शानदार मौका है जिससे वे अपने आविष्कार को कारोबार में बदल सकते हैं। प्रोजेक्ट को ऑनलाइन लिंक https://tinyurl.com/MyIdeathon पर अपलोड करना होगा। प्रतियोगिता में प्राप्त प्रस्तावों की उद्योग जगत के विशेषज्ञ जांच करेंगे और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। इनक्यूबेशन सेंटर एक वर्ष तक स्टार्टअप में सहायता करेगा। मुंबई विश्वविद्यालय के इनोवेशन, रिसर्च एंड फेलोशिप बोर्ड के नवनियुक्ति निदेशक सचिन लढ्ढा ने कहा कि प्रतियोगिता के लिए आयु या शैक्षणिक पृष्ठभूमि की कोई शर्त नहीं है। प्रतियोगिता में कोई भी शामिल हो सकता है।

पूर्व सैनिकों की आर्थिक सहायता में बढ़ोतरी

राज्य सरकार ने दूसरे महायुद्ध में हिस्सा लेने वाले पूर्व सैनिकों और उनके विधवा पत्नियों को प्रति महीने 6 हजार रुपए के बजाय 11 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने का फैसला लिया है। सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग ने आर्थिक सहायता बढ़ाने के संबंध में शासनादेश जारी किया है। पूर्व सैनिकों अथवा विधवा पत्नियों को बढ़ाए गए आर्थिक सहायता का लाभ 1 जनवरी 2024 से लागू होगा। दूसरे महायुद्ध में हिस्सा लेने वाले और दिसंबर 1949 अथवा उसके बाद पद मुक्त हुए राज्य के पूर्व सैनिकों और विधवा पत्नियों को साल 1989 में 300 रुपए मासिक पेंशन लागू किया था। जिसके बाद सरकार ने साल 2018 में आर्थिक सहायता को बढ़ाकर 6 हजार रुपए किया था। अब सरकार ने आर्थिक सहायता में 5 हजार रुपए की वृद्धि की है। इससे हर महीने 11 हजार रुपए की आर्थिक मदद मिल सकेगी।

Created On :   14 March 2024 3:15 PM GMT

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