अदालत का फैसला: हाईकोर्ट ने कहा - मां के जीवित रहते पिता की प्रॉपर्टी पर बच्चों का अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने कहा - मां के जीवित रहते पिता की प्रॉपर्टी पर बच्चों का अधिकार नहीं
  • 15 दिनों के अंदर बेटे और बहू को फ्लैट खाली कर वृद्धा मां को सौंपने का अदालत का आदेश
  • अदालत ने वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण न्यायाधिकरण के फैसले को रखा बरकरार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि मां के जीवित रहते पिता की प्रापर्टी पर बेटों का अधिकार नहीं है। एक मां को पति की मृत्यु के बाद अपने जीवन के अंतिम वर्षों में अपने बेटों से प्यार, स्नेह, देखभाल और सहानुभूति प्राप्त करने के बजाय घर से बेदखल होकर कानून का सहारा लेना पड़ रहा है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। अदालत ने वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखते हुए बेटे और बहू को 15 दिनों के अंदर मां के हवाले उसका फ्लैट करने का आदेश दिया है। कर बेटे और बहू को 15 दिनों में निकलने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ के समक्ष दिनेश भानुदास चंदनशिवे की दायर याचिका सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में 17 सितंबर 2021 के वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती दिया थी। याचिकाकर्ता की मां ने न्यायाधिकरण के समक्ष गुहार लगाई थी कि वह मुलुंड में पति के साथ रही थी। जबकि उनके तीन बेटे और बेटी शादी के बाद अलग रहते हैं। 15 जून 2015 को महिला के पति की मृत्यु हो गयी। महिला मुलुंड के जिस फ्लैट में रहती थी, वह उनके पति के नाम से था। वृद्ध महिला का एक बेटा और बहू उनके साथ आ कर रहने लगे।

बाद में उसने अपनी पत्नी के साथ मिल कर मां को घर से निकाल दिया। जबकि पिता ने उसे मुलुंड में ही घर खरीदने में मदद की थी। उसने फ्लैट से जुड़े कुछ कागजात अपने नाम से भी करवा लिए। महिला ने वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण न्यायाधिकरण में बेटे के खिलाफ आवेदन किया। न्यायाधिकरण ने वृद्ध मांग के पक्ष में फैसा सुनाया और बेटे एवं बहू को फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया। बेटे दिनेश चंदनशिवे ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि 15 दिनों में बेटे और बहू को फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि वे वरिष्ठ नागरिक सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं, जिनके पास अपनी कड़ी मेहनत से अर्जित चल और अचल संपत्ति होती है। परिवार के ऐसे स्वार्थी और लालची सदस्यों द्वारा संपत्ति को हथियाने की कोशिश करने पर उन्हें इस तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Created On :   30 Jan 2024 4:17 PM GMT

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