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Mumbai News: अब गरीबों की अनदेखी करने वाले चैरिटी अस्पतालों पर है सरकार की नजर

- मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद विशेष निरीक्षण दल गठित
- अब गरीबों की अनदेखी पड़ेगी भारी
Mumbai News. सुरेश ठमके। चैरिटी एक्ट के तहत पंजीकृत राज्य के चैरिटी अस्पताल गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों के लिए बेड आरक्षित करने की योजना को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर रहे हैं। सरकार को लगातार यह शिकायत मिल रही है कि गरीब मरीजों को उनका हक नहीं मिल रहा है, इसलिए अब राज्य सरकार ने इस संबंध में विशेष निरीक्षण दल गठित किया है। यह विशेष दल चैरिटी अस्पतालों में योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा के बाद कार्रवाई करेगा। सरकार ने हाल ही में इस संबंध में परिपत्र जारी किया है।
सरकार ने राज्य के चैरिटी अस्पतालों में गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए दस प्रतिशत बेड आरक्षित करने के निर्णय बार-बार लिए हैं, लेकिन चैरिटी अस्पतालों द्वारा इस संबंध में कोई प्रभावी क्रियान्वयन नहीं देखा जा रहा है। इसके कारण गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीज सेवाओं से वंचित रह जाते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में इस संबंध में एक बैठक आयोजित की और संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करने के निर्देश दिए हैं।
विशेष निरीक्षण दल का गठन
मंत्रालय के एक अधिकारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि गरीबों के लिए योजना का क्रियान्वयन धर्मार्थ अस्पतालों में हो रहा है या नहीं, इसका निरीक्षण करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है, जिसमें चैरिटी कमिश्नर कार्यालय का एक सदस्य, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि का एक सदस्य तथा धर्मार्थ अस्पताल सहायता डेस्क का प्रमुख शामिल है। यह समिति धर्मार्थ अस्पतालों का दौरा कर योजना की समीक्षा करेगी। योजना का क्रियान्वयन नहीं होने पर उक्त अस्पतालों को दी जाने वाली सुविधाएं वापस ली जाएंगी तथा मुंबई पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मुंबई में 80 व राज्यभर में 464 चैरिटी अस्पताल
राज्य में 464 तथा मुंबई में 80 धर्मार्थ (चैरिटी) अस्पताल हैं। इनमें बॉम्बे अस्पताल, सैफी अस्पताल, हरकिशन दास रिलायंस अस्पताल, ब्रिज कैंडी अस्पताल तथा लीलावती अस्पताल जैसे नामी अस्पताल शामिल हैं। इन अस्पतालों में 1.80 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले गरीब मरीजों के लिए 10 प्रतिशत बेड आरक्षित करने की व्यवस्था है, जबकि 3.60 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों के लिए भी 10 प्रतिशत बेड आरक्षित करने का कानून है। चूंकि कई अस्पताल इस पर प्रभावी रूप से अमल नहीं कर रहे थे, इसलिए सरकार ने आखिरकार यह विशेष निरीक्षण दल गठित किया है। सरकार का दावा है कि अब गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को न्याय जरूर मिलेगा।
Created On :   10 Jun 2025 10:16 PM IST